17 नवंबर 2009

कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बनाई योजना

डबवाली (लहू की लौ) हरियाणा सरकार ने कृषि वानिकी व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक योजना बनाई है, जिसके अंतर्गत वन विभाग द्वारा कृषि भूमि पर विशेष आर्थिक महत्व के वृक्षों की प्रजातियों के रोपण की योजना है और इसके लिए किसानों को दूसरे और तीसरे वर्ष क्रमश: 2 रुपये और 3 रुपये की दर से प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
यह जानकारी हरियाणा के वन एवं वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने आज वरिष्ठï वन अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए दी।
कैप्टन यादव ने कहा कि हरियाणा सरकार ने राज्य में पोपलर की रोपाई को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है और इसके लिए पोपलर की पौध किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि पोपलर की पौध पर 50 प्रतिशत की छूट दी जायेगी और 5 रुपये प्रति पौध की दर से बेची जायेगी जबकि इससे पहले किसानों को 10 रुपये प्रति पौध की दर से इसकी कीमत चुकानी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि पोपलर की पौध की आपूर्ति केवल उन्हीं किसानों को की जायेगी, जो अपनी भूमि पर पोपलर लगायेंगे और किसानों को पोपलर की अधिकतम 200 पौध पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दी जायेगी।
वन मंत्री ने पोपलर पौध की बेहतर किस्म, जिनमें क्रांति, विमको सीडलिंग लिमिटेड (डब्ल्यूएसलएल) क्लोन्स, डब्ल्यूएसलएल 22, 29, 32 शामिल हैं, को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि ये अधिकतम संख्या में उगाई जानी चाहिए ताकि किसानों को इनके उत्पाद से अधिकतम मुनाफा हो सके। उन्होंने विश्वास दिलाया कि कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए बजट आवंटन में भी वृद्धि होगी।
कैप्टन यादव ने कहा कि पूरे राज्य के स्थाई हरियाली को बढ़ाने के लिए बड़, पीपल, नीम और जामुन जैसे परम्परागत महत्व के वृक्षों की बागवानी को बढ़ावा देने के लिए बैठक में निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य में पट्टीदार वन, सड़क और रेलवे लाइनों के साथ बड़े पट्टीदार वनों का बड़ा क्षेत्र नई रेल पटरियों को बिछाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। शिवालिक और अरावली में प्राकृतिक वन समिति रह गये है और विकास का दबाव झेल रहे है। कृषि भूमि ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर किसानों की मदद से वृक्षारोपण का विस्तार किया जा सकता है।
बारिश के पानी के अनुकूलतम प्रयोग के लिए इसके संरक्षण पर बल देते हुए कैप्टन यादव ने कहा कि जल संचयन संरचनाओं (विशेष रूप से पहाड़ों पर) की भूमिका ने एक महत्वपूर्ण आयाम ले लिया है। उन्होंने विचार व्यक्त किये कि शिवालिक और अरावली की पहाडिय़ों के उपयुक्त स्थलों पर ऐसी संरचनाओं का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को सलाह दी कि विभाग के पास उपलब्ध संभव संसाधनों का उपयोग बांधों के निर्माण पर किया जाना चाहिए।

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