20 नवंबर 2017

चूहे तोड़ रहे माइनर


डबवाली(लहू की लौ)साल 1977-78 में डबवाली डिस्ट्रीब्यूटरी का माइनर नं. 6 बनाया गया है। करीब 40 साल बाद इसकी हालत खस्ता है। गांव डबवाली, अलीकां तथा शेरगढ़ की करीब आठ हजार एकड़ भूमि माइनर के पानी पर निर्भर है। साल में दो बार टूटकर धरती पुत्रों की मेहनत पर पानी फेर देता है। माइनर का निर्माण क्यों नहीं हो रहा? यह सवाल नहरी महकमें के अधिकारियों से पूछा जाता है तो उनका जवाब चौंकाने वाला होता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि चूहे माइनर तोड़ रहे हैं। तो सवाल उठता है कि क्या चूहे हर साल माइनर तोड़ते रहेंगे? या फिर यह राग अलाप कर नहरी महकमा खस्ता हाल स्थिति पर मुंह फेरता रहेगा? बताया जा रहा है कि उक्त माइनर 34 हजार 125 फुट लंबा है। वर्ष 2012 में महकमें ने 23 हजार 500 से लेकर 34 हजार 125 फुट तक निर्माण किया था। करीब दो साल बाद 18 हजार 700 से 23 हजार 500 फुट तक निर्माण पूरा कर दिया। करीब तीन साल की अवधि बीतने के बाद पुन: काम शुरु नहीं करवाया। माइनर का करीब 17 हजार फुट एरिया खस्ता हाल है।
8 हजार एकड़ रकबा आता है
इधर गांव अलीकां, डबवाली तथा शेरगढ़ के किसानों का कहना है कि माइनर की हालत काफी खराब है। जब माइनर टूटता है तो अधिकारी पंजाब पर आरोप जड़ते हुए पानी अधिक छोडऩे की बात कहते हैं। जब खस्ता हालत का जिक्र आता है तो चूहों को लेकर बैठ जाते हैं। जबकि किसान से कोई सरोकार नहीं। नियमानुसार माइनर 25 साल बाद बनना चाहिए। जबकि माइनर नं. 6 को बने करीब 40 साल बीत चुके हैं।

माइनर की दीवारों पर चूहे बिल बना लेते हैं। धीरे-धीरे पानी रिसता रहता है। आखिरकार माइनर टूट जाता है। ऐसा माइनर नं. 6 पर हो रहा है। इस माइनर के शेष हिस्से को बनाने की योजना नहीं है।
-सतीश तनेजा, एसडीओ, नहरी विभाग, डबवाली

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