30 जनवरी 2017

नगरपरिषद कर्मचारियों, पार्षदों को दो माह का वेतन नहीं मिला



Image result for nagar parishad dabwaliडबवाली (लहू की लौ) नगरपरिषद के पास कर्मचारियों, पार्षदों को देने के लिए वेतन नहीं है। एमसी फंड में करीब ढाई लाख रुपए शेष हैं। जबकि दो माह का वेतन देने 52 लाख रुपए चाहिए। सफाई कर्मचारियों ने शहर की सफाई बंद करने की चेतावनी दी है। कर्मचारी दो माह के वेतन के साथ-साथ चार साल बाद एलटीसी (एक माह की अतिरिक्त तनख्वाह) मांग रहे हैं। ऐसे में नगरपरिषद को वेतन के अलावा अतिरिक्त 26 लाख रुपए की जरूरत है। सवाल उठता है कि नगरपरिषद करीब पौने एक करोड़ रुपए कहां से लाएगी?
नगरपरिषद में 62 सफाई कर्मचारी, एक बिल्डिंग इंस्पेक्टर, एक सीनेटरी इंस्पेक्टर, आठ क्लर्क, एक सेवादार सहित 21 पार्षद हैं। जिन्हें दिसंबर 2016 का वेतन नहीं मिला है। 31 जनवरी 2017 को दो माह का वेतन पेंडिंग हो जाएगा। वर्तमान समय में नगरपरिषद के पास 2 लाख 63 हजार 512 रुपए शेष हैं। स्टांप डयूटी, नक्शों की फीस के अतिरिक्त साढ़े चार सौ दुकानों का किराया, बिजली निगम से पैसा आने के बावजूद भी नगरपरिषद एक माह का वेतन देने में असमर्थ है। वेतन के लिए सफाई कर्मचारियों के बढ़ते दवाब के बीच हाऊस ने शहर के विकास कार्यों के लिए मिले करीब पंद्रह करोड़ रुपए में से  ग्रांट वेतन के तौर पर खर्च करने की योजना बनाई है। जिसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। इसके अतिरिक्त एक अन्य विकल्प प्रॉपर्टी टैक्स है। हाऊस सदस्यों का कहना है कि साल 2013 से सरकारी विभागों की ओर प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। ऐसे में उन्हें नोटिस जारी किए जाएंगे। उम्मीद है कि सरकारी तथा व्यवसायिक दायरे से करीब डेढ़ करोड़ रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स आएगा। जिससे दो माह के वेतन समेत एलटीसी का भुगतान संभव है। लेकिन प्रक्रिया लंबी होने के चलते वेतन लटक सकता है।

यहां से इतनी आमदनी
पार्षद विनोद बांसल के अनुसार स्टांप डयूटी से प्रति माह दो लाख रुपए, नक्शा फीस के तौर पर करीब दो से चार लाख रुपए, पांच पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली निगम से प्रति वर्ष 10 से 12 लाख रुपए मिलते हैं। नगरपरिषद की करीब साढ़े चार सौ दुकानें हैं, नोटबंदी के समय पूरा किराया वसूल हो चुका है। इसके अतिरिक्त प्रॉपर्टी टैक्स से उम्मीद है। करीब डेढ़ करोड़ रुपए आने की उम्मीद है। चूंकि साल 2013 से सरकारी विभागों की ओर प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। अगर टैक्स मिलता है, तो वेतन आसानी से दिया जा सकेगा।

दो माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। नगरसुधार मंडल मर्ज होने से काफी पैसा नगरपरिषद को मिला है। जाट आरक्षण का मामला शांत होने के बाद इस पैसे को प्रयोग करने की अनुमति मांगी जाएगी। अनुमति मिलने के बाद वेतन दे दिया जाएगा।
-वेदपाल सिंह, कार्यकारी सचिव, नगरपरिषद, डबवाली

यहां से इतनी आमदनी
पार्षद विनोद बांसल के अनुसार स्टांप डयूटी से प्रति माह दो लाख रुपए, नक्शा फीस के तौर पर करीब दो से चार लाख रुपए, पांच पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली निगम से प्रति वर्ष 10 से 12 लाख रुपए मिलते हैं। नगरपरिषद की करीब साढ़े चार सौ दुकानें हैं, नोटबंदी के समय पूरा किराया वसूल हो चुका है। इसके अतिरिक्त प्रॉपर्टी टैक्स से उम्मीद है। करीब डेढ़ करोड़ रुपए आने की उम्मीद है। चूंकि साल 2013 से सरकारी विभागों की ओर प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। अगर टैक्स मिलता है, तो वेतन आसानी से दिया जा सकेगा।

विकास राशि को वेतन पर खर्च करने की कोशिश
पार्षद विनोद बांसल के अनुसार नगरपरिषद के पास विभिन्न योजनाओं के तहत करीब पंद्रह करोड़ रुपए की राशि पड़ी है। स्टाफ की कमी की वजह से आमदनी नहीं है तो उपरोक्त राशि को वेतन पर खर्च करने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी जाएगी।

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