डबवाली (लहू की लौ) पर्यावरण से मित्रता समय की जरुरत
है। प्रयास हमें घर से करना होगा। जैसा की 45 वर्षीय सीमा सग्गू कर रही हैं। देहरादून की वादियों में पली-बढ़ी यह बेटी डबवाली में विवाहिता हैं। ससुराल में मायके जैसी हरियाली तथा पक्षियों की चहचहाट करने का सपना देखा था। ख्यालों को हकीकत में बुनना शुरु किया। पौधारोपण करने लगी, पेड़ बड़े होते गए तो धीरे-धीरे कुछ नया करने की ठानी। घर से पड़े टूटे मटकों, चाय के कप, ईंट-पत्थरों आदि ढेर सारा वेस्ट मेटीरियल इक्ट्ठा कर लिया। वेस्ट पर पेंटिंग करके उसे बेस्ट बना दिया। ऊंचे पेड़ों पर पेंटिंग किए चाय के कपों को लटकाकर उसमें पौधे लगा दिए। अब एक पौधे पर अनेक पौधे बढ़ते दिखाई देते हैं।
सीमा सग्गू की इस बगिया में पौधों के साथ बांस, नारियल या फिर टोकरी में पराली डालकर सकोरे लटकाए हुए हैं, पूरा दिन पक्षियों की चहचहाट रहती है। अत्याधिक गर्मी या सर्दी से पौधों को बचाने के लिए ग्रीन हाऊस बना रखा है, तो कहीं छात्ता तले पौधे ऊंचाई छूते नजर आते हैं। अब तो ससुराली सीमा को पर्यावरण मित्र कहते नहीं थकते।
घर में हो पर्यावरण की सीमा, घर-घर तक पहुंचाने का लक्ष्य
शहरों में जमीन लगातार कम होती जा रही है, तो वहीं विकास के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी है। ऐसे में पर्यावरणीय हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए घर की सीमा का ही प्रयोग करना होगा। अपने इस प्रयास को सीमा ने अगले एक वर्ष में घर-घर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
पौधों का संरक्षण ही संकल्प
सीमा सग्गू का लक्ष्य है कि जितने पौधे उनकी बगिया में लगे हैं, उनको संरक्षित रखना। ताकि ये निरंतर बढ़ते जाएं और बहुत बड़े पेड़ बन जाएं। पौधों को किसी तरह की बीमारी न लगे, इसलिए उनकी बच्चों की तरह परवरिश करना।
देहरादून में चारों ओर हरियाली है, मेरा घर प्रकृत्ति की अनुपम धरोहर है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां के लोग पर्यावरण का महत्व जानते हैं। वैसा नजारा मैं सब जगह देखना चाहती हूं। हरियाली ही मेरा एजेंड़ा है, इस पर ही मैं काम कर रही हूं।
-सीमा सग्गू, डबवाली
है। प्रयास हमें घर से करना होगा। जैसा की 45 वर्षीय सीमा सग्गू कर रही हैं। देहरादून की वादियों में पली-बढ़ी यह बेटी डबवाली में विवाहिता हैं। ससुराल में मायके जैसी हरियाली तथा पक्षियों की चहचहाट करने का सपना देखा था। ख्यालों को हकीकत में बुनना शुरु किया। पौधारोपण करने लगी, पेड़ बड़े होते गए तो धीरे-धीरे कुछ नया करने की ठानी। घर से पड़े टूटे मटकों, चाय के कप, ईंट-पत्थरों आदि ढेर सारा वेस्ट मेटीरियल इक्ट्ठा कर लिया। वेस्ट पर पेंटिंग करके उसे बेस्ट बना दिया। ऊंचे पेड़ों पर पेंटिंग किए चाय के कपों को लटकाकर उसमें पौधे लगा दिए। अब एक पौधे पर अनेक पौधे बढ़ते दिखाई देते हैं।
सीमा सग्गू की इस बगिया में पौधों के साथ बांस, नारियल या फिर टोकरी में पराली डालकर सकोरे लटकाए हुए हैं, पूरा दिन पक्षियों की चहचहाट रहती है। अत्याधिक गर्मी या सर्दी से पौधों को बचाने के लिए ग्रीन हाऊस बना रखा है, तो कहीं छात्ता तले पौधे ऊंचाई छूते नजर आते हैं। अब तो ससुराली सीमा को पर्यावरण मित्र कहते नहीं थकते।
घर में हो पर्यावरण की सीमा, घर-घर तक पहुंचाने का लक्ष्य
शहरों में जमीन लगातार कम होती जा रही है, तो वहीं विकास के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी है। ऐसे में पर्यावरणीय हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए घर की सीमा का ही प्रयोग करना होगा। अपने इस प्रयास को सीमा ने अगले एक वर्ष में घर-घर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
पौधों का संरक्षण ही संकल्प
सीमा सग्गू का लक्ष्य है कि जितने पौधे उनकी बगिया में लगे हैं, उनको संरक्षित रखना। ताकि ये निरंतर बढ़ते जाएं और बहुत बड़े पेड़ बन जाएं। पौधों को किसी तरह की बीमारी न लगे, इसलिए उनकी बच्चों की तरह परवरिश करना।
देहरादून में चारों ओर हरियाली है, मेरा घर प्रकृत्ति की अनुपम धरोहर है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां के लोग पर्यावरण का महत्व जानते हैं। वैसा नजारा मैं सब जगह देखना चाहती हूं। हरियाली ही मेरा एजेंड़ा है, इस पर ही मैं काम कर रही हूं।
-सीमा सग्गू, डबवाली
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