12 अगस्त 2011

छह साल बाद पिता को मिले बच्चे


डबवाली अदालत के प्रयास तथा वकीलों का सहयोग रंग लाया
डबवाली (लहू की लौ) एक्सीडेंट में मां को गंवाने के बाद अपने नाना के पास रह रहे दो बच्चे गुरूवार को अपने पिता के पास आ गए। छह वर्षों से इन बच्चों को लेकर पिता और नाना के बीच अदालत में विवाद चल रहा था। गुरूवार को अदालत के प्रयासों और वकीलों के सहयोग से पिता और नाना के बीच चल रही कड़वाहट ही दूर नहीं हुई। बल्कि बच्चे अपनी इच्छा से पिता के पास रहने को राजी हो गए।
बठिंडा के नगर निगम में सीनियर क्लर्क के पद पर कार्यरत वासदेव पुत्र मूलचन्द निवासी मोहल्ला कीकर दास, बठिंडा की शादी डबवाली निवासी कमलेश रानी से साल 1994 में हुई थी। कमलेश रानी के दो बच्चे अभिलाष और अभिषेक हुए। मई 2006 को कमलेश रानी की सोनावर पब्लिक स्कूल, मलोट रोड़, बठिंडा से घर लौटते समय पीआरटीसी की एक बस से दुर्घटना हो जाने पर मौत हो गई थी।
मां की मौत के बाद बच्चे अपने ननिहाल डबवाली में रहने लग गए थे। 16 वर्षीय अभिलाष और 12 वर्षीय अभिषेक डीएवी स्कूल डबवाली में अध्ययनरत हैं। 21 जुलाई 2006 को बच्चों के नाना मनोहर लाल निवासी मण्डी डबवाली ने अदालत में सेक्शन 125 सीआरपीसी के तहत मनटेंसी अलाऊंस के लिए अदालत में याचिका दायर करके बच्चों के पिता से बच्चों के पालन पोषण के लिए 4500 रूपए प्रति माह के हिसाब से खर्चा की मांग की थी। इधर बच्चों को पाने के लिए वासदेव ने भी बठिंडा की अदालत में केस दायर कर रखा था। जिसमें वासदेव केस हार गया। लेकिन डबवाली की अदालत में 125 सीआरपीसी का केस विचाराधीन था।
गुरूवार को उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डॉ. अतुल मडिया की अदालत में इस मामले की सुनवाई थी। दोनों पक्ष अदालत में उपस्थित थे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अभिलाष तथा अभिषेक को अदालत में बुलाकर उनकी राय जानी। बच्चों ने अपने पिता के साथ जाने की इच्छा प्रकट की। अदालत ने दोनों पक्षों को समझाने-बुझाने के लिए नेशनल लीगल सर्विस आथोरिटी के अधीन फ्री एण्ड कंपीटेंट लीगल सर्विस-2010 के माध्यम से इसका जिम्मा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एसके गर्ग के नेतृत्व में वकीलों के पैनल को सौंपा। जिसमें बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र दंदीवाल, एडवोकेट कुलवंत सिंह, बलजीत सिंह और दोनों पक्षों के वकील राधेश्याम और राजेंद्र सिंह सरां भी शामिल किए गए। आखिर दोनों पक्षों को समझाने-बुझाने के बाद अदालत के प्रयास और वकीलों के सहयोग से सफलता हासिल हुई। नाना मनोहर लाल ने अपने दोहते अभिलाष तथा अभिषेक कुमार को खुशी-खुशी वासदेव के साथ भेजना स्वीकार कर लिया। वासदेव ने दोनों बच्चों की ताउम्र परवरिश करने और पढ़ाने-लिखाने की जिम्मेवारी स्वीकार करके अपने ससुर मनोहर लाल से आशीर्वाद प्राप्त कर लिया।

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