13 अगस्त 2011

कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए लोगों का सहयोग जरूरी

बार रूम में आयोजित सेमिनार में बोले वक्ता
डबवाली (लहू की लौ) डबवाली अदालत में 10-12 मामले ऐसे चल रहे हैं, जिनमें तीन भाईयों की एक पत्नी है। अगर महिला-पुरूष अनुपात में इसी तरह फर्क आता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यह गिनती 10-12 हजार में बदल जाएगी।
ये शब्द उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डॉ. अतुल मडिया ने शुक्रवार को बार रूम में कन्या भ्रूण हत्या पर आयोजित सेमिनार में कहे। उन्होंने कहा कि आवश्यकता महिला पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की है। केवल सेमिनार में भाग लेने या फिर एक्ट पढऩे से इस संवेदनशील समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि कन्या भ्रूण हत्या तभी रूक सकती है, जब गर्भवती महिलाओं की सूची तैयार की जाए और गांवों में एएनएम द्वारा करवाए जा रहे गर्भपात पर अंकुश लगे।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिरसा सुभाष गोयल ने बतौर मुख्यातिथि इस सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि सेमिनारों से बाहर निकलकर समाज में काम करने तथा लोगों को कन्या भ्रूण हत्या केवल अपराध ही नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी अनैतिक कार्य है, यह समझाने की जरूरत है। उनके अनुसार कन्या भ्रूण हत्या पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए आम लोगों का सहयोग जरूरी है।
सेमिनार को एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल, सामान्य अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू, स्वास्थ्य कर्मी राज वर्मा, मंजू बाला, कृष्णा देवी, शालू धींगड़ा, दर्शना देवी ने भी संबोधित किया। मंच का संचालन एडवोकेट गंगा बिशन गोयल ने बखूबी निभाया। इस अवसर पर सीजीएम एनके सिंगल, नायब तहसीलदार हरिओम बिश्नोई, डीएसपी बाबू लाल, सिटी थाना प्रभारी महा सिंह, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र दंदीवाल, पूर्व अध्यक्ष एसके गर्ग, एडवोकेट रणजीत सिंह, कुलदीप सिंह सिधू, सुरेश चन्द्र शर्मा, सुखबीर सिंह बराड़, बलजीत सिंह, धर्मवीर कुलडिय़ा, आईपी बिश्नोई, दीपक कौशल, जितेंद्र खैरा, जगदीश गुप्ता, वाईके शर्मा, बीएस सूर्या, सुरेश मैहता, कुलवंत सिंह, कुलवीर पासी उपस्थित थे।
इससे पूर्व सैशन जज सुभाष गोयल ने गांव गोरीवाला में लीगल सैल के क्लीनिक का शुभारंभ किया। बाद में डबवाली कोर्ट परिसर में पौधारोपण किया।

कोई टिप्पणी नहीं: