21 जुलाई 2011

कुश्ती का योद्धा नशे के अखाड़े में चित



पंजाब का नं. 3 प्लेयर रहा है गिदड़बाहा का नवजोत, मेडिकल नशा खरीदने के लिए आता था

डीडी गोयल
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डबवाली। कुश्ती के अखाड़े में अपने प्रतिद्वद्धियों को धूल चटाकर पूरे पंजाब में धूम मचाने वाला एक युवा नशे से धूल चाट गया। नशे ने केवल उसकी पढ़ाई ही नहीं छीनी बल्कि खेल प्रतिभा को नष्ट करके उसे अपराध की दुनिया में धकेल दिया। यह कहानी पंजाब में कुश्ती की दुनियां में अपना जलवा दिखाने वाले 18 वर्षीय युवक की है। जोकि जिला श्री मुक्तसर साहिब के गांव गिदड़बाहा का रहने वाला है।
यह युवक सोमवार रात करीब 11.30 बजे मण्डी किलियांवाली के मालवा बाईपास रोड़ पर स्थित एक वर्कशॉप में नशे की हालत में चोरी करता हुआ पकड़ा गया। इस संवाददाता के समक्ष युवक ने अपनी पहचान 18 वर्षीय नवजोत सिंह उर्फ ज्योति के रूप में करवाई। अपनी लाईफ के अटठ्रह सालों की कहानी के पन्नो ंका एक-एक लफ्ज अपनी जुबां से ब्यां किया। नवजोत एक आरएमपी डॉक्टर का बेटा है। आरएमपी डॉक्टर ने अपने बेटे में अच्छे संस्कार भरने के लिए उसे अंग्रेजी माध्यम स्कूल में एडमिशन दिलाया। शहर गिदड़ाबाहा में पहली से आठवीं तक की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में की।
अच्छी कद काठी वाले ज्योति ने कुश्ती के अखाड़ा में छलांग लगाई। यहां उसका कोई सानी नहीं था। अपनी प्रतिभा के दम पर ज्योति ने जोन में जगह बनाई। फिर जिला स्तर पर पहुंचा। यहां उसकी प्रतिभा का लोहा सबने माना और उसे स्टेट में जगह मिली। अण्डर-14 में राज्य स्तर पर खेलते हुए इस युवा खिलाड़ी ने अपनी प्रतिभा को ऊंची उड़ान दी। तीन दफा यह खिलाड़ी राज्य स्तर पर तीसरे नंबर पर आया। सूबे का ऐसा कोई अखाड़ा नहीं रहा यहां ज्योति ने जीत को न चूमा हो।
सूबे के नंबर तीन खिलाड़ी रहने वाले ज्योति का अखाड़ा ही दुश्मन निकला। चूंकि अखाड़ा में कुछ खिलाड़ी मेडिकल नशे की जद्द में थे। उन्हें नशे की शीशी पीता देख ज्योति के साथी खिलाड़ी ने उसे शीशी पीने की सलाह दी। ज्योति ने उस समय जो शीशी थामी वह उसकी बर्बादी का कारण बन गई। खांसी के लिए बनी एक छोटी सी शीशी से नशा करने का आदि बना यह युवा खिलाड़ी नशे की गर्त में इतना डूब गया कि चूरा पोस्त, अफीम के बाद स्मैक का नशा करने लगा।
ज्योति ने बताया कि डबवाली के मलोट और गिदड़बाहा में नशे की शीशी 100 रूपए में मिलती है। जबकि डबवाली में 40 से 60 रूपए में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। उसने बताया कि डबवाली के चौटाला रोड़ से वह स्मैक लेकर पीता है। उसके अनुसार चौटाला रोड़ पर कई लोग स्मैक का धंधा करते हैं।
कुश्ती खिलाड़ी के पिता ने बताया कि बुरी संगत के कारण उसका होनहार बेटा नशे की गिरफ्त में आया। नशे ने प्रतिभा के साथ-साथ उसकी पढ़ाई पर भी विराम लगा दिया। 8वीं में नशे की लत लगने के बाद वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाया। हालांकि नशा मुक्ति के लिए उन्होंने ज्योति को छह माह तक नशा मुक्ति केंद्र में भी रखा। लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। अपने बेटे को सुधारने के लिए जितनी मेहनत वह कर सकता था, उसने की। जब सफल नहीं हुआ तो अब उसने अपने बेटे को ईश्वर के भरोसे छोड़ दिया है।

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