25 दिसंबर 2010

खाद्य वस्तुओं पर टैक्स समाप्त करे सरकार-गर्ग

डबवाली (लहू की लौ) हरियाणा प्रदेश व्यापार मण्डल के प्रदेशाध्यक्ष तथा कॉन्फेड के चेयरमैन बजरंग दास गर्ग ने कहा कि 1 अप्रैल 2010 को करों का सरलीकरण करते हुए सरकार ने जीएसटी नाम से कर लगाने की योजना बनाई है। जिसका व्यापारियों को कर अदा करने में सुविधा रहेगी। उन्हें अलग-अलग से कर अदा नहीं करने पड़ेंगे।
वे शुक्रवार को मण्डल के शाखा अध्यक्ष इन्द्र जैन के निवास स्थान पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को जीएसटी लागू करने से पूर्व सोच-विचार कर खाद्य वस्तुओं को कर मुक्त तथा आम प्रयोग वाली वस्तुओं पर न्यूनतम टैक्स घोषित कर देना चाहिए, ताकि आम व्यक्ति को राहत मिल सके। गर्ग ने कहा कि सरकार उद्योग नीति 2005 का सरलीकरण करने जा रही है। नीति के लागू होते ही सिंगल विंडो सिस्टम शुरू हो जाएगा। उद्योग स्थापित करने के लिए जरूरी एनओसी लेने के लिए पहले व्यापारी को विभिन्न विभागों के धक्के खाने पड़ते थे। लेकिन अब एक ही विंडो पर उसे किसी भी विभाग की एनओसी मिल सकेगी। नई उद्योग नीति जनवरी 2010 में लागू होने की उम्मीद है। नीति लागू होते ही शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्राम स्तर पर भी उद्योग स्थापित किए जाएंगे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अपने निजी फायदे के लिए व्यापारी को दबाने वाले किसी भी सरकारी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा, सरकार की मदद से उसे खुड्डे लाईन लगा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार बनाने में प्रदेश के व्यापारियों ने अहम रोल अदा किया है। व्यापारियों की बदौलत ही हुड्डा दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। चौटाला सरकार में प्रदेश के किसान, व्यापारी तथा आम व्यक्ति पर जुल्म ढहाए जाते थे। प्रदेश में कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं था। इसके चलते ही प्रदेश के कई व्यापारी पलायन करने को मजबूर हुए। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सही मायने में प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना की है। जिसके कारण व्यापारियों को उनका हक मिला।
व्यापारी नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि किसान हितैषी होने का दम भरने वाले चौटाला ने आज तक एक भी कार्य किसानों के हित में नहीं किया। अलबत्ता वे आज हरियाणा की सबसे अहम योजना भूमि अधिग्रहण की आलोचना कर रहे हैं। जिसमें किसान को लाखों रूपए मुआवजा तथा वर्षों तक रॉयल्टी देने का प्रावधान है। हालांकि चौटाला के राज्यकाल में किसान को उसकी जमीन के अधिग्रहण के बदले दो-अढ़ाई लाख रूपए से ज्यादा राशि नहीं दी जाती थी।
इस अवसर पर व्यापारी नेता हीरा लाल शर्मा, इन्द्र जैन, प्रकाश चन्द बांसल, बख्तावर मल दर्दी, जगसीर सिंह मिठड़ी, प्रवीण सिंगला, दविन्द्र मित्तल, प्रेम सिंह सेठी, पवन गर्ग, जगदीप सूर्या, केके कामरा, सुरेंद्र सिंगला, मनीष जैन, आशू जैन आदि उपस्थित थे।

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