11 दिसंबर 2010

चलती ट्रेन में गुम हुई अनु पहुंच गई डबवाली

डबवाली (लहू की लौ) मंगलवार को चलती ट्रेन से एक पांच साल की लड़की अपनी मां की गोद से गायब हो गई। मार्ग में आई नहर में लड़की के गिरने का संदेह पैदा हुआ तो परिजन उसे नहर में तालाशने लगे। जबकि लड़की गाड़ी से डबवाली पहुंच चुकी थी। जीआरपी चौकी के कर्मचारियों ने पांच साल की इस लड़की को टॉफी, चॉकलेट देकर दुलारा और पुचकारा। एक सामाजिक संस्था की मदद से चौबीस घंटे के बाद लड़की अपने अभिभावकों की गोद में आ गई।
राकेश कुमार (32) निवासी बवनीपुर जिला मैनपुरी उत्तर प्रदेश ने बताया कि वह अपनी पत्नी सरिता के साथ पिछले दो माह से अबोहर के सुभाष नगर में रह रहा है और बब्बू नागपाल की नरमा की फैक्ट्री में काम करता है। मंगलवार रात को वह अबोहर से गाड़ी में बठिंडा पहुंचे तो मार्ग में उसकी पांच वर्षीय बेटी अनु ने उल्टी आने की बात कही और इतना कहते ही अनु गाड़ी में भागती हुई, अचानक गायब हो गई। हालांकि उसी दौरान अनु की माता सरिता ने डिब्बे में लड़की की खोज भी की। लेकिन कहीं नहीं मिली। जैसे ही गाड़ी बठिंडा आकर रूकी, उन्होंने अपनी अबोध बालिका की तालाश में पहले रेलवे स्टेशन की लाईनों में तालाश किया। बाद में उन्हें संदेह हुआ कि शायद लड़की बठिंडा के नजदीक मार्ग में आने वाली नहर में न गिर गई हो। इसलिए सुबह से ही वे नहर पर उसकी तालाश कर रहे थे।
उनके अनुसार किसी व्यक्ति ने उन्हें राय दी कि वह इस संदर्भ में बठिंडा की सहारा संस्था से संपर्क करे। वे वहां गए और उसको अपना मोबाइल नं. देकर फिर नहर पर ही लड़की की तालाश में जुट गए। जीआरपी डबवाली के प्रभारी एएसआई सुरेश कुमार ने बताया कि कालका-जोधपुर 4887 रेलगाड़ी बुधवार सुबह 5.23 पर जैसे ही डबवाली पहुंची तो गाड़ी के गार्ड मल सिंह मीणा ने एक पांच साल की अबोध बालिका को यह कहते हुए उन्हें सौंप दिया कि यह लड़की अपने माता-पिता से बिछुड़ गई है। लड़की को एएसआई सुरेश कुमार ने टॉफी, चॉकलेट बगैरा देकर उसकी पहचान जानने का प्रयास किया। लेकिन वर्दी को देखकर सहमी लड़की कुछ भी नहीं बोली।
एएसआई सुरेश कुमार ने सारी घटना को भांपते हुए वर्दी उतारी और साधारण वेष में लड़की से फिर पूछताछ शुरू कर दी। इस दौरान लड़की को जो भी उसने खाने पीने के मांगा, उसे दिया गया। धीरे-धीरे लड़की खुलने लगी और बोली कि उसके पिता का नाम राकेश है और माता का नाम सरिता। उसने यह भी बताया कि वह सिरसा की रहने वाली है। उसका पिता रूईं का काम करता है, तथा बब्बू करियाणा वाले से अक्सर वह घर का सामान खरीदते हैं। इस पर जीआरपी ने सिरसा और बठिंडा दोनों ही नगरों में लड़की की तालाश के लिए जीआरपी से संपर्क किया। लेकिन सबकुछ व्यर्थ साबित हुआ। इसके बाद एएसआई सुरेश कुमार के अनुसार उन्होंने सहारा संस्था बठिंडा से संपर्क किया। तब वहां कुछ भी मालूम नहीं हुआ। लेकिन दोबारा फिर संपर्क करने पर उन्हें राकेश कुमार का मोबाइल नं. मिला। इसी मोबाइल नं. से राकेश से संपर्क करके उन्हें पता चला कि उसकी पांच साल की बेटी गुम हुई है। पुलिस ने यह जानने के लिए की राकेश झूठ तो नहीं बोलता, लड़की को यहीं जीआरपी में रख लिया और स्वयं अपने दो साथी हवलदार लक्ष्मण सिंह तथा ईश्वर सिंह के साथ बठिंडा बठिंडा से राकेश कुमार को जीआरपी डबवाली ले आए। लड़की अपने पिता को देखते ही चिल्ला उठी और उसके पास आ गई।
जीआरपी ने लिखित-पढ़त करके लड़की को उसके पिता राकेश को सौंप दिया। बेटी को सही सलामत पाकर राकेश कुमार गदगद हो उठा। एएसआई सुरेश कुमार ने बताया कि जब वह सिरसा जीआरपी में कार्यरत थे, उस समय दस दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद लड़की के माता-पिता को ढूंढकर उन्हें सौंपने में सफल रहे थे।

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