16 दिसंबर 2010

वैदिक मंत्रों के साथ वार्षिक उत्सव शुरू

डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज द्वारा आयोजित वाॢषक उत्सव का शुभारम्भ बुधवार को सामवेद के वैदिक मन्त्रों के मध्य हुआ। उत्सव का प्रथम चरण एवं प्रथम पारिवारिक कार्यक्रम प्रात:कालीन वेला में पीएनबी के प्रबन्धक कुलदीप बांसल व उनके अनुज राजिन्द्र बांसल के निवास पर वैदिक हवन यज्ञ के साथ प्रारम्भ हुआ। जिसमें द्रोणस्थली आर्ष कन्या गुरूकुल की प्राचार्या सुश्री डॉ. अन्नपूर्णा व गुरूकुल की कन्याओं द्वारा सामवेद की ऋचाओं से हवन यज्ञ सम्पन्न करवाया गया।
भजनोपदेशक राजवीर शास्त्री ने ऐसा बना दो प्रभु जीवन मेरा, हर पल हो सुमिरन तेरा...., ओइम नाम का प्याला... भजनों से वातावरण को भक्तिरस से परिपूर्ण कर दिया। सुश्री डॉ. अन्नपूर्णा ने अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि परमपिता परमात्मा का निज नाम ओ३म् है तथा इसी की उपासना करने योग्य है। अधर्म के मार्ग पर चलकर हम सुख और शान्ति की कामना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हवन यज्ञ संसार का सबसे श्रेष्ठ कर्म है।
इस अवसर पर आर्य समाज के प्रधान एसके दुआ, कोषाध्यक्ष भारत मित्र छाबड़ा, प्रचार मन्त्री डॉ. अशोक आर्य, शशिकान्त शर्मा, बहादर ङ्क्षसह कूका, प्रदीप सुखीजा, सतीश अग्रवाल, महामन्त्री सुदेश आर्य सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं: