29 नवंबर 2010

बैठक में मृत्यु भोज का किया विरोध

डबवाली (लहू की लौ) मेघवाल महासभा की एक बैठक रविवार को बाबा रामदेव मंदिर धर्मशाला में हुई। जिसकी अध्यक्षता हल्का मलोट के पूर्व एमएलए नत्थू राम ने की।
बैठक को मेघवाल सभा श्री गंगानगर के अध्यक्ष अभय सिंह, पूर्व अध्यक्ष कांशी राम चौहान, मेघवाल महासभा हरियाणा के धन्ना दास ऋषि, लीलू राम मेघवाल सदस्य अखिल भारतीय मेघवाल महासभा, बुध राम जिला परिषद सदस्य, मास्टर किशन चन्द्र गंगा, आत्मा राम सुढा चौटाला, चानन सिंह ब्लाक अध्यक्ष औढ़ां, राजेन्द्र राठी ब्लाक अध्यक्ष डबवाली, इन्द्राज सिंह मेघवाल, बलकौर सिंह, राजा राम आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने अपने संबोधन में मेघवाल समाज के सदस्यों को संगठित होने का आह्वान किया। समाज में फैली कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, नशा खोरी तथा मृत्यु भोज जैसी बुराई को खत्म करने की शपथ दिलाई।
कौन हैं मेघवाल
इन्द्राज सिंह मेघवाल ने मेघवालों के संदर्भ में बताया कि मेघवालों के वंशज मेघ ऋषि हैं। जिन्होंने सर्वप्रथम कपड़ा तैयार किया। कुछ समय पूर्व इन्हें चमार (चमड़ा प्रयोग करने वाले) कहकर पुकारा जाता था। लेकिन मेघवालों का कार्य चमड़े का न होकर कपड़ा बनाना है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी चमार को अपमानित शब्द की संज्ञा दी है। इस प्रकार अब उनके जाति प्रमाण पत्रों में चमार की अपेक्षा मेघवाल शब्द का प्रयोग होने लगा है। मेघवाल अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं। पूरे भारत में इनकी संख्या तकरीबन 10 करोड़ है। जिनमें से करीब 15 लाख मेघवाल हरियाणा राज्य में रहते हैं।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

आपने मेघवाल समाज में समाज सुधार संबधी समाचार कवर किया। इसके लिए धन्यवाद। वहां के लोगों ने मेघवाल जाति के नाम से प्रमाण पत्र बनवाना तय किया। उन सबको बधाई। मैं आपका यह समाचार मेरे मेघ न्यूज ब्लॉग पर साभार लगा रहा हूॅं।