09 अप्रैल 2010

फिल्मां विच कुड़ियां नाल जफियां पानियां छड्ड दित्तियां ने ...

डबवाली। पंजाबी फिल्मों के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता मेहर मित्तल ने कहा कि अब उन्होंने फिल्मां विच कुड़ियां नाल जफियां पानियां छड्ड दित्तियां ने। वे अब अपना सारा जीवन धार्मिक व्यक्ति के रूप में जीना चाहते हैं। वे बुधवार को प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थानीय शाखा गीता पाठशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
करीब दो सौ पंजाबी फिल्मों में बतौर हास्य अभिनेता के रूप मंे काम कर चुके मेहर मित्तल ने कहा कि उन्होंने फिल्मी जिंदगी की शुरुआत इंद्रजीत हंसपुरी की फिल्म ‘तेरी मेरी इक जिंदडी’ से की थी और अपनी जिंदगी का एक अहम हिस्सा पंजाबी फिल्मों मंे गुजारने के बाद अब उन्होंने किनारा कर लिया। वे अपना सौ फीसदी सहयोग पंजाबी फिल्म जगत को नहीं दे पाए।
मित्तल के अनुसार ‘गुड़ खा के मर जाना’ नामक पंजाबी फिल्म में अपना किरदार पूरा करने के बाद फिल्म इंडस्ट्री से संन्यास ले लिया है। यह फिल्म कुछ ही दिनों में रिलीज होने वाली है। मेहर मित्तल ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि आज का पंजाबी फिल्म जगत एनआरआई के हाथों में खेल रहा है। स्क्रिप्ट को ध्यान में रखे बिना ही किसी विशेष एनआरआई की ख्वाहिश पर फिल्म तैयार कर ली जाती है।
उन्होंने इस बात पर भी दुःख जताया कि पश्चिमी सभ्यता के चलते पंजाबी फिल्म जगत के साथ-साथ हिंदी फिल्म जगत भी अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। भारतीय सिनेमा के पिटने का मुख्य कारण भारतीय फिल्मों में पश्चिमी संस्कृति का प्रभावी होना है।
उन्होंने कहा कि बिना हास्य किरदार के पंजाबी फिल्मों का चल पाना मुश्किल है, लेकिन खाली पेट रहकर यह किरदार भी नहीं निभाया जा सकता। उन्होंने राजनीति में आने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि वे इससे दूर रहना ही पसंद करते हैं। वे जय माता शेरावाली, विलायती बाबू, मां दा लाडला, अंबे मां-जगदंबे मां का फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब वे अपना जीवन धर्म के प्रति समर्पित कर चुके हैं। जो अब जिंदगी बची है, वह इसे धर्म प्रचार में ही लगाएंगे।
इससे पूर्व गीता पाठशाला में पधारने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस मौके पर आशा देवी और ब्रह्मकुमार सूर्य प्रकाश, ज्ञान प्रकाश, कमलेश, वेदप्रकाश, मिट्ठू राम, विजय कुमार आदि उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं: