12 मार्च 2010

सेतिया कॉलोनी में बरामद हुई लापता छात्रा

श्रीगंगानगर। एक महीने से मारी-मारी फिर रही पुलिस को आज अपराह्न राहत की सांस मिली, जब कथित रूप से अपहृत एक स्कूली छात्रा को स्थानीय सेतिया कॉलोनी में पुलिस चौकी के समीप एक घर से बरामद कर लिया गया। पूजा नाम की बारहवीं कक्षा की यह छात्रा हनुमानगढ़ जंक्शन के समीप चक 20 एलएलडब्लयू से विगत 7-8 फरवरी की रात को लापता हो गई थी। उसके पिता बनवारीलाल सहारण ने दस फरवरी को महिला थाने में अज्ञात व्यक्तियों पर पूजा का अपहरण कर लेने के आरोप में मुकदमा दर्ज करवाया था। हनुमानगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यादराम फासल ने पूजा को बरामद कर लिये जाने की जानकारी देते बताया कि कल उसे जोधपुर हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। पूजा की बरामदगी के लिए उसके पिता ने पिछले सप्ताह जोधुपर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट में पूजा द्वारा बयान दिये जाने पर उसी के अनुरूप आगे की कार्यवाही की जाएगी।
पूजा के लापता और उसके बरामद होने के पीछे एक सनसनीखेज, दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तां सामने आई है। यह दास्तां श्रीगंगानगर शहर के एक ऐसे घिनौने सच को बेनकाब करती है, जिसमें घर से निकली और राह भटकी हुई लड़कियों को किस तरह बरगलाकर उन्हें अपने घरवालों के विरूद्ध ही कर दिया जाता है। इस मामले में सेतिया कॉलोनी की एक संदिग्ध चरित्र की महिला की भूमिका की पुलिस ने गहन छानबीन करने की ठानी है, जबकि एक टैम्पू चालक भी संदेह के घेरे में है।
हनुमानगढ़ पुलिस के अनुसार पूजा के बरामद होने पर उससे फिलहाल शुरूआती पूछताछ हो पाई है, लेकिन उसने जो कुछ बताया है, उस पर सहज रूप से शायद ही कोई विश्वास कर पायेगा। जांच में पता चला है कि पूजा के पास एक मोबाइल फोन था, जिस पर अकसर फोन कॉल तथा एसएमएस आते रहते थे। इस मोबाइल के लिए नरसी नामक युवक ने अपने नाम से सिमकार्ड लेकर दे रखा था। जिनके फोन इस नंबर आते थे, उनमें जितेंद्र सिहाग नामक एक युवक भी था, जो श्रीगंगानगर में शेयरों के एक कारोबारी के दफ्तर में काम करता था। पूजा के अपहरण का मुकदमा दर्ज होने के बाद सबसे पहले उसके मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकाली गई। यह फोन पूजा घर में ही छोड़ गई थी। कॉल डिटेल से पता चला कि डेढ़ दर्जन ऐसे नंबर हैं, जिनसे सबसे अधिक कॉलें आई थीं। इन सब नंबरों की पड़ताल करने पर नरसी तथा जितेंद्र सिहाग को गिरफ्तार किया गया। यह दोनों आठ फरवरी के बाद पूजा से मिलने से इंकार करते रहे। अलबत्ता नरसी ने बताया कि आठ फरवरी को पूजा ने किसी नये नंबर से उसे फोन किया तथा गांव से गंगानगर मिलने के लिये बुलाया। उसने इंकार कर दिया। इसके बाद पूजा का फोन नहीं आया।
पुलिस के मुताबिक अब खुलासा हुआ है कि सात-आठ फरवरी की रात को घर से निकलकर पूजा पक्का सहारण के समीप गुरूनानकनगर के अड्डे पर आई, जहां तड़के उसे एक अखबार सप्लाई करने की जीप मिली। इस जीप से बस अड्डे पर पहुंची। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह कहां जाये। अड्डे से बाहर आकर वह इधर-उधर गलियों में घूम रही थी, तभी एक टैम्पू चालक की उस पर नजर पड़ गई। टैम्पू चालक ने उसे बातों में लगाया तो पूजा ने अंध विद्यालय चलने के लिए कहा। रास्ते में पूजा ने टैम्पू चालक के मोबाइल फोन से नरसी को कॉल की थी। इतने में टैम्पू चालक समझ गया कि पूजा घर से भागी हुई है। उसने रास्ते में टैम्पू अपना मोबाइल रिचार्ज करने के बहाने से रूकवाया और साईड में जाकर किसी को पूजा के बारे में बताया। बाद में अंध विद्यालय जाते समय टैम्पू चालक से पूछने पर बता दिया कि वहां उसका कोई नहीं रहता। वह तो अंध विद्यालय में रहने के लिए किसी ठिकाने का पता करने जा रही है। चालक ने उसे बताया कि अंध विद्यालय में इस तरह लड़कियों को नहीं रखा जाता। तब असमंजस की स्थिति में देखते हुए टैम्पू चालक ने पूजा को अपने जाल में फांसा और सीधे सेतिया कॉलोनी में अपनी एक परिचित महिला निर्मला (नाम तब्दील) के घर ले गया। इसी निर्मला के घर में पूजा एक महीने से टिकी हुई थी।
पुलिस के अनुसार निर्मला के यहां से बरामद होने के बाद से पूजा उसी के गुण गा रही है। वह अपने मां-बाप के पास जाने से इंकार कर रही है। यही नहीं उसका कथित रूप से यह भी कहना है कि मां-बाप उसे प्रताडि़त करते थे, इसलिए वह घर छोडऩे को मजबूर हुई है। दूसरी तरफ पुलिस अधिकारी निर्मला के चरित्र को संदिग्ध बता रहे हैं। उनका कहना है कि फिलहाल प्राथमिकता पूजा को कल हाईकोर्ट में पेश करने की है। इसके बा निर्मला और टैम्पू चालक की भूमिका की छानबीन की जाएगी। पुलिस ने मुताबिक निर्मला के सेतिया कॉलोनी इलाके में दो मकान है। उसकी एक पुत्री इन दिनों सिरसा के यहां आई हुई थी। निर्मला दिन में पूजा को अपनी पुत्री के साथ दूसरे मकान में रखती थी और रात को सोने के लिए अपने घर बुला लेती थी। पूजा का कहना है कि निर्मला के यहां रहते हुए उसे कोई तकलीफ नहीं हुई। वह उसे बड़े अच्छे-सलीके से अपने पास रख रही थी। यहां तक कि पूजा अब निर्मला को मम्मी कहती है।
पूजा के गायब होने के बाद से हनुमानगढ़ महिला थाना पुलिस का सारा ध्यान श्रीगंगानगर पर केंद्रित था। यहां आने के बाद आठ फरवरी को उसने एक एसटीडीपीसीओ से अपने घर फोन कर खुद के श्रीगंगानगर में होने की जानकारी दी थी। पिछले एक सप्ताह थानाप्रभारी जगदीश हुड्डा और एएसआई लेखराम श्रीगंगानगर में दल-बल सहित डेरा डाले हुए थे। स्थानीय पुलिस का भी सहयोग लिया जा रहा था। पूजा के इश्तिहार पूरे शहर में जारी किये गए। बावजूद इसके किसी को भनक नहीं लग रही थी कि पूजा सेतिया कॉलोनी पुलिस चौकी के समीप के एक मकान में ही रह रही थी।

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