02 जून 2011

आंगनवाड़ी केंद्रों पर गड़बड़झाला


डबवाली (लहू की लौ) खण्ड डबवाली में चल रहे आंगनवाड़ी केंद्र इन दिनों खास चर्चा में हैं। सरकार के नियमों के विपरीत महकमे में लगे लोगों के घरों पर खुले इन केंद्रों पर बच्चों को राशन तक नसीब नहीं हो रहा। यहां तक की इन पर तैनात अधिकतर वर्कर संबंधित विभाग के ही कर्मचारियों के परिवारों से हैं।
खण्ड डबवाली के अंतर्गत आने वाले 48 गांवों में 144 आंगनवाड़ी केंद्र चल रहे हैं। सरकार की ओर से केंद्रों पर आने वाले बच्चों को प्रतिदिन खाना देने का एक मेन्यू बनाया गया है। मेन्यू के मुताबिक आंगनवाड़ी केंद्र में सोमवार को मीठा दलिया, मंगलवार को आलू पुरी, बुधवार को मीठे चावल, गुरूवार को गुलगुले, शुक्रवार को परांठे तथा शनिवार को नमकीन दलिया बनाया जाना तय किया गया है। लेकिन पिछले कुछ माह से मेन्यू के विपरीत नमकीन दलिया ही बच्चों को परोसा जा रहा है। इस दलिया में भी कीट मौज कर रहे होते हैं। ऐसा भोजन बच्चों को स्वास्थ्य देने की बजाए कभी भी अस्पताल भेज सकता है। नियमानुसार आंगनवाड़ी केंद्र सार्वजनिक जगह पर खोले जाते हैं। यहां तक की बिना पंचायत की मंजूरी के बिना कोई भी केंद्र किसी भी जगह नहीं खोला जा सकता। लेकिन इस क्षेत्र में तो नियम बताने वाले महकमे के कर्मचारियों के घरों में ये केंद्र चलाए जा रहे हैं।
गांव लोहगढ़ की महिला सरपंच के प्रतिनिधि नछत्तर सिंह, मां भगवती वैल्फेयर युवा क्लब लोहगढ़ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार, विक्रम सेठी, रामकरण, कर्मजीत, अमरजीत, रविदास, ज्योति लाल, तरसेम कुमार राकेश कुमार आदि ने बताया कि उनके गांव में पांच आंगनवाड़ी केंद्र चल रहे हैं। पिछले तीन माह से इन केंद्रों में आने वाले बच्चों को भोजन के नाम पर केवल नमकीन दलिया ही परोसा जा रहा है। इस दलिया में भी कीट होते हैं। ऐसे में बच्चों को स्वास्थ्यप्रद भोजन देने के सरकार के दावे बेमानी लगते हैं। सरपंच प्रतिनिधि के अनुसार इन केंद्रों पर तैनात वर्कर कभी-कभी ही उपस्थित होती हैं। इन केंद्रों पर कितने बच्चे हैं, कितना राशन आता है या कितना राशन आया है, इसके हिसाब-किताब वाला रजिस्टर केंद्र में होने की बजाए वर्करों के घरों में मिलता है। यहां तक की गांव का एक सैंटर विभाग का ही एक कर्मचारी चला रहा है। केंद्रों हो रही गड़बडिय़ों के संबंध में पंचायत कई दफा प्रस्ताव पास करके प्रशासन से कार्रवाई की गुहार लगा चुकी है। लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।
इस संबंध में जब सीडीपीओ डबवाली रमावती से बातचीत की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि राशन न आने की वजह से खण्ड के आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों को नमकीन दलिया ही दिया जा रहा है। राशन उपलब्ध होते ही सुपरवाईजरों की मार्फत संबंधित केंद्रों को भेज दिया जाएगा। उनके अनुसार आंगनवाड़ी केंद्र घर के किसी कमरे में नहीं खोला जाता। नियमानुसार यह केंद्र पंचायत की सहमति से सार्वजनिक जगह पर ही खोला जा सकता है। घरों में खुले केंद्र को सार्वजनिक जगह पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। सीडीपीओ के अनुसार केंद्रों पर आने वाले राशन का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है। यह रिकॉर्ड केंद्र में पड़ा होता है। कोई वर्कर इसे अपने घर पर नहीं ले जा सकता।
इस संदर्भ में उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि संबंधित विभाग को आंगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। अगर किसी केंद्र में गड़बड़ी पाई जाती है, तो संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

गड़बड़ी की आशंका
आंगनवाड़ी केंद्रों पर भेजे जाने वाले राशन में हेरफेर की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। चूंकि इन केंद्रों पर भेजा जाने वाला राशन केंद्र पर जाने की बजाए रास्ते में ही कहीं गायब हो जाता है। लोहगढ़ के आंगनवाड़ी केंद्रों पर तैनात हैल्पर श्वेता रानी, रानी  देवी, सरोज रानी ने बताया कि वे नहीं जानती कि विभाग की ओर से केंद्र में तैनात बच्चों के लिए कितना राशन भेजा जाता है। उनके अनुसार केंद्र पर तैनात वर्कर मात्र एक सप्ताह का राशन लेकर आती हैं। वही राशन वे बच्चों में बांट देती हैं।

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