01 दिसंबर 2010

7 साल के बाद फौजी विधवा को मिला इंसाफ

मलोट (लहू की लौ) अपने ही गांव के एक स्वर्ण जाति से संबंधित व्यक्ति के हाथों मानसिक और शारीरिक छेड़छाड़ का शिकार हुई फौजी की दलित विधवा की पुलिस द्वारा सुनवाई न किये जाने के बाद पीडि़ता ने अदालत में गुहार लगाई और उसे 7 साल के बाद इंसाफ मिल गया।
गांव किलियांवाली की एक दलित महिला रछपिन्द्र कौर उर्फ माया पत्नी पिरथी सिंह फौजी ने 6 अक्तूबर 2003 को मलोट के उपमंडल न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में धारा 354/380/382/323/506/452 आईपीसी और एससी व एसटी एक्ट के तहत इस्तगासा दायर करके इंसाफ की मांग की थी। अपनी शिकायत में पीडि़ता ने कहा था कि उनके ही गांव किलियांवाली के राजवीर सिंह उर्फ मक्खन ने 26 अगस्त 2003 को खेत जाते समय रास्ते में घेर लिया और बुरी नीयत से शारीरिक छेड़छाड़ की और उसे गांव के ही लोगों ने आकर बचाया। उसने इस संबंध में चौकी किलियांवाली में शिकायत की लेकिन उसे इंसाफ नहीं मिला।
उपमंडल न्यायिक दंडाधिकारी मलोट कृष्णकांत की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दोषी करार देते हुए आरोपी राजवीर सिंह को एक साल की कैद की सजा सुनाई।

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