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Lahoo Ki Lau

युवा दिलों की धड़कन, जन जागृति का दर्पण, निष्पक्ष एवं निर्भिक समाचार पत्र

27 दिसंबर 2024

पंजाब के बठिंडा में दर्दनाक हादसा, यात्रियों से भरी बस नाले में गिरी; 5 लोगों के मारे जाने की सूचना




 बठिंडा। पंजाब के बठिंडा में एक बस के नाले में गिर जाने से बड़ा हादसा हो गया। जानकारी के अनुसार, यह दुर्घटना जिले के अतर्गत गांव जीवन सिंह वाला के पास हुई। इस हादसे में 5 लोगों के मारे जाने की सूचना है। बस हादसे में चालक की भी मौत हो गई। जिसकी पहचान मानसा वासी बलकार सिंह के तौर पर हुई। वहीं, दुर्घटना में तकरीबन 15 लोगों के घायल हो गए हैं। मौके पर एनडीआरएफ की टीम बचाव के लिए पहुंची है।

बस के नाले में गिरने के कारणों का अभी पता नहीं लग पाया। फिलहाल लोगों को बाहर निकालने का बचाव कार्य जारी है। यह बस सरदूलगढ़ से बठिंडा आ रही थी।

यह हादसा बठिंडा तलवंडी साबो रोड पर गांव जीवन सिंह वाला के करीब एक निजी कंपनी के पास हुआ। बस में 30 से 35 यात्री सवार थे।




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27 Dec. 2024





 

25 दिसंबर 2024

सीआईए कालांवाली ने लूट के गिरोह का भंडाफोड़ किया



डबवाली, 25 दिसम्बर – पुलिस अधीक्षक सिद्धांत जैन ने बताया कि सीआईए कालांवाली और साइबर सेल की टीम ने 40 घंटे के अंदर देसू नहर पुल के पास हुई लूट की वारदात में शामिल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों से लूटा गया मोबाइल और 8,000 रुपये की नगदी बरामद हुई।

25 Dec. 2024





 

21 दिसंबर 2024

21 Dec. 2024





 

"चौधरी ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा की राजनीति के बरगद"

वे 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उनकी हाजिऱ जवाबी और वाकपटुता का कोई सानी नहीं है। गजब की यादाश्त कार्यकर्ताओं संग उनका जुड़ाव भी अपने आप मे एक मिसाल है। साल 1970,1990 साल 1993 साल 1996 साल 2000 साल 2005 साल 2009 में  विधानसभा के सदस्य रहे। एक बार राज्यसभा के लिए भी मनोनीत हुए

70 के दशक में ओम प्रकाश हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हुए। 90 के दशक में वे ओम प्रकाश से चौटाला हो गए। चौटाला उनका पैतृक गांव है। अब ये नाम केवल हरियाणा की राजनीति ही नहीं बल्कि सिनेमाई दुनिया में भी जाना पहचान नाम है धमेंद्र का मैं सु चौटाले का जाट डायलोग कौन भुल सकता है और चन्द्रमुखी चौटाला व चक दे इंडिया की कोमल चौटाला के किरदार भी इसके उदाहरण हैं। 

सियासत के बरगद और भीष्म पितामह ओम प्रकाश चौटाला की कहानी पर एक नजऱ ।

1 जनवरी 1935 को चौटाला का जन्म हुआ। अपने पिता चौधरी देवीलाल की सियासी नर्सरी में उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा। चौधरी देवीलाल की पाठशाला से निकले विधार्थी ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा की राजनीति के सबसे बड़े किरदार थे।  चौटाला ने साल 1968 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा ऐलनाबाद विधानसभा सीट से हरियाणा विशाल पार्टी के लाल चंद खोड से चुनाव हार गए।

चुनाव को लेकर चौटाला ने पहल हाइकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट की शरण ली साल 1968 का चुनाव रद्द हो गया और 1970 में उप चुनाव हुआ।

उप-चुनाव जीतकर चौटाला पहली बार हरियाणा विधानसभा पहुँचे। इसके बाद चौटाला ने लम्बे समय तक विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा 1972,1977,1982,1987 के चुनावी समर में नहीं उतरे और इन चुनावों में चुनावी रणनीतिकार की भुमिका अदा करते रहे। साल 1990 में चौटाला हरियाणा की राजनीति के जाना पहचाना नाम बन गए। अब वे ओम प्रकाश से ओम प्रकाश  चौटाला हो गए। अपने पिता चौधरी देवीलाल के केन्द्र की राजनीति में जाने के बाद जब औम प्रकाम चौटाला ने मुख्यमंत्री की कामान संभाली तो प्रदेश की राजनीति में खूब हला और हंगामा हुआ। दिसंबर 1989 में चौधरी देवीलाल केन्द्र की राजनीति में चले गए और उप-प्रधानमंत्री बन गए। उन्होंने मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया और महम विधानसभा सीट से त्याग पत्र दे दिया। इसी बीच देवीलाल के बेटों ओम प्रकाश चौटाला और चौधरी रणजीत सिंह चौटाला के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सियासी जंग सामने आने लगी। खैर चौधरी देवीलाल ने ओम प्रकाश चौटाला पर भरोसा जताया ऐसे में ओम प्रकाश चौटाला 2 दिसंबर 1989 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए। साल 1987 के विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश चौटाला ने किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ा था। चूंकि अब ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए थे तो 6 माह के भीतर विधायक बनना जरूरी था। अब उन्होंने पिता द्वारा इस्तीफा दी गई महम सीट से चुनाव लडऩा मुनासिब समझा। ये फैसला चौटाला ही नहीं बल्कि उनके पिता के लिए भी एक भारी भूल साबित हुआ। कभी महम में देवीलाल के सारथी रहे आनंद सिंह दांगी चुनाव लडऩे की चाहत पाले हुए थे। कहीं न कहीं महम की जनता भी उनके साथ थी। अब फऱवरी 1990 में महम में उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में बुथ कैप्चरिंग हुई ,गोलीबारी हुई  कई लोग मारे गए। दुसरी बार उप चुनाव हुआ इस बार लोकदल के उम्मीदवार का मर्डर हो गया। ऐसे में 171 दिन तक मुख्यमंत्री की पारी खेलते हुए उनकी विकेट गिर गई। इसी बीच चौटाला में अपने विश्वास पात्रों में शुमार बनारसी दास गुप्ता को मुख्यमंत्री बना दिया। गुप्ता 22 मई 1990 से लेकर 12 जुलाई 1990 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। दूसरी बार ओम प्रकाश चौटाला ने 12 जुलाई 1990 को हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। महम कांड अभी भी चौटाला का पीछा नहीं छोड़ रहा था

6 दिन बाद ही चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा।हरियाणा की राजनीति में आज भी 6 दिन का कार्यकाल रिकॉर्ड है। चौटाला की कुर्सी पर चरखी दादरी के मास्टर हुकम सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया। मास्टर हुकम सिंह का कार्यकाल भी 17 जुलाई 1990 से लेकर 22 मार्च 1991 तक  रहा। इसके बाद 22 मार्च 1991 को चौटाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ ली। महम कांड के चलते न केवल चौटाला की कुर्सी गई बल्कि चौधरी देवीलाल को भी प्रधानमंत्री का पद छोडऩा पड़ा। खैर ओमप्रकाश चौटाला चौथी बार 1999 में मुख्यमंत्री बने इस बार चौटाला ने सियासी चतुराई दिखाई।  चौटाला के पिता देवीलाल अब उम्रदराज हो चुके थे उन्होंने साल 1998 में रोहतक संसदीय सीट से चुनाव लड़ा परंतु भुपेंद्र सिंह हुड्डा से हार गए। ऐसे में चौटाला पार्टी में सर्वे सर्वा थे।  ऐसे में अप्रैल 1998 में चौटाला ने क्षेत्रीय दल ' इंडिइन नेशनल लोकदल' का गठन किया। 1991 में प्रदेश में बंसीलाल की सरकार बनी थी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन करके सरकार बनाई थी। अप्रैल 1999 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की सरकार हिचकोले खाने लगी। जुलाई की उमस भरी गर्मी में चौटाला 22 विधायकों को अपने पाले में करने में सफल हो गए थे।इंडियन नेशनल लोकदल के सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला अब इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। 24 जुलाई 1999 को विधानसभा में बहुमत साबित करने का दिन मुकर्रर था।बंसीलाल राजनीति के बड़े खिलाड़ी थे।उन्हें आभास हो चुका था कि वे विधानसभा में विश्वास मत साबित नहीं कर पाएंगे। ऐसे में बंसीलाल ने 23 जुलाई 1999 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 89 विधानसभा सदस्यों में से चौटाला ने 45 सदस्यों का बहुमत दिखाया और 24 जुलाई 1999 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले चौटाला तीन बार टुकड़ों में हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके थे।ऐसे में चौटाला अब मुख्यमंत्री की लंबी पारी खेलने की रणनीति पर काम कर रहे थे। उनकी किस्मत और राजनीति के समीकरण भी उनके पक्ष में जा रहे थे।अक्टूबर 1999 में संसदीय चुनाव हुए। कारगिल युद्ध के बाद यह देश का पहला संसदीय चुनाव था और पूरे देश के साथ-साथ हरियाणा में भी इसका असर देखने को मिला।इनेलो और भाजपा ने मिलकर संसदीय चुनाव लड़ा और क्लीन स्वीप करते हुए हरियाणा की 10 संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की। 5 सीटों पर इनेलो को और 5 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली। इस जीत से चौटाला बहुत उत्साहित थे। अब हरियाणा विधानसभा के चुनाव सन् 2001 में होने थे परंतु चौटाला ने संसदीय चुनाव की अपार जीत को देखते हुए विधानसभा चुनाव को समय से पहले करवाने का निर्णय किया।ऐसे में फरवरी 2000 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए। इनेलो और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। ऐसे में चौटाला हरियाणा के पांचवी बार मुख्यमंत्री बने।ऐसे में इंडियन नेशनल लोकदल पहली बार फरवरी 2000 से फरवरी 2005 तक स्थाई सरकार चलाने में कामयाब हुई। इस कार्यकाल में ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा की राजनीति में चौपाल कल्चर को बढ़ावा दिया। "सरकार आपके द्वार" कार्यक्रम की शुरुआत की। ऐसे में चौटाला प्रत्येक गांव में सार्वजनिक स्थान पर पहुंचते और लोगों से रूबरू होते। लोगों की समस्याएं सुनते हुए चौटाला सार्वजनिक समस्याओं को सुनते हुए अफसर को फटकार लगाने में कभी गुरेज नहीं करते थे।चौटाला के बारे में एक रोचक तथ्य भी है कि वह 119 देश की यात्रा कर चुके हैं वे बताते है कि मुख्यमंत्री बनने से पहले वह भारत के प्रत्येक राज्य की यात्रा कर चुके थे। और कभी भी विदेश यात्रा के समय सरकारी खजाने का उपयोग नहीं किया। चौटाला ने जेल में रहते हुए 10 सवीं की परीक्षा पास की 12वीं भी जेल से उतीर्थ की बालीवुड की 'फि़ल्म 10 सवीं' अभिषेक बच्चन ने चौटाला की भूमिका अदा की। चौटाला काफी प्रयोगिक राजनेता थे वे स्वयं  बताते हैं कि वे दिन बदलने के बाद सोया करते थे। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में सभी प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दिया था कि वह दिन बदलने से पहले कभी भी रात को टेलीफोन के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं क्योंकि उनका निजी मानना था कि प्रशासनिक अधिकारी शाम को शराब पीकर सो जाते हैं। चौटाला का इतना खौंफ था कि प्रशासनिक अधिकारियों ने शाम की शराब छोड़ दी थी। चौटाला प्रशासन के ऊपर पकड़ बनाने में एक सफल मुख्यमंत्री रहे। असल राजनेता वहीं होता है जो नौकरशाही को कभी हावी न होने दे चौटाला ने ऐसा कर दिखाया।


मनदीप बिश्नाई विभाग- राजनीतिक विज्ञान

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19 दिसंबर 2024

19 Dec. 2024






 

डबवाली रेल यात्रियों के लिए चेतावनी : मोबाइल ऐप की जानकारी पर न करें भरोसा


डबवाली(लहू की लौ) रेलगाड़ी से सफर करने वाले यात्री सतर्क हो जाएं। यदि आप अपने मोबाइल पर उपलब्ध ट्रेन की समय-सारणी देखकर यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपको धोखा दे सकती है। इससे आपकी ट्रेन छूटने की संभावना बन सकती है। बुधवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिससे यात्रियों को बड़ी असुविधा हुई।

डबवाली से हनुमानगढ़ जाने वाली ट्रेन का समय मोबाइल ऐप वेयर इज़ माई ट्रेन पर गलत दिखने के कारण रतन राडौढ़ को परेशानी झेलनी पड़ी। रतन जब अपने एक रिश्तेदार को रेलवे स्टेशन पर छोडऩे गए, तो उन्हें पता चला कि ट्रेन मोबाइल ऐप पर दिखाए गए समय से 30 मिनट पहले ही स्टेशन से रवाना हो चुकी थी।

कैसे हुआ यह हादसा?

रतन के रिश्तेदार को ट्रेन नंबर 09750 से बठिंडा से सूरगढ़ जाना था। ट्रेन का वास्तविक समय दोपहर 2:50 बजे था। हालांकि, रतन ने मोबाइल ऐप पर ट्रेन का समय चेक किया, जहां ट्रेन के 30 से 40 मिनट देरी से आने की सूचना दी गई थी। इस पर भरोसा करके वे स्टेशन पहुंचे, लेकिन तब तक ट्रेन अपने निर्धारित समय पर रवाना हो चुकी थी।

यात्रियों को भुगतना पड़ा नुकसान

रतन के मुताबिक, ट्रेन का किराया मात्र 10 से 15 रुपये था, लेकिन गलत जानकारी के कारण उन्हें और उनके रिश्तेदार को परेशानी का सामना करना पड़ा। उनके रिश्तेदार को मजबूरी में बस का सहारा लेना पड़ा, जिसके लिए 40 रुपये खर्च करने पड़े। जबकि वे ट्रेन को अधिक सुगम और किफायती विकल्प मानते हैं।

यह पहला मामला नहीं है

रेलवे विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह कोई नया मामला नहीं है। बठिंडा से चलने वाली अन्य ट्रेनों के समय भी मोबाइल ऐप पर गलत दिखाए जाने की शिकायतें पहले भी मिल चुकी हैं।

समाधान की मांग

यात्रियों ने रेलवे विभाग से आग्रह किया है कि मोबाइल ऐप पर समय-सारणी की जानकारी को सही और सटीक किया जाए। यदि ऐसा संभव न हो तो विभाग इस लापरवाही के लिए संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में यात्रियों को ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े।

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हरियाणा सरकार ने गौशालाओं को चारे के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि को बढ़ाया पाँच गुणा


गौशालाओं के विकास और गौ वंश के कल्याण के लिए लगातार बजट में की जा रही बढ़ौतरी

चंडीगढ़ (लहू की लौ) हरियाणा को बेसहारा गौवंश मुक्त प्रदेश बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री  नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा समर्पित प्रयास किए जा रहे हैं। गौशालाओं के विकास और गौ वंश के कल्याण के लिए प्रदेश सरकार लगातार बजट में  बढ़ौतरी कर रही है। इसी कड़ी में गोवंश की देखभाल हेतु राज्य सरकार ने गौशालाओं को दी जाने वाली प्रतिदिन चारा राशि में पांच गुणा वृद्धि की है।

सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के निर्णय के अनुसार अब, गौशालाओं को प्रति गाय 20 रुपये प्रतिदिन, नंदी के लिए 25 रुपये प्रतिदिन तथा बछड़ा / बछड़ी के लिए 10 रुपये प्रतिदिन चारे के लिए अनुदान के रूप में दिये जाएंगे। इसके लिए 211 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।

प्रवक्ता ने बताया कि सरकार का ध्येय लोगों में जागरूकता बढ़ाकर गौमाता व गोवंशों को सडक़ों पर छोडऩे की बजाए पास की गौशालाओं में पहुंचाना है।