डबवाली (लहू की लौ) गांधी आश्रम दांतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) के संचालक हिमांशु कुमार ने कहा कि सरकार विदेशी कम्पनियों से सौदेबाजी करके देश के धन को लूटा रही है। माईनिंग के लिए सेना और पुलिस के बल पर गरीब लोगों की जमीन हथियाई जा रही है। इंसाफ मांगने वाले को नक्सली करार देकर उसकी हत्या कर दी जाती है।
वे शनिवार को ऑप्रेशन ग्रीन हंट के विरोध में अपने भारत भ्रमण के दौरान डबवाली में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्र 5वें अनुसूचित जाति एरिया में आते हैं। क्षेत्र में कानून पेसा लागू होता है। बिना ग्राम सभा की मंजूरी के लिए इस क्षेत्र में पुलिस भी प्रवेश नहीं कर सकती। विदेशी कम्पनियां रूठ न जाएं इसके लिए सरकार कानून को धत्ता बताते हुए जबरन इन क्षेत्रों में प्रवेश करती है। माईनिंग के उद्देश्य से लोगों की जमीनों पर कब्जे करती है। विरोध करने वालों को नक्सली कहकर गोली मरवा दी जाती है।
उन्होंने कहा कि 1 अक्तूबर 2009 को दांतेवाड़ा के गांव गोमपाक में एक दो साल के बच्चे मुकेश की सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन ने बाएं हाथ की तीन अंगुलियां काट दी। इतना ही नहीं बल्कि मुकेश की मां, नाना-नानी को भी मौत के घाट उतार दिया। गांव के अन्य 9 लोगों को मारा गया। साथ लगते गांव के भी 17 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।
महात्मा गांधी और बिनोवा भावे के साथी प्रकाश भाई के बेटे हिमांशु ने कहा कि 18 वर्षों से वह अपने एक हजार साथियों के साथ दांतेवाड़ा के कंवल नार गांव में बनवासी चेतना आश्रम चला रहा था। जिसमें बच्चों को फ्री शिक्षा और ग्रामीणों उपचार किया जाता था। लेकिन सरकार ने उसे नक्सलियों के साथ जोड़कर आश्रम पर बुल्डोजर चलवा दिया। सरकार द्वारा नक्सलियों के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम में अब तक एक भी नक्सली नहीं मारा गया। मारे तो केवल आम लोग गए हैं। उनके अनुसार यह मार-धाड़ बिना जांच किए ही चल रही है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे नक्सली नहीं है और न ही नक्सलियों की किसी संस्था से सम्बन्ध रखते हैं। अपने मतलब के लिए हिंसा फैलाकर देश में अशांति स्थापित करने वाले कांग्रेसियों और भाजपाईयों को नक्सली नहीं कहा जाता। जबकि अपना हक मांगने वाले गरीब लोगों को नक्सली कहा जा रहा है। हिमांशु कुमार ने कहा कि ऑप्रेशन ग्रीन हंट से पहले सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ सलवायुडू नामक एक ऑप्रेशन चलाया था। ऑप्रेशन के दौरान नागा बटालियन ने दांतेवाड़ा के 644 गांवों को खाली करवाकर आग लगा दी। जिससे 4 लाख लोग विस्थापित हो गए। कुछ लोगों ने आंध्र प्रदेश में शरण ली और कुछ ने दूर-दराज के गांवों में। जबकि कुछ लोग जंगलों में भाग लिए। जंगलों में छुपे हुए लोगों को नक्सली कहकर सरकार ऑप्रेशन ग्रीन हंट चला रही है।
उन्होंने कहा कि ये सरकारें न्यायालय के आदेशों की भी अवहेलना करती हैं। कोर्ट के आदेश के बावजूद भी उजाड़े गए आदिवासियों को सरकारों ने नहीं बसाया है। उन्होंने सरकार को चेताया कि जुल्म से हिंसा फैलती है और अशांति भी। इसलिए सरकार संयम से काम ले और जो लोग अधिकार मांग रहे हैं, उन्हें उनके जायज अधिकार दे।
हिमांशु के अनुसार वे अपने साथी अभय के साथ 27 जून को दिल्ली से ऑप्रेशन ग्रीन हंट के विरोध में देश की साईकिल यात्रा पर निकले हैं। इस अवसर पर उनके साथ शहीद भगत सिंह विचार मंच डबवाली के बलजीत सिंह, अश्विनी शर्मा उपस्थित थे।
1 टिप्पणी:
अगर ऐसे ही चलेगा तो विरोध तो होना ही हुआ और जायज भी है क्यूँकि सरकार का नक्सलियों पर तो बस चलता नही तो आम जन को उखाड कर वैसे ही उस स्थान को नक्सलियों को सौंप देगी और इससे बेहतर तो शायद सरकार के पास उपाय भी नही होगा…………इन ही कारणो से देश का ये हाल है।
कल (19/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें