डबवाली (लहू की लौ) लोहड़ी के पवित्र त्यौहार की समय के साथ परम्परा लुप्त होती जा रही है। कभी यह त्यौहार वार्ड का सांझा त्यौहार होता था लेकिन समय के साथ यह त्यौहार पारिवारिक त्यौहार में सिमटता जा रहा है। लोगों के सुख—दु:ख को सांझा करने वाला यह त्यौहार केवल अहम् का त्यौहार बनता जा रहा है।
करीब 8 वर्ष पूर्व लोहड़ी के त्यौहार पर मुहल्ले के सभी लोग इक्_े हो जाते और सांझे तौर पर एक स्थान पर लकड़ी तथा उपलों को जला कर लोहड़ी मनाते। इस अवसर पर सभी लोग मूंगफली, तिल, रेवड़ी, गुड़ अग्नि में डालते। यह लोहड़ी 15-15 फुट तक होती और दूर-दूर तक बैठे लोगों को सर्दी से राहत दिलाती। यहीं बल्कि लोहड़ी को एक दवा के रूप में भी पूजा जाता था। मूली लेकर उस पर तिल लगा कर सात बार लोहड़ी के ऊपर से मूली को घुमा दिया जाता और अगले दिन सुबह खाली पेट इस मूली को खाया जाता। इस संबंध में किदवंति प्रचलित थी कि इस मूली को खाने वाले का सिरदर्द नहीं होता और एक साल बार तक सांप भी नहीं डंसता।
यह शब्द किसी और के नहीं बल्कि अपने जीवन के 8 दशक पूरे कर चुकी वृद्धा दर्शना देवी पत्नी अमर पाल सचदेवा के हैं। उनके अनुसार वह पिछले 80 वर्षों से लोहड़ी का पर्व देखती आ रही है। लेकिन समय के साथ लोहड़ी के प्रति लोगों के रूझान में आ रही कमी उसे खलती है। वह भी जमाना था जब लोहड़ी के पास बैठ कर महिला और पुरूष केवल गीत ही नहीं गाते थे बल्कि एक-दूसरे के सुख—दु:ख की बातें करके उनका समाधान भी ढूंढ़ते थे। लेकिन युग के साथ त्यौहार भी बदल गया है। मुहल्ले का त्यौहार पहले गली में सिमटा और अब परिवार में सिमट गया है। अहम् और स्वार्थ के चलते लोग सांझा त्यौहार मनाने की अपेक्षा अपने ही घरों के आगे लोहड़ी लगाने तक सीमित हो गये हैं।
रमेश सचदेवा ज्योतिषी ने बताया कि लोहड़ी पर बैठ कर खूब मस्ती करते, गुब्बारे उड़ाते, पटाखे छोड़ते। उनके अनुसार जिस घर में नई शादी हुई होती और पुत्र का जन्म हुआ होता तो वह परिवार सभी के लिए लोहड़ी बांटता। शाम को 7 बजे लोहड़ी डालते और रात के 2 बजे तक लोहड़ी जलती रहती और वह भी बैठे रहते। अब तो लोहड़ी, लोहड़ी न रह कर कई बार नशेडिय़ों के झगड़े का कारण बन जाती है। लोग शराब पीकर लोहड़ी मनाते हैं, फिर लोहड़ी मना रहे लोगों से उलझते हैं। सुख का यह त्यौहार झगड़े के कारण समस्याओं का त्यौहार बन जाता है।
हलवाई यूनियन के प्रधान मदन लाल सेठी के अनुसार लोहड़ी का पर्व ऋतुओं के बदलाव के साथ बंधा हुआ त्यौहार है जो इस बात का संदेश देता है कि अब सर्दी जा रही है और आग सेंकने का मौसम भी जा रहा है। उनके अनुसार लोहड़ी का पर्व खुशहाली से जुड़ा हुआ है इसलिए लोहड़ी में काले तिल डालते समय ईसर आ, दरिद्र जा, दरिद्र की जड़ चूल्हे पा कहा जाता है।
13 जनवरी 2011
सुबह होते ही बदल गई बिल्टी!
डबवाली (लहू की लौ) रातों-रात ठिकाने लगाए जा रहे यूरिया खाद से भरे दो ट्रकों को गांव जोगेवाला के पास किसानों ने घेर लिया। कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए जांच की मांग को लेकर किसानों ने एक ट्रक को थाना शहर पुलिस के सुपुर्द कर दिया। जबकि एक ट्रक चालक ट्रक को भगा ले गया।
मंगलवार रात करीब 10 बजे दो ट्रक गांव जोगेवाला स्थित दि को-ऑपरेटिव सोसाईटी पैक्स जोगेवाला में आकर रूके। दोनों ट्रकों में यूरिया खाद के 600 बैग भरे हुए थे। खाद के ट्रकों की सूचना पाकर सोसाईटी के सेल्जमैन बिकर सिंह मौका पर पहुंचे। इधर इसकी भनक पाकर सोसाईटी के सदस्य जग्गा सिंह भी काफी किसानों के साथ मौका पर गए। किसानों की उपस्थिति में बिकर सिंह ने ट्रक ड्राईवरों से कागजात की मांग की। कागजात देखने पर सेल्जमैनों ने कागजात को सोसाईटी के न होने की बात कही। मौका देखकर एक चालक ट्रक को भगा ले गया। जिस पर किसान भड़क उठे। उन्होंने यूरिया खाद की कालाबाजारी करने का आरोप लगाते हुए इसकी सूचना पुलिस को दे दी।
दि को-ऑपरेटिव सोसाईटी जोगेवाला के सदस्य जग्गा सिंह ने बताया कि सोसाईटी के नाम पर यूरिया खाद से भरे दो ट्रक मंगलवार रात को गांव जोगेवाला में पहुंचे थे। इसकी सूचना उन्होंने सोसाईटी के सेल्जमैन बिकर सिंह को दी। बिकर सिंह सूचना पाकर मौका पर पहुंचा।
सेल्जमैन बिकर सिंह ने बताया कि उसे पैक्स के सदस्य जग्गा सिंह ने सूचना दी थी। सूचना पाकर वह मौका पर पहुंचा। उस समय उसने ट्रकों के चालकों से ट्रक बिल्टी लेकर चैक की। लेकिन ट्रक बिल्टी सुरेन्द्र कुमार तथा भोला निवासी डबवाली के नाम पर थी। जोकि जोगेवाला के नाम पर कटी हुई थी। जांच के बाद पाया गया कि जोगेवाला सोसाईटी के नाम कागजात नहीं थे। जिस पर उसने माल उतरवाने से इंकार कर दिया। इसी दौरान एक ट्रक चालक ट्रक लेकर फरार हो गया। जबकि दूसरे ट्रक को मौका पर पहुंचे थाना शहर प्रभारी बलवंत जस्सू के सुपुर्द कर दिया गया। बिकर सिंह ने बताया कि उनसे पुलिस ने यह लिखवाकर लिया कि यह माल सोसाईटी का नहीं है। सेल्जमैन के अनुसार सुबह जब उन्होंने पुलिस से कार्रवाई के संबंध में जानकारी चाही, तो उन्हें बताया गया कि बिल्टी तो डबवाली की एक फर्म के नाम पर है। उन्होंने कहा कि संदेह है कि रातों-रात बिल्टी को बदल दिया गया।
थाना शहर प्रभारी बलवंत जस्सू ने बताया कि रात को गांव जोगेवाला में यूरिया खाद के भरे ट्रक को किसानों द्वारा घेरे जाने की सूचना पाकर वह अपने दलबल सहित मौका पर पहुंचे। लेकिन ट्रक चालक ने बिल्टी उसके पास न होने की बात कही। इस पर वे मौका की निजाकत को समझते हुए ट्रक को अपने साथ थाना में ले आए। बुधवार सुबह फर्म हंसराज हमेश कुमार का पार्टनर दीपू उनके समक्ष प्रस्तुत हुआ और उसने बिल्टी अपनी फर्म की प्रस्तुत की तथा बताया कि गलती से ट्रक चालक जोगेवाला गांव में घुस गया था। सोसाईटी की खाद समझकर किसानों ने उसे घेर लिया था। ट्रक को छोड़ दिया गया है।
इस संवाददाता से बातचीत करते हुए फर्म हंसराज हमेश कुमार डबवाली के पार्टनर दीपू ने बताया कि उनके पास यह माल रवि कुमार एण्ड कंपनी, सिरसा से दो ट्रकों में भरकर आया था। जिसमें कुल 600 यूरिया खाद के बैग थे। यह कोरोडम कंपनी की गिरदावरी यूरिया खाद थी। उनके अनुसार आज वहीं से सोसाईटी की खाद भी चलनी थी। लेकिन खाद लाने वाले ट्रक चालक भूल से डबवाली आने की बजाए गांव जोगेवाला में घुस गए।
इधर ट्रक चालक बलवंत सिंह निवासी सिरसा ने बताया कि उन्होंने खाद की भर्ती सिरसा रेलवे ट्रक से की थी। उनके पास गांव जोगेवाला सोसाईटी की बिल्टी थी। इस पर वे माल को जोगेवाला लेकर गए थे। उसने बताया कि जो ट्रक चालक भागा उसका नाम जसवीर सिंह है।
मंगलवार रात करीब 10 बजे दो ट्रक गांव जोगेवाला स्थित दि को-ऑपरेटिव सोसाईटी पैक्स जोगेवाला में आकर रूके। दोनों ट्रकों में यूरिया खाद के 600 बैग भरे हुए थे। खाद के ट्रकों की सूचना पाकर सोसाईटी के सेल्जमैन बिकर सिंह मौका पर पहुंचे। इधर इसकी भनक पाकर सोसाईटी के सदस्य जग्गा सिंह भी काफी किसानों के साथ मौका पर गए। किसानों की उपस्थिति में बिकर सिंह ने ट्रक ड्राईवरों से कागजात की मांग की। कागजात देखने पर सेल्जमैनों ने कागजात को सोसाईटी के न होने की बात कही। मौका देखकर एक चालक ट्रक को भगा ले गया। जिस पर किसान भड़क उठे। उन्होंने यूरिया खाद की कालाबाजारी करने का आरोप लगाते हुए इसकी सूचना पुलिस को दे दी।
दि को-ऑपरेटिव सोसाईटी जोगेवाला के सदस्य जग्गा सिंह ने बताया कि सोसाईटी के नाम पर यूरिया खाद से भरे दो ट्रक मंगलवार रात को गांव जोगेवाला में पहुंचे थे। इसकी सूचना उन्होंने सोसाईटी के सेल्जमैन बिकर सिंह को दी। बिकर सिंह सूचना पाकर मौका पर पहुंचा।
सेल्जमैन बिकर सिंह ने बताया कि उसे पैक्स के सदस्य जग्गा सिंह ने सूचना दी थी। सूचना पाकर वह मौका पर पहुंचा। उस समय उसने ट्रकों के चालकों से ट्रक बिल्टी लेकर चैक की। लेकिन ट्रक बिल्टी सुरेन्द्र कुमार तथा भोला निवासी डबवाली के नाम पर थी। जोकि जोगेवाला के नाम पर कटी हुई थी। जांच के बाद पाया गया कि जोगेवाला सोसाईटी के नाम कागजात नहीं थे। जिस पर उसने माल उतरवाने से इंकार कर दिया। इसी दौरान एक ट्रक चालक ट्रक लेकर फरार हो गया। जबकि दूसरे ट्रक को मौका पर पहुंचे थाना शहर प्रभारी बलवंत जस्सू के सुपुर्द कर दिया गया। बिकर सिंह ने बताया कि उनसे पुलिस ने यह लिखवाकर लिया कि यह माल सोसाईटी का नहीं है। सेल्जमैन के अनुसार सुबह जब उन्होंने पुलिस से कार्रवाई के संबंध में जानकारी चाही, तो उन्हें बताया गया कि बिल्टी तो डबवाली की एक फर्म के नाम पर है। उन्होंने कहा कि संदेह है कि रातों-रात बिल्टी को बदल दिया गया।
थाना शहर प्रभारी बलवंत जस्सू ने बताया कि रात को गांव जोगेवाला में यूरिया खाद के भरे ट्रक को किसानों द्वारा घेरे जाने की सूचना पाकर वह अपने दलबल सहित मौका पर पहुंचे। लेकिन ट्रक चालक ने बिल्टी उसके पास न होने की बात कही। इस पर वे मौका की निजाकत को समझते हुए ट्रक को अपने साथ थाना में ले आए। बुधवार सुबह फर्म हंसराज हमेश कुमार का पार्टनर दीपू उनके समक्ष प्रस्तुत हुआ और उसने बिल्टी अपनी फर्म की प्रस्तुत की तथा बताया कि गलती से ट्रक चालक जोगेवाला गांव में घुस गया था। सोसाईटी की खाद समझकर किसानों ने उसे घेर लिया था। ट्रक को छोड़ दिया गया है।
इस संवाददाता से बातचीत करते हुए फर्म हंसराज हमेश कुमार डबवाली के पार्टनर दीपू ने बताया कि उनके पास यह माल रवि कुमार एण्ड कंपनी, सिरसा से दो ट्रकों में भरकर आया था। जिसमें कुल 600 यूरिया खाद के बैग थे। यह कोरोडम कंपनी की गिरदावरी यूरिया खाद थी। उनके अनुसार आज वहीं से सोसाईटी की खाद भी चलनी थी। लेकिन खाद लाने वाले ट्रक चालक भूल से डबवाली आने की बजाए गांव जोगेवाला में घुस गए।
इधर ट्रक चालक बलवंत सिंह निवासी सिरसा ने बताया कि उन्होंने खाद की भर्ती सिरसा रेलवे ट्रक से की थी। उनके पास गांव जोगेवाला सोसाईटी की बिल्टी थी। इस पर वे माल को जोगेवाला लेकर गए थे। उसने बताया कि जो ट्रक चालक भागा उसका नाम जसवीर सिंह है।
विवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
सिरसा। गौशाला मौहल्ला में एक विवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। मृतका के गले पर पड़े निशान से आशंका जताई जाती है कि मौत का कारण रस्सी से गला दबाया जाना है। मृतका के परिजनों का आरोप है कि ससुरालियों ने दहेज में मोटरसाइकिल की मांग को लेकर उसे फांसी लगाकर हत्या कर दी। इस मामले की जानकारी मिलते ही शहर थाना प्रभारी, डीएसपी हैडक्वार्टर, फोरैंसिक लैब विशेषज्ञ मौके पर पहुंचे। मृतका के शव को पोस्टमार्टम हेतु सामान्य अस्पताल पहुंचाया।
जानकारी मुताबिक गौशाला मौहल्ला की गली न. 4 निवासी ज्योति (28)पत्नी नलिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतका के परिजन डबवाली निवासी मृतका के चाचा बनवारी लाल, भाई विकास व सुरेश ने बताया कि बीती रात उनके पास ज्योति के ससुरालजनों ने फोन किया था कि ज्योति की तबीयत गंभीर है तथा उसे दौरा पड़ा है। उन्होने बताया कि आज प्रात: जब वे सिरसा पहुंचे तो पाया कि ज्योति की मौत हो चुकी है तथा उसके ससुरालजन घर से गायब है। ससुरालियों ने बताया कि तीन साल पूर्व ज्योति की शादी हुई थी, जिसमें उन्होने अपने सामथ्र्य अनुसार दान दहेज दिया था। उन्होने आरोप लगाया कि मृतका का पति जोकि एक निजी स्कूल में अध्यापक है, दहेज में मोटरसाइकिल की मांग करता था तथा उसे प्रताडि़त करता था। उन्होने आरोप लगाया कि ज्योति के ससुरालियों ने फांसी लगाकर उसकी हत्या कर दी। इस प्रकरण की जानकारी मिलते ही शहर थाना प्रभारी कृष्णा यादव, डीएसपी हैडक्वार्टर पूर्णचंद पंवार, सहित पुलिस बल मौके पर पहुंचा। वहीं मौके से एक सुसाईड नोट भी बरामद किया है, जो संभवत मृतका द्वारा लिखा हुआ बतलाया जाता है। इस सुसाईड नोट के मुताबिक मृतका ने आत्महत्या की है तथा अपने पति व ससुरालजनों को निर्दोष करार दिया है। उधर शहर थाना पुलिस ने मृतका के भाई विकास की शिकायत पर पति नलिन, ससुर ागवानदास, सास शांतिदेवी, जेठ पंकज, राजीव, जेठानी ममता व कांता के खिलाफ भादंसं की धारा 304बी तथा 34 के तहत अभियोग दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जानकारी मुताबिक गौशाला मौहल्ला की गली न. 4 निवासी ज्योति (28)पत्नी नलिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतका के परिजन डबवाली निवासी मृतका के चाचा बनवारी लाल, भाई विकास व सुरेश ने बताया कि बीती रात उनके पास ज्योति के ससुरालजनों ने फोन किया था कि ज्योति की तबीयत गंभीर है तथा उसे दौरा पड़ा है। उन्होने बताया कि आज प्रात: जब वे सिरसा पहुंचे तो पाया कि ज्योति की मौत हो चुकी है तथा उसके ससुरालजन घर से गायब है। ससुरालियों ने बताया कि तीन साल पूर्व ज्योति की शादी हुई थी, जिसमें उन्होने अपने सामथ्र्य अनुसार दान दहेज दिया था। उन्होने आरोप लगाया कि मृतका का पति जोकि एक निजी स्कूल में अध्यापक है, दहेज में मोटरसाइकिल की मांग करता था तथा उसे प्रताडि़त करता था। उन्होने आरोप लगाया कि ज्योति के ससुरालियों ने फांसी लगाकर उसकी हत्या कर दी। इस प्रकरण की जानकारी मिलते ही शहर थाना प्रभारी कृष्णा यादव, डीएसपी हैडक्वार्टर पूर्णचंद पंवार, सहित पुलिस बल मौके पर पहुंचा। वहीं मौके से एक सुसाईड नोट भी बरामद किया है, जो संभवत मृतका द्वारा लिखा हुआ बतलाया जाता है। इस सुसाईड नोट के मुताबिक मृतका ने आत्महत्या की है तथा अपने पति व ससुरालजनों को निर्दोष करार दिया है। उधर शहर थाना पुलिस ने मृतका के भाई विकास की शिकायत पर पति नलिन, ससुर ागवानदास, सास शांतिदेवी, जेठ पंकज, राजीव, जेठानी ममता व कांता के खिलाफ भादंसं की धारा 304बी तथा 34 के तहत अभियोग दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
यूरिया खाद की कमी, रोष
डबवाली (लहू की लौ) गांव चौटाला में यूरिया खाद की कमी के चलते किसानों में सोसायटी के प्रति गहरा रोष व्यप्त है।
किसान राम चन्द्र, भजन लाल, रामकुमार लोहमरोड़, त्रिलोक चन्द सिहाग, दया राम ने बताया कि जिला सिरसा का गांव चौटाला सबसे बड़ा गांव है और इसके 40 हजार एकड़ में बोआई होती है। इन दिनों गेहूं व सरसों की बिजाई की हुई है लेकिन खाद न मिलने से उनकी फसलों को भारी नुक्सान हो रहा है।
किसान खाद के लिए हर रोज सोसायटी के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन हर रोज उन्हें यह कह कर टरका दिया जाता है कि खाद कल आ जायेगी। किसानों के अनुसार 8 जनवरी को खाद का रैक सिरसा से लोड हो चुका है लेकिन गांव की सोसायटी में आज तक खाद नहीं पहुंची। जिसके चलते उन्हें भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके विपरीत कंट्रोल रेट 266 रूपये होने के बावजूद बाजार में 340 रूपये यूरिया खाद बिक रही है।
किसान राम चन्द्र, भजन लाल, रामकुमार लोहमरोड़, त्रिलोक चन्द सिहाग, दया राम ने बताया कि जिला सिरसा का गांव चौटाला सबसे बड़ा गांव है और इसके 40 हजार एकड़ में बोआई होती है। इन दिनों गेहूं व सरसों की बिजाई की हुई है लेकिन खाद न मिलने से उनकी फसलों को भारी नुक्सान हो रहा है।
किसान खाद के लिए हर रोज सोसायटी के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन हर रोज उन्हें यह कह कर टरका दिया जाता है कि खाद कल आ जायेगी। किसानों के अनुसार 8 जनवरी को खाद का रैक सिरसा से लोड हो चुका है लेकिन गांव की सोसायटी में आज तक खाद नहीं पहुंची। जिसके चलते उन्हें भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके विपरीत कंट्रोल रेट 266 रूपये होने के बावजूद बाजार में 340 रूपये यूरिया खाद बिक रही है।
'आजाद मुल्क के गुलामÓ
डबवाली (लहू की लौ) आजादी मिले 63 साल बीत गए हैं। लेकिन आज भी इस देश के मजदूर सरकार के गुलाम हैं। सरकार के छोड़े गए ठेकेदार आज भी मजदूरों का खून चूस रहे हैं। अब मजदूर जाग गया है। अपना हक लेकर रहेगा। यह कहना था मंगलवार को ऑल इंडिया एफसीआई मजदूर वर्कर यूनियन के आह्वान पर यहां के एफसीआई गोदाम में केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मजदूरों का।
मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर एफसीआई वर्कर यूनियन के सदस्यों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी की। एफसीआई यूनियन डबवाली के अध्यक्ष बृजलाल ने बताया कि साल 1991 में केन्द्र सरकार ने देश के कुछ एफसीआई डिपुओं के मजदूरों को पक्का किया था। जिसमें हरियाणा के 22 डिपू भी शामिल थे। लेकिन इसके बाद सरकार ने मजदूरों की दशा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। सरकार के छोड़े ठेकेदार मजदूरों का खून चूसने में लगे हुए हैं। एफसीआई डिपुओं में लगे चंद सरकारी मुलाजिम टेबल पर बैठ हजारों मजदूरों से काम करवा रहे हैं। जबकि वर्षों से अपनी पीठ पर माल लादकर सरकारी ठेकेदारों की जेबें भर रहे मजदूर आज भी दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं। अगर मजदूरों को आजाद मुल्क के गुलाम कहकर पुकारा जाए, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
मंगलवार को ऑल इंडिया एफसीआई वर्कर यूनियन के आह्वान पर एक दिन की हड़ताल रखी गई। अगर इससे भी सरकार न मानी तो आगामी 3 फरवरी को यूनियन के आह्वान पर एफसीआई डिपुओं को ताले जड़ दिए जाएंगे। इस अवसर पर एफसीआई वर्कर यूनियन के राजा राम, कृष्ण फौजी, कृष्ण कीनिया, मक्खन सिंह, प्रेम कुमार नम्बरदार, विजय कुमार, लालचंद, सरदूल सिंह, भोला राम, रोशन लाल, रूप सिंह, ओमप्रकाश आदि उपस्थित थे।
मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर एफसीआई वर्कर यूनियन के सदस्यों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी की। एफसीआई यूनियन डबवाली के अध्यक्ष बृजलाल ने बताया कि साल 1991 में केन्द्र सरकार ने देश के कुछ एफसीआई डिपुओं के मजदूरों को पक्का किया था। जिसमें हरियाणा के 22 डिपू भी शामिल थे। लेकिन इसके बाद सरकार ने मजदूरों की दशा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। सरकार के छोड़े ठेकेदार मजदूरों का खून चूसने में लगे हुए हैं। एफसीआई डिपुओं में लगे चंद सरकारी मुलाजिम टेबल पर बैठ हजारों मजदूरों से काम करवा रहे हैं। जबकि वर्षों से अपनी पीठ पर माल लादकर सरकारी ठेकेदारों की जेबें भर रहे मजदूर आज भी दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं। अगर मजदूरों को आजाद मुल्क के गुलाम कहकर पुकारा जाए, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
मंगलवार को ऑल इंडिया एफसीआई वर्कर यूनियन के आह्वान पर एक दिन की हड़ताल रखी गई। अगर इससे भी सरकार न मानी तो आगामी 3 फरवरी को यूनियन के आह्वान पर एफसीआई डिपुओं को ताले जड़ दिए जाएंगे। इस अवसर पर एफसीआई वर्कर यूनियन के राजा राम, कृष्ण फौजी, कृष्ण कीनिया, मक्खन सिंह, प्रेम कुमार नम्बरदार, विजय कुमार, लालचंद, सरदूल सिंह, भोला राम, रोशन लाल, रूप सिंह, ओमप्रकाश आदि उपस्थित थे।
सरकार के खिलाफ अदालत में जाएंगे अध्यापक
डबवाली (लहू की लौ) अध्यापक पात्रता परीक्षा पास बेरोजगार अध्यापकों ने हरियाणा सरकार पर नौकरियां देने के मामले में जिला सिरसा के उम्मीदवारों से भेदभाव बरतने का आरोप लगाया है।
अध्यापक पात्रता परीक्षा पास गोपाल, अमित, सुभाष, सुशील, संदीप, मनोज, हर्ष, जीवन सिंगला, दीपक, वीनीत सेतिया, राहुल मिढ़ा, हेमलता, बलवान, महिंद्र, धर्मपाल, मनिन्द्र, भारत भूषण, रोहताश, सीता राम के अनुसार साल 2009 में हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन ने अध्यापक पात्रता परीक्षा पास गणित अध्यापकों के 1000 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। जिला सिरसा से परीक्षा पास बेरोजगार अध्यापकों ने भी आवेदन किया था। मई 2010 में उक्त पदों के लिए इंटरव्यू हुए। इंटरव्यू की लिस्ट बीती 7 जनवरी 2011 को जारी की गई है। हैरत की बात है कि लिस्ट में जिला सिरसा से एक भी उम्मीदवार का चयन नहीं किया गया है।
अध्यापक पात्रता परीक्षा पास इन अध्यापकों ने आरोप लगाया कि इंटरव्यू के समय उनसे पूछा गया कि वे किस जिले के रहने वाले हैं, वे इस समय क्या कर रहे हैं। जबकि इंटरव्यू के समय ऐसे सवालों का कोई मतलब नहीं है। बेरोजगार अध्यापकों ने हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन पर सरकार के इशारे पर जिला पूछकर नौकरियां बांटने का आरोप जड़ा है। उक्त अध्यापकों ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी करके सरकार से लिस्ट को पुन: जांच करके जारी करने की मांग की है। साथ में चेतावनी दी कि वे सरकार के इस रवैये के खिलाफ आंदोलन करेंगे। अगर सरकार न मानी तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होंगे।
अध्यापक पात्रता परीक्षा पास गोपाल, अमित, सुभाष, सुशील, संदीप, मनोज, हर्ष, जीवन सिंगला, दीपक, वीनीत सेतिया, राहुल मिढ़ा, हेमलता, बलवान, महिंद्र, धर्मपाल, मनिन्द्र, भारत भूषण, रोहताश, सीता राम के अनुसार साल 2009 में हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन ने अध्यापक पात्रता परीक्षा पास गणित अध्यापकों के 1000 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। जिला सिरसा से परीक्षा पास बेरोजगार अध्यापकों ने भी आवेदन किया था। मई 2010 में उक्त पदों के लिए इंटरव्यू हुए। इंटरव्यू की लिस्ट बीती 7 जनवरी 2011 को जारी की गई है। हैरत की बात है कि लिस्ट में जिला सिरसा से एक भी उम्मीदवार का चयन नहीं किया गया है।
अध्यापक पात्रता परीक्षा पास इन अध्यापकों ने आरोप लगाया कि इंटरव्यू के समय उनसे पूछा गया कि वे किस जिले के रहने वाले हैं, वे इस समय क्या कर रहे हैं। जबकि इंटरव्यू के समय ऐसे सवालों का कोई मतलब नहीं है। बेरोजगार अध्यापकों ने हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन पर सरकार के इशारे पर जिला पूछकर नौकरियां बांटने का आरोप जड़ा है। उक्त अध्यापकों ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी करके सरकार से लिस्ट को पुन: जांच करके जारी करने की मांग की है। साथ में चेतावनी दी कि वे सरकार के इस रवैये के खिलाफ आंदोलन करेंगे। अगर सरकार न मानी तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होंगे।
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