सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान स्वदेशी मवेशी/भैंस नस्लों की श्रेणी में मिला पुरस्कार
झज्जर की रेणु को मिला वर्ष 2024 का पुरस्कार
चंडीगढ़, 26 नवंबर - हरियाणा ने सर्वश्रेष्ठ स्वदेशी मवेशी/भैंस नस्ल पालने वाले डेयरी किसान की श्रेणी में लगातार तीन वर्षों (2022, 2023 और 2024) के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार हासिल करके पशुधन और डेयरी विकास में अपने अग्रणी होने की एक बार फिर छाप छोड़ी है। यह असाधारण उपलब्धि स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की अटूट प्रतिबद्धता तथा पशुपालन और डेयरी के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित होगी ।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2024 के लिए झज्जर की श्रीमती रेणु को यह पुरस्कार मिला है, जिसमें 5 लाख रूपये का नकद पुरस्कार, योग्यता प्रमाण पत्र और एक स्मृति चिन्ह शामिल है। यह पुरस्कार नई दिल्ली में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में दौरान केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने प्रदान किया है।
उन्होंने बताया कि इसी तरह, वर्ष 2023 में, करनाल के श्री राम सिंह को असम के गुवाहाटी में आयोजित एक समारोह में इसी पुरस्कार से सम्मानित किया गया तथा वर्ष 2022 में, यह पुरस्कार कर्नाटक के बेंगलुरु में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस समारोह के दौरान फतेहाबाद के श्री जितेंद्र सिंह को प्रदान किया गया। प्रदेश के पशुपालकों को मिल रही यह निरंतर उपलब्धि पशुधन और डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए हरियाणा के नेतृत्व और प्रतिबद्धता को उजागर करती है। ये उपलब्धियाँ देशी गाय और भैंस की नस्लों के विकास और संरक्षण में हरियाणा के निरंतर प्रयासों को भी रेखांकित करती हैं।
रेणु को पुरस्कार मिलने पर हरियाणा के पशुपालन और डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजा शेखर वुंडरू और महानिदेशक डॉ. एल.सी.रंगा ने उस को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि रेणु की यह उल्लेखनीय सफलता हरियाणा के मजबूत पशुधन क्षेत्र का प्रतिबिंब है। उन्होंने पशुपालन और डेयरी फार्मिंग में टिकाऊ और नवीन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के कार्यों पर मुहर लगाई है।
भारत के छोटे राज्यों में से एक होने के बावजूद, देश के भौगोलिक क्षेत्र का केवल 1.3 प्रतिशत हिस्सा कवर करने के बावजूद भी हरियाणा भारत के पशुधन मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान रखता है। इसकी पशुपालन गतिविधियाँ ग्रामीण आजीविका का अभिन्न अंग हैं, जो आय सृजन, सामाजिक-आर्थिक उत्थान, रोजगार के अवसरों और दूध, अंडे और मांस जैसे पशुधन उत्पादों के माध्यम से बेहतर पोषण में योगदान देती हैं।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक हैं, जो भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा प्रदान किए जाते हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों और डेयरी विकास के संरक्षण और संवर्धन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करना है। पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं। जिसमें ’स्वदेशी मवेशी/भैंस की नस्ल पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान‘, ‘सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी)‘ और ’सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/दूध उत्पादक कंपनी/डेयरी किसान उत्पादक संगठन शामिल है। वर्ष 2024 में, क्षेत्र में डेयरी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के लिए एक अतिरिक्त श्रेणी शुरू की गई थी।
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