कालांवाली (नरेश सिंगला) पंजाबी साहित्य सभा कालांवाली ने महाजन धर्मशाला में रविवार को हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी, पंचकूला के सहयोग से कवि दरबार एवं पुस्तक विमोचन समारोह आयोजित गया। जिसमें हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के निदेशक सुखचैन सिंह भंडारी ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सुखचैन सिंह भंडारी ने कहा कि हरियाणा के नगरों में पंजाबी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के अलावा छोटे-छोटे गांवो व कस्बों में हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी नुक्कड़ नाटक आयोजित करेगी। इससे पूर्व पंजाबी साहित्य सभा कालांवाली के संरक्षक बीरबल दास गुप्तेश्वर ने उपस्थित लेखकों एवं गणमान्य लोगों का स्वागत किया। इस मौके पर पंजाबी साहित्य सभा कालांवाली के प्रधान भूपिंद्र पन्नीवालिया ने हरियाणा के गावों में पंजाबी भाषा की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने डॉ. जीडी चौधरी को शिव कुमार बटालवी पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस दौरान हरियाणा के पंजाबी लेखकों की पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। जिसमें गुरजीत सिंह कालांवाली की पुस्तक लफजां दी चंगेर, गुरदास सिंह पालना की पुस्तकें गुरू गोबिंद सिंह (महाकाव्य) व सच्ची किरत एवं पूर्ण सिंह निराला की पुस्तक रूत टपियां दी आई का विमोचन मुख्यातिथि द्वारा किया गया। समारोह के अंत में कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें सुखजीत कौर कुरंगावाली, गुरजीत सिंह, हरगोबिन्द सिंह शेखपुरिया, रेवती प्रसाद, दर्शन भम्मी, हरबंस भुल्लर, अमरीक सिंह, हरि सिंह दिलबर, राम स्वरूप रिखि, जीत पाल जीता, जग्गा जगमालवाली सहित अनेक कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। मंच का संचालन सुरेन्द्र पाल सिंह ने किया।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सुखचैन सिंह भंडारी ने कहा कि हरियाणा के नगरों में पंजाबी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के अलावा छोटे-छोटे गांवो व कस्बों में हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी नुक्कड़ नाटक आयोजित करेगी। इससे पूर्व पंजाबी साहित्य सभा कालांवाली के संरक्षक बीरबल दास गुप्तेश्वर ने उपस्थित लेखकों एवं गणमान्य लोगों का स्वागत किया। इस मौके पर पंजाबी साहित्य सभा कालांवाली के प्रधान भूपिंद्र पन्नीवालिया ने हरियाणा के गावों में पंजाबी भाषा की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने डॉ. जीडी चौधरी को शिव कुमार बटालवी पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस दौरान हरियाणा के पंजाबी लेखकों की पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। जिसमें गुरजीत सिंह कालांवाली की पुस्तक लफजां दी चंगेर, गुरदास सिंह पालना की पुस्तकें गुरू गोबिंद सिंह (महाकाव्य) व सच्ची किरत एवं पूर्ण सिंह निराला की पुस्तक रूत टपियां दी आई का विमोचन मुख्यातिथि द्वारा किया गया। समारोह के अंत में कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें सुखजीत कौर कुरंगावाली, गुरजीत सिंह, हरगोबिन्द सिंह शेखपुरिया, रेवती प्रसाद, दर्शन भम्मी, हरबंस भुल्लर, अमरीक सिंह, हरि सिंह दिलबर, राम स्वरूप रिखि, जीत पाल जीता, जग्गा जगमालवाली सहित अनेक कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। मंच का संचालन सुरेन्द्र पाल सिंह ने किया।
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