डबवाली (लहू की लौ) अपने मां-बाप की मौत के बाद पंजाब के गांव मैहना को छोड़ कर अपने मामा के हाथों पले 28 वर्षीय युवक को क्या पता था कि उसकी मौत उसके गांव में ही जाकर होनी है।
गांव अलीकां में अपने मामा जीत सिंह के पास रहने वाला सुखमन्दर उर्फ सुखवन्त मूल रूप से पंजाब के गांव मैहना का निवासी है। लेकिन 15 वर्ष पूर्व उसकी माता गोलो तथा पिता नाजर सिंह की मौत हो गई और उसे उसका मामा जीत सिंह अपने पास गांव अलीकां ले आया। मामा लक्कड़ व्यापारी और भांजा बारबर का काम करके टाईम पास करता। कभी समय लगता तो अपने मामा के साथ लक्कड़ का व्यापार भी करने चला जाता।
उसकी दोस्ती 10 वर्ष पूर्व गांव के लक्कड़ व्यापारी मक्खन सिंह के बेटे सूबा सिंह से हुई तो अक्सर दोनों दोस्त यहां कहीं भी जाते साथ ही जाते। सूबा सिंह अभी कुंवारा था लेकिन सुखमन्दर सिंह की शादी हुई थी और उसके एक लड़का और एक लड़की है। सोमवार सुबह भी दोनों दोस्त मलोट में लक्कड़ खरीदने के लिए गये और मलोट से लौटते समय सूबा सिंह की बहन के घर गांव भुंदड़ में चले गये। वहां पर सूबा सिंह के जीजा जलौर सिंह ने गांव अलीकां आने की इच्छा जाहिर करते हुए उनके साथ बैठ गया। लेकिन इन तीनों को क्या पता था कि गांव मैहना के पास बस-मोटरसाईकिल दुर्घटना में उन तीनों को मौत अपने आगोश में ले लेगी। जलौर सिंह के भी दो बच्चे हैं जिनमें एक लड़का और एक लड़की।
अलग-अलग हुए संस्कार-गांवों में गमगीन माहौल
मंगलवार शाम को मलोट के सरकारी अस्पताल से पोस्टमार्टम के बाद हरियाणा के गांव अलीकां में सूबा सिंह तथा सुखमन्दर के शवों को तथा पंजाब के गांव भुंदड़ में जलौर सिंह के शव का दाह संस्कार रामबाग में किया गया। इस मौके पर ग्रामीणों की आंखों में आंसू थे और माहौल गमगीन था।
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