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Lahoo Ki Lau

युवा दिलों की धड़कन, जन जागृति का दर्पण, निष्पक्ष एवं निर्भिक समाचार पत्र

11 मई 2010

डेरा फिर मुश्किल में

डबवाली (लहू की लौ) डेरा सच्चा सौदा सिरसा के पूर्व प्रबन्धक फकीर चन्द प्रकरण की जांच के लिए 5 दिनों से सिरसा में डेरा डाले बैठी सीबीआई टीम ने आज दूसरी बार गांव दीवानखेड़ा का दौरा किया। करीब एक दर्जन गवाहों के ब्यान दर्ज किये। गांव की पंचायत से फकीर चन्द की सम्पत्ति और रिश्तेदारों आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की।
सीबीआई इंस्पेक्टर जेसी तिवाड़ी तथा हैड कांस्टेबल विपिन कुमार आज सुबह 8.30 बजे अचानक डबवाली नगर के बठिण्डा चौक में पहुंचे। फकीर चन्द के भतीजे तथा थ्री व्हीलर चालक चेतन कुमार से पूछताछ की। इसके बाद सुबह करीब 9.15 पर गांव दीवानखेड़ा के सरपंच राजेन्द्र बिश्नोई के निवास स्थान पर पहुंचे। उन्होंने वहां पर करीब एक दर्जन लोगों के ब्यान कलमबद्ध किये। पत्रकारों से बातचीत करते हुए गांव के सरपंच राजेन्द्र बिश्नोई ने बताया कि आज दूसरी बार सीबीआई टीम दीवानखेड़ा पहुंची। फकीर चन्द प्रकरण में करीब एक दर्जन लोगों से पूछताछ की और तथ्य जुटाए। सीबीआई टीम को उन्होंने बताया कि फकीर चन्द 1965 से डेरा में बतौर प्रबन्धक नियुक्त थे और अक्सर डेरा में रहते थे। लेकिन गांव में दु:ख-सुख में शरीक होने के लिए कभी-कभार आते थे। लेकिन पिछले 20 वर्षों से उनका कोई अता पता नहीं है। वर्ष 1990 में उन्हें आखिरी बार उनके भतीजे चेतन दास पुत्र रामदास की शादी में गांव में देखा गया था। उसके बाद वे कभी भी गांव में दिखाई नहीं दिये। डेरा से वे गायब हुए हैं। न तो उनके मृत शरीर को गांव में लाया गया और न ही उनके शरीर का संस्कार गांव में किया गया है। राजेन्द्र बिश्नोई ने कहा कि सीबीआई टीम जांच कर रही है। वे भी चाहते हैं कि फकीर चन्द के लापता होने के कारणों का सही पता लग सके।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार गांव की पंचायत ने अपनी लेटरपेड पर लिखकर सीबीआई को फकीर चन्द के बारे में आवश्यक जानकारी मुहैया करवाई है। सूत्र बताते हैं कि लेटर पेड पर फकीर चन्द की जमीन-जायदाद, रिश्तेदारों तथा फकीर चन्द के शव का गांव में दाह संस्कार न करने सम्बन्धी विस्तार से वर्णन किया गया है। फकीर चन्द के भतीजे एवं ब्लाक समिति डबवाली के सदस्य हंसराज पुत्र लक्ष्मण दास निवासी गांव दीवानखेड़ा ने पत्रकारों को बताया की फकीर चन्द उनके फूफा थे। उन्होंने सीबीआई को बताया कि उन्होंने आखिरी बार 1990 में फकीरचन्द को गांव में देखा था। वे अक्सर डेरा में रहते थे। उन्होंने सीबीआई को यह भी जानकारी दी कि जब फकीर चन्द की बहन लक्ष्मी देवी का निधन हुआ था, उस समय लक्ष्मी देवी का दाह संस्कार डेरा में ही किया गया था। उस समय फकीर चन्द भी वहां उपस्थित थे। लेकिन पिछले 20 वर्षो से उनका कोई पता नहीं। डेरा से वे गायब हुए हैं। गांव में उनके मृत शरीर का अन्तिम संस्कार नहीं किया गया। सीबीआई ने गांव की पूर्व महिला सरपंच कर्मजीत कौर के पति गुरतेज सिंह तेजा के ब्यान भी दर्ज किये हैं। पत्रकारों से बातचीत में गुरतेज सिंह ने बताया कि वर्ष 2000 से 2005 तक उसकी पत्नी गांव की सरपंच थी। नवम्बर 2004 में फकीर चन्द का भाई रामदास दो पुलिसकर्मियों के साथ उसके पास आया और फकीरचन्द की मृत्यु सम्बन्धी प्रमाण पत्र की मांग करने लगा। लेकिन फकीर चन्द के शरीर का दाह संस्कार गांव में नहीं हुआ था। इसके चलते उसने प्रमाण पत्र बनाने से साफ इंकार कर दिया। हालांकि रामदास के साथ आये दो पुलिस कर्मियों ने उस पर दबाव बनाने की कोशिश की। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार फकीर चन्द के भाई रामदास ने सीबीआई को जो ब्यान दर्ज करवाये हैं, उसमें उन्होंने प्रमाण पत्र के लिए वर्ष 2004 में महिला सरपंच के पति गुरतेज के पास जाने की बात स्वीकारी है। ज्ञातव्य रहे कि किसी भी मृत व्यक्ति के संस्कार सम्बन्धी प्रमाण पत्र को पंचायत से 21 दिन के भीतर प्राप्त करना होता है। फकीर चन्द के भाई रामदास के पुत्र चेतन कुमार निवासी डबवाली तथा ईसर दास के पुत्र पुरूषोत्तम निवासी दीवानखेड़ा के भी सीबीआई ने ब्यान दर्ज किये हैं।

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