अन्ना हजारे से खासे प्रभावित हैं अध्यक्ष पुष्पिंद्र सिंह उर्फ मन्नु
डबवाली (लहू की लौ) पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) चण्डीगढ़ छात्र कौंसिल के नए सरदार बने डबवाली के पुष्पिंद्र सिंह उर्फ मन्नु सक्रिय राजनीति में आकर अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। उनका कहना है कि सिस्टम को खराब कहने मात्र से समस्या का समाधान होने वाला नहीं। अगर युवा सच में इस सिस्टम को बदलना चाहते हैं तो उन्हें सिस्टम में आना होगा। समाजसेवी अन्ना हजारे के मार्ग पर चलकर सिस्टम को बदला जा सकता है।
मन्नु शनिवार को इस संवाददाता से मोबाइल पर बातचीत कर रहे थे। पीयू में एलएलबी द्वितीय वर्ष के इस छात्र ने कहा कि वे जन लोकपाल बिल के लिए संघर्षरत अन्ना हजारे के साथ हैं। 74 वर्षीय हजारे को देश के युवा तारणहार समझने लगे हैं। वह तथा उनका संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाईजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी (सोपू) तथा सहयोगी संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया (सोई) उनके साथ है। अन्ना हजारे उनके पसंदीदा चेहरे हैं। उनके मकसद को अपना मानकर वे सक्रिय राजनीति में हाथ अजमाएंगे। जब उनसे उनके राजनीतिक कैरियर शुरू करने की जगह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वे अभी एलएलबी कर रहे हैं, डेढ़ वर्ष बाद उनकी एलएलबी कंप्लीट हो जाएगी। साथ में ज्यूडीशियल तथा आईएएस की भी तैयारी कर रहे हैं। डबवाली आने के बारे में पूछे जाने पर पुष्पिंद्र ने कहा कि मंगलवार को वे अपने पद की शपथ ग्रहण करेंगे। उसके बाद जल्द ही डबवाली आएंगे।
पीयू का अध्यक्ष बनने पर पुष्पिंद्र उर्फ मन्नु डबवाली के वार्ड नं. 1 की हरमेल पेंटर वाली गली में स्थित उनके घर पर खुशी का आलम है। उनकी 83 साल की दादी ज्ञानवती तथा 64 वर्षीय माता चन्द्र उषा शर्मा तथा चाचा केशव शर्मा फूले नहीं समा रहे। मन्नु के डबवाली आगमन पर जश्न मनाने की तैयारियां कर रहे हैं।
कैसे बने सरताज
पुष्पिंद्र की सफलता के पीछे डबवाली में रह रहे उनके चाचा केशव शर्मा पूर्व चेयरमैन, नपा डबवाली का अहम रोल है। पीयू छात्र कौंसिल चुनाव से पूर्व पुष्पिंद्र की एक लम्बी बातचीत अपने चाचा से हुई थी। इस बातचीत के दौरान भतीजे ने अपने चाचा को बताया था कि उसके साथी उसे चुनाव में खड़ा करना चाहते हैं। क्या वह चुनाव में खड़ा हो जाए? शर्मा ने सहमति जताते हुए उसे चुनाव लडऩे की सलाह दी। शुक्रवार को पीयू का अध्यक्ष बनने के बाद सबसे पहली कॉल उन्होंने अपने चाचा केशव शर्मा को की।
करीब 15 साल पूर्व पुष्पिंद्र के पिता एसएस टीचर सुभाष शर्मा का आकस्मिक निधन हो गया था। उस समय मन्नु मात्र 9 साल के थे। उनकी माता एसएस टीचर चन्द्र उषा शर्मा ने उसकी परवरिश उसे पढ़ाया। मन्नु की दो बहनें मनीषा तथा संचिला विवाहिता हैं। मन्नु ने मण्डी किलियांवाली स्थित बाल मंदिर सीनियर सैकेण्डरी स्कूल से 12वीं की। उसके बाद बीए का प्रथम वर्ष गुरूनानक कॉलेज में पास किया। डीएवी कॉलेज चण्डीगढ़ से ग्रेजुएट की। लॉनड्रा कॉलेज, मोहाली से एमबीए कंपलीट की। अब पंजाब यूनिवर्सिटी में एलएलबी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है।
पीयू के नए सरताज की दादी 83 वर्षीय ज्ञानवती ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी महसूस हो रही है। मेरी तो अपने गुरू साहिबान से यही बिनती है कि उसका पोता मन्नु यूं ही आगे बढ़ता रहे।
मन्नु की माता चन्द्र उषा शर्मा ने कहा कि एमबीए पास करने के बाद उसके पास जॉब की ऑफर आई थी। लेकिन उसने उसे ठुकरा दिया। एमबीए के साथ एलएलबी करके बढिय़ा जॉब मिलने के आसार ज्यादा हैं। इसलिए उन्होंने अपने बेटे को उसकी एलएलबी में एडमिशन दिलाया। अब वह सक्रिय राजनीति में जाना चाहता है, उसकी तमन्ना है कि वह बुलंदियों को छुए।
अर्जुन की जीत में द्रोणाचार्य सरीखी भूमिका अदा करने वाले मन्नु के चाचा नपा डबवाली के पूर्व प्रधान तथा वरच्युस क्लब इंडिया के संस्थापक केशव शर्मा ने बताया कि पीयू छात्र कौंसिल चुनाव में उसके भतीजे की जीत एक रिकॉर्ड है। इस चुनाव में पुष्पिंद्र उर्फ मन्नु को 3730 वोट हासिल हुई थीं। मन्नु 1001 वोट से चुनाव जीतने में कामयाब रहा। मन्नु ने उनका सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है।
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