डबवाली (लहू की लौ) गर्भ में अपने मृत बच्चे को लिए एक मां सरकारी अस्पताल में तड़पती रही। लेकिन उसकी चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं था। बच्चे को खो देने के बाद अपनी पत्नी को बचाने के लिए उसका पति अस्पताल के कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ाया, लेकिन उस पर किसी ने रहम नहीं किया। मामला उपमण्डलाधीश तक पहुंचने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। महिला को गंभीर हालत में 40 घंटे बाद सिरसा रैफर कर दिया गया। यहां अभी अभी उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। एसडीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
चौटाला रोड़ पर स्थित हैफेड के गोदाम में चतुर्थश्रेणी कर्मी 35 वर्षीय सुभाष की 33 वर्षीय पत्नी गीता रानी को शुक्रवार सुबह 2 बजे प्रसव पीड़ा हुई। सुभाष सरकारी एम्बूलैंस के जरिए उसे सरकारी अस्पताल में ले गया। सुबह करीब पांच बजे अस्पताल के लेबर रूम में महिला चिकित्सक ने उसकी जांच की और बच्चे को मृत घोषित कर दिया। लेबर रूम में पड़ी गीता दर्द से तड़पती रही। सुभाष ने बताया कि उसके बच्चे की मौत हो गई। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसकी पत्नी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। लेबर रूम में पड़ी वह दर्द से कराह रही थी और खून बह रहा था। हर दो घंटे बाद वह अस्पताल के कर्मचारियों के आगे गुहार लगा रहा था। लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी। रात 8 बजे तक वह लेबर रूम में पड़ी रही।
सुभाष के अनुसार मिन्नत करने पर रात्रि करीब 9 बजे डयूटी पर आई दो नर्सों ने गीता को लेबर रूम से बाहर निकाला और वार्ड में शिफ्ट किया। यहां उसे ग्लूकोज चढ़ाया गया। उसने बार-बार मृत बच्चे को गीता के पेट से बाहर निकालने की बात कही। लेकिन उसे बताया गया कि ग्लूकोज के जरिए ही बच्चे को बाहर निकाला जा रहा है। रात्रि करीब 12 बजे ग्लकोज अचानक बंद हो गया। वह डॉक्टरों तथा कर्मचारियों को जगाने के लिए भागा। लेकिन उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया।
शनिवार सुबह 5 बजे गीता की हालत गंभीर हो गई। लेकिन इसके बावजूद कोई चिकित्सक मौके पर नहीं पहुंचा। मामले को उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल के संज्ञान में लाया गया। उनके आदेश पर स्वास्थ्य विभाग चेता। महिला को गंभीर अवस्था में सिरसा रैफर कर दिया गया।
सरकारी अस्पताल डबवाली के कार्यकारी एसएमओ डॉ. बलेश बांसल ने बताया कि शुक्रवार सुबह उनके पास उपरोक्त केस आया था। उस समय गीता प्लेसेंटा प्रिविया की हालत में थी। बच्चे की मौत हो चुकी थी। इसके बारे में परिजनों को अवगत करवाया दिया गया था। गर्भ में से बच्चे को बाहर निकालने के लिए महिला चिकित्सक द्वारा प्रयास किए गए थे। लेकिन ये प्रयास नाकाफी रहे। शनिवार सुबह ऑपरेशन के जरिए मृत बच्चे को बाहर निकालने के लिए गीता को सिरसा रैफर कर दिया गया। डॉ. बलेश बांसल ने स्वीकार किया कि इतनी देर तक मृत बच्चे के मां के गर्भ में रहने से इंफेक्शन हो सकती थी। जिसकी वजह से गीता की मौत हो सकती थी। फिलहाल उसे सिरसा रैफर कर दिया गया है।
उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि उपरोक्त मामला उनकी नोटिस में है। उन्होंने डॉ. एमके भादू को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। दोषी पाए जाने वाले चिकित्सक या कर्मचारी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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