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Lahoo Ki Lau

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17 सितंबर 2011

हरियाली स्कीम में घपले का अंदेशा!


डबवाली (लहू की लौ) गांवों को हरा-भरा रखने के लिए सरकार की ओर से साल 2004 में शुरू की गई हरियाली स्कीम में घपलेबाजी का आंदेशा हुआ है। गांव मौजगढ़ के एक व्यक्ति ने अन्ना हजारे की राह पर चलते हुए आरटीआई के तहत अपने गांव की पंचायत से हरियाली योजना की जानकारी मांगी। अपनी जानकारी में पंचायत सीधे तौर पर फंसती हुई प्रतीत होती है।
गांव मौजगढ़ निवासी अमरीक बिश्नोई ने 19 मई 2011 को आरटीआई के तहत खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी, डबवाली से आरटीआई के जरिए गांव में हरियाली योजना के संदर्भ में जानकारी मांगी। जिसमें उन्हें गांव की पंचायत के जरिए जानकारी मिली कि साल 2004 से शुरू हुई इस योजना के तहत गांव में अब तक 23 लाख रूपए का कार्य हुआ है। जिसमें से अण्डरग्राऊंड पाईप लाईन पर 2 लाख 99 हजार 415 रूपए, यूजीपीएल के तहत 8 लाख 1 हजार 482 रूपए, खाल निर्माण पर 8 लाख 19 हजार 183 रूपए तथा पौधारोण पर 3 लाख 89 हजार 746 रूपए का खर्चा दिखाया गया।
बिश्नोई ने गांव में हुए पौधारोपण को मुद्दा बनाते हुए पुन: आरटीआई लगाई। पंचायत ने उन्हें जवाब भेजा कि उसके कार्यकाल में हरियाली स्कीम के तहत 390931 रूपए खर्च किए गए हैं। जिसमें से ट्री गार्ड पर 130020 रूपए, पौधों पर 120250 रूपए के साथ-साथ 2526 रूपए का विविध खर्चा दर्शाया गया है। यही नहीं 1 लाख 18 हजार 950 रूपए की राशि मजदूरी पर खर्च दिखाई गई है।
अमरीक बिश्नोई के अनुसार अपने जवाब में पंचायत ने गांव के शमशान घाट, स्कूल, वाटर वक्र्स के साथ-साथ गांव में विभिन्न जगहों पर पौधारोपण का जिक्र किया है। इन सभी जगहों पर लगभग 600 खड्डे खोदकर पौधारोपण किया गया है। जिसमें तीन प्रकार के पौधे लगाए गए हैं। लगभग 78 ट्री गार्ड लगाए गए हैं।
बिश्नोई के अनुसार उपरोक्त सभी कार्य पर करीब एक लाख रूपए की राशि खर्च बैठती है। लेकिन पंचायत ने करीब चार लाख रूपए खर्च दिखाए हैं। चूंकि जिन पौधों को लगाया दिखाया गया है, उनकी कीमत 20 रूपए से लेकर 120 रूपए तक है। जबकि ट्री गार्ड की कीमत 500 रूपए प्रति गार्ड है। वहीं खड्डा खोदने की मजदूरी मात्र 10 रूपए दी गई है। ऐसे में पंचायत शक के घेरे में नजर आती है।
इधर खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय के एसईपीओ रामप्रकाश ग्रोवर ने बताया कि अमरीक सिंह बिश्नोई ने आरटीआई के तहत आधी-अधूरी जानकारी देने की शिकायत उनके पास की थी। शिकायत के आधार पर वे गांव मौजगढ़ में गए थे। लेकिन पंचायत सचिव मौके पर उपस्थित नहीं हो सका। सचिव से रिकॉर्ड मिलते ही मामले की जांच करवाई जाएगी।

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