डीडी गोयल
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जिला सिरसा ने हरियाणा प्रदेश के साथ-साथ देश को एक से एक कद्दावर नेता दिया। लेकिन इन
नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाई। विकास की एक ईंट भी जिला पर नहीं लगाई। यह हम नहीं कह रहे क्रिड की रिपोर्ट कह रही है। जिला के सभी गांव तथा शहर चीख-चीख कर विकास की मांग कर रहे हैं।
डबवाली। जिस जिले ने देश और प्रदेश की राजनीति को नई दिशा और दशा दी हो वह जिला पिछड़ा कहलाता होगा, ऐसा न ही किसी ने सोचा और समझा होगा। लेकिन यह सच है कि जिला सिरसा को प्रदेश में महेंद्रगढ़ के बाद सबसे पिछड़ा जिला घोषित करार दिया गया है। इसलिए इस जिले में अधिकतर कार्य पिछड़े क्षेत्रों के लिए बनी योजना बीआरजीएफ के तहत किया जाता है। सैन्टर ऑफ रिसर्च इन रूरल एण्ड इंडस्ट्रीयल डिवेलप्मेंट (क्रिड) ने इस बार के सर्वे में कई अहम मुद्दों को जन्म दिया है।
जिला सिरसा ने देश को चौ. देवीलाल सरीखे उपप्रधानमंत्री, चौ. ओमप्रकाश चौटाला जैसा मुख्यमंत्री, लक्ष्मण दास अरोड़ा के रूप में उद्योग मंत्री, वेदपाल नेहरा के रूप में सिंचाई मंत्री, गोपाल काण्डा के रूप में शहरी निकाय मंत्री दिया है। यूं कहें कि राजनीति रूपी बाग का हर वो फूल दिया है, जो एक बाग की सुंदरता के लिए आवश्यक होता है। जिसके बिना बाग का अर्थ शेष नहीं रह जाता। लेकिन जिसने ये फूल दिए वहां की धरा आज भी बंजर है। शिक्षा, पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम चली आ रही है। क्रिड संस्था के प्लानिंग ऑफिसरों द्वारा किए गए सर्वे में कई हैरानीजनक बाते सामने आई हैं। जिससे जिला सिरसा के राजनीतिकों के साथ-साथ समय-समय पर आई विभिन्न पार्टियों की सरकारें कटघरे में खड़ी प्रतीत होती हैं।
केंद्र सरकार ने करीब पांच वर्षों से जिला सिरसा को पिछड़ा जिला घोषित किया हुआ है। समय-समय पर क्रिड संस्था इसका सर्वे करने के लिए यहां आती है। इस संस्था के प्लानिंग अधिकारियों की रिपोर्ट पर ही विकास कार्य अंजाम दिए जाते हैं। इस बार भी यहां सर्वे हुआ है। देखने में आया है कि जिला सिरसा में स्वास्थ्य सुविधाएं नगण्य के सामान हैं। चूंकि 30-30 किलोमीटर के दायरे में सब सैन्टर स्थापित हैं। जिससे इतनी दूर तक जाने में ग्रामीणों को दिक्कत आती है। या यूं कहे कि अभी तक जिला के प्रत्येक गांव या फिर पांच किलोमीटर की दूरी पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है। एक एएनएम के कंधों पर छह-छह डिलीवरी हट का बोझ है। ऐसे में महिला की सुरक्षित प्रसूति की बात कैसे की जा सकती है। छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के लिए आंगनवाड़ी न के बराबर हैं। अगर कहीं हैं तो वे शमशान घाट में। जिससे ग्रामीण वहां पर जाने से घबराते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में खुले सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले बच्चों के लिए स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। युवतियां शिक्षा के मामले में लड़कों से पिछड़ी हुई हैं। लड़कियों को घरों से बाहर न निकलने देना और स्त्रियों में जागरूकता की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है।
क्रिड के सर्वे में यह भी आया है कि जिला के विभिन्न खण्ड़ों के अधिकतर गांवों में लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पाता। वहां का अधिकतर भूमिगत जल खारा हो गया है। इसके चलते लोग मोल में पानी लेकर पीते हैं। गांवों में स्वच्छता अभियान की कमी भी जाहिर हुई है। शहरों में अधिकतर पीने के पानी तथा सीवरेज व्यवस्था की प्रॉब्लम बनी हुई है। सीवरेज व्यवस्था ठप रहने से गंदा पानी सड़कों पर है और लोग बीमार पड़ रहे हैं।
क्रिड की जिला को-ऑर्डिनेटर प्रदीप कुमारी ने उपरोक्त पुष्टि करते हुए बताया कि सर्वे कंपलीट हो गया है। जिला के सभी गांवों का दौरा करने के बाद प्लानिंग ऑफिसर ने अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जिला सिरसा शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पेयजल व्यवस्था में काफी पिछड़ा हुआ है। साल 2006-07 में जिला सिरसा को बीआरजीएफ योजना के तहत डाला गया था। उस समय से लेकर अब तक स्वच्छता अभियान में कामयाबी मिली है। लेकिन अभी भी कुछ अहम बिन्दू हैं, जिन पर तत्परता से काम किया जाना जरूरी है। गांवों तथा शहरों में पीने के पानी की काफी किल्लत है, अगर पानी आता है तो वह भी गंदा। लोगों ने आरओ सिस्टम लगवाए जाने की मांग की है, ताकि बीमारियों से बचा जा सकें। इस रिपोर्ट को क्रिड उपायुक्त सिरसा को सौंपेगी, ताकि जिला के विकास की योजनाएं तैयार हो सकें।
यहां विशेषकर उल्लेखनीय है कि जिस जिला ने उपरोक्त कद्दावर नेता इस देश और प्रदेश को दिए हों, उस जिला में उपरोक्त समस्याओं का अम्बार कैसे लग गया? क्या सरकारों ने जिला को विकास के लिए फण्ड नहीं दिए? क्या हमने अपना प्रतिनिधि चुनने में गलती की? क्या हमारा प्रतिनिधि हमारे विश्वास पर खरा नहीं उतरा? क्रिड संस्था के सर्वे ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। आखिर नेताओं का जिला पिछड़ा कैसे हो सकता है?
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