डबवाली (लहू की लौ) बेटी का रिश्ता तय करने के बाद मां चल बसी। बाप का साया चार साल पहले उठ चुका था। पीछे रह गये थे तीन भाई-बहन। विवाह की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही थी इस बेटी के दुल्हनियां बनने के अरमान धूमिल हो रहे थे। शादी के प्रबंध न होने से रिश्तेदार भी चिंता में थे। ऐसे में मुहल्ला वासी भगवान के दूत बनकर आये। मुहल्ला वासियों की एकजुटता से इस बेटी के हाथ पीले हुये। लोगों की एकजुटता की यह मिसाल शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
अपने पति प्रकाश की मौत के बाद रोशनी देवी अपनी चार बच्चों के साथ प्रेमनगर में किराये के एक मकान में रहती थी। घरों में बर्तन-झाडू करके अपना तथा अपने परिवार का पेट पाल रही थी। अपनी बड़ी बेटी 19 वर्षीय पूजा का विवाह तय कर दिया। इसी बीच रोशनी देवी का निधन हो गया। बिना मां-बाप चार भाई-बहन एक-दूसरे को अच्छे दिन आने की दिलासा देते हुये समय गुजारने लगे। पूजा की शादी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आते गई, चिंता गहराती गई। परस्पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रिश्तेदार भी सोच में डूब गये। इन परिस्थितियों में सहयाग के लिये मुहल्ला वासी आगे आये, एकजुटता दिखाते हुये पैसे एकत्रित किये। मंगलवार को गुरूद्वारा बाबा विश्वकर्मा मंदिर में पूरे रीति-रिवाज के साथ इस बेटी का हाथ श्रीगंगानगर के गांव मल्लनपुर निवासी अमन के हाथों में देते हुये विदा किया। सबसे खास बात यह कि मुहल्ला वासियों ने इस बेटी को मां-बाप की कमी नहीं खलने दी।
रिश्तेदारों के सुपुर्द करेंगे तीन बच्चे
गली वासी पूजा के तीन भाई-बहनों की जिम्मेवारी उसके रिश्तेदारों को देंगे। ताकि वे पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें। इस मौके पर बबलू पारछा, राजू भाट, सतीश कक्कड़, ताज अली खान, सुखदेव, पप्पू बाबा, गोगी छाबड़ा, पूनम धमीजा, भजन मिस्त्री, पूर्व पार्षद अशोक कुमार उपस्थित थे।
अपने पति प्रकाश की मौत के बाद रोशनी देवी अपनी चार बच्चों के साथ प्रेमनगर में किराये के एक मकान में रहती थी। घरों में बर्तन-झाडू करके अपना तथा अपने परिवार का पेट पाल रही थी। अपनी बड़ी बेटी 19 वर्षीय पूजा का विवाह तय कर दिया। इसी बीच रोशनी देवी का निधन हो गया। बिना मां-बाप चार भाई-बहन एक-दूसरे को अच्छे दिन आने की दिलासा देते हुये समय गुजारने लगे। पूजा की शादी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आते गई, चिंता गहराती गई। परस्पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रिश्तेदार भी सोच में डूब गये। इन परिस्थितियों में सहयाग के लिये मुहल्ला वासी आगे आये, एकजुटता दिखाते हुये पैसे एकत्रित किये। मंगलवार को गुरूद्वारा बाबा विश्वकर्मा मंदिर में पूरे रीति-रिवाज के साथ इस बेटी का हाथ श्रीगंगानगर के गांव मल्लनपुर निवासी अमन के हाथों में देते हुये विदा किया। सबसे खास बात यह कि मुहल्ला वासियों ने इस बेटी को मां-बाप की कमी नहीं खलने दी।
रिश्तेदारों के सुपुर्द करेंगे तीन बच्चे
गली वासी पूजा के तीन भाई-बहनों की जिम्मेवारी उसके रिश्तेदारों को देंगे। ताकि वे पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें। इस मौके पर बबलू पारछा, राजू भाट, सतीश कक्कड़, ताज अली खान, सुखदेव, पप्पू बाबा, गोगी छाबड़ा, पूनम धमीजा, भजन मिस्त्री, पूर्व पार्षद अशोक कुमार उपस्थित थे।
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