साहस को सलाम
अग्निकांड का दंश झेल चुकी डबवाली के उन प्रतिभावान बच्चों के दर्द को अपने पत्र में जिस विलक्षण शैली में जिस तरह से आप लिखते आ रहे हैं उससे आम व्यक्ति को उनके दर्द का बखूबी अहसास करवा रहे हैं, जो काबिले तारीफ है। वाकई इन बच्चों के प्रति सहानुभूति के अलावा इन्हें प्रोत्साहन की अधिक आवश्यकता है। मैं आपके इस कालम का नियमित पाठक हूं, इन सब को न्याय दिलाने का यह अनूठा प्रयास मुझे बेहद पसंद आया। इससे शिकार बच्चों ने अग्निकांड के जख्मों को जहां सहा है, वहीं उनके समक्ष आज भी जो दरपेश परेशानियां हैं वे भी उजागर हुई हैं, ये वो जख्म हैं, जो हम कभी नहीं भूल सकते, इन प्रतिभाशाली बच्चों ने इस सकंट के समय हो आदम्य साहस का परिचय दिया है वो एक मिसाल है।
नवगीत इसी स्कूल का विद्यार्थी रहा है, वह बचपन से ही स्वाभिमानी रहा है। सहानुभूति की जगह प्रोत्साहन में विश्वास करता था। मैंने उससे कभी सहानुभूति नहीं दिखाई, मेरे इतना कहने मात्र से कि आप किसी से कम नहंीं हो, वह नयी ऊर्जा से भर जाता था। बहुत ही होनहार आज्ञाकारी विद्यार्थी रहा वह 10वीं तक इस विद्यालय का।
आज लहू की लौ समाचार पत्र में कम्पनियों ने अपाहिज कह कर रूलाया पढ़कर उसके स्कूली जीवन की सारी स्मृतियां मेरे मानसिक पटल पर उभर आईं। आज माता पिता के साथ-साथ विद्यालय को भी गर्व है कि वह आज इण्डियन ऑयल कम्पनी में सीनियर प्रचेजिंग अधिकारी के पद पर कार्यरत है, ऐसा पढ़कर रह रह कर उसकी याद आ रही है कि उसने जब पहली बार गुवाहटी (असम) में ज्वाईन किया था तो उसने सब से पहले फोन कर मम्मी पापा को स्कूल में मिठाई का डिब्बा देकर आने को कहा था।
अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, अपनी प्रतिभा व स्वाभिमान उमंगों व उत्साह के साथ जीवन को फिर से जीने के नवगीत की महत्वाकांक्षा जैसे साहस को मेरा सलाम......
विद्यालय परिवार आज उसकी इस उपलब्धि पर गौरवन्वित महसूस कर रहा है।
-वेदप्रकाश भारती, निदेशक,एनपीएस मंडी डबवाली
पाठकों से : आप भी लहू की लौ में अग्निकांड पर प्रकाशित किये जाने वाले समाचारों पर अपनी प्रतिक्रियाएं भेज कर साहस जुटाने वाले युवाओं को प्रोत्सोहित करें और इस बार अधिक से अधिक संख्या में अग्निकांड स्थल पर पहुंच कर शहीदों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दें।-संपादक
अग्निकांड का दंश झेल चुकी डबवाली के उन प्रतिभावान बच्चों के दर्द को अपने पत्र में जिस विलक्षण शैली में जिस तरह से आप लिखते आ रहे हैं उससे आम व्यक्ति को उनके दर्द का बखूबी अहसास करवा रहे हैं, जो काबिले तारीफ है। वाकई इन बच्चों के प्रति सहानुभूति के अलावा इन्हें प्रोत्साहन की अधिक आवश्यकता है। मैं आपके इस कालम का नियमित पाठक हूं, इन सब को न्याय दिलाने का यह अनूठा प्रयास मुझे बेहद पसंद आया। इससे शिकार बच्चों ने अग्निकांड के जख्मों को जहां सहा है, वहीं उनके समक्ष आज भी जो दरपेश परेशानियां हैं वे भी उजागर हुई हैं, ये वो जख्म हैं, जो हम कभी नहीं भूल सकते, इन प्रतिभाशाली बच्चों ने इस सकंट के समय हो आदम्य साहस का परिचय दिया है वो एक मिसाल है।
नवगीत इसी स्कूल का विद्यार्थी रहा है, वह बचपन से ही स्वाभिमानी रहा है। सहानुभूति की जगह प्रोत्साहन में विश्वास करता था। मैंने उससे कभी सहानुभूति नहीं दिखाई, मेरे इतना कहने मात्र से कि आप किसी से कम नहंीं हो, वह नयी ऊर्जा से भर जाता था। बहुत ही होनहार आज्ञाकारी विद्यार्थी रहा वह 10वीं तक इस विद्यालय का।
आज लहू की लौ समाचार पत्र में कम्पनियों ने अपाहिज कह कर रूलाया पढ़कर उसके स्कूली जीवन की सारी स्मृतियां मेरे मानसिक पटल पर उभर आईं। आज माता पिता के साथ-साथ विद्यालय को भी गर्व है कि वह आज इण्डियन ऑयल कम्पनी में सीनियर प्रचेजिंग अधिकारी के पद पर कार्यरत है, ऐसा पढ़कर रह रह कर उसकी याद आ रही है कि उसने जब पहली बार गुवाहटी (असम) में ज्वाईन किया था तो उसने सब से पहले फोन कर मम्मी पापा को स्कूल में मिठाई का डिब्बा देकर आने को कहा था।
अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, अपनी प्रतिभा व स्वाभिमान उमंगों व उत्साह के साथ जीवन को फिर से जीने के नवगीत की महत्वाकांक्षा जैसे साहस को मेरा सलाम......
विद्यालय परिवार आज उसकी इस उपलब्धि पर गौरवन्वित महसूस कर रहा है।
-वेदप्रकाश भारती, निदेशक,एनपीएस मंडी डबवाली
पाठकों से : आप भी लहू की लौ में अग्निकांड पर प्रकाशित किये जाने वाले समाचारों पर अपनी प्रतिक्रियाएं भेज कर साहस जुटाने वाले युवाओं को प्रोत्सोहित करें और इस बार अधिक से अधिक संख्या में अग्निकांड स्थल पर पहुंच कर शहीदों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दें।-संपादक
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