डबवाली (लहू की लौ) डबवाली से करीब आठ किलोमीटर दूर गांव चकरूलदू सिंह वाला (जिला बठिंडा) में स्वाइन फ्लू के कारण एक महिला की मौत हो जाने से गांव में दहशत का माहौल है। महिला की अस्थियां चुनने पर स्वास्थ्य विभाग पंजाब द्वारा प्रतिबंध लगा देने से इस दहशतजदा माहौल को और हवा मिल गई है। जिसके चलते लोग अब इस महिला के घर में भी प्रवेश करने से डरने लगे हैं।
गांव चकरूलदू सिंह की रहने वाली उर्मिला देवी (55) को 15 मार्च को बुखार हुआ था। उसे इलाज के लिए डबवाली के एक निजी अस्पताल में लाया गया। बुखार ठीक होने के बाद 16 मार्च को उसे अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उर्मिला के परिजन उसे डबवाली के ही अन्य निजी अस्पताल में ईलाज के लाए। लेकिन डॉक्टर ने उसे बठिंडा के लिए रैफर कर दिया। उर्मिला देवी का सबसे छोटा बेटा शंकर उसे उपचार के लिए बठिंडा और फिर लुधियाना ले गया। शंकर (25) निवासी चकरूलदू सिंह वाला ने बताया कि उसकी माता उर्मिला देवी में स्वाइन फ्लू के लक्षण होने के कारण डीएमसी के डॉक्टरों ने उनका सैम्पल लेकर दिल्ली भेज दिया। 17 मार्च को जो रिपोर्ट आई, उसमें स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया। 19 मार्च को उर्मिला देवी ने दम तोड़ दिया।
उर्मिला के शव को गांव चकरूलदू सिंह वाला लाया गया और गांव की शमशान भूमि में शव को अग्नि दे दी गई। इसकी जानकारी पाकर स्वास्थ्य विभाग पंजाब ने गांव में डेरा जमा लिया। शंकर के अनुसार उसकी मां की अस्थियों को चुनने पर प्रतिबंध लगा दिया।
अब स्थिति यह है कि कोई भी ग्रामीण अफसोस प्रकट करने के लिए उर्मिला के घर जाते हुए डरता है। इधर स्वास्थ्य विभाग बठिंडा ने संगत में तैनात कार्यकारी एसएमओ डॉ. सीमा गुप्ता के नेतृत्व में गांव चकरूलदू सिंह वाला में एतिहात के तौर पर टेमी फ्लू दवा वितरित करवाई है। स्वाइन फ्लू के रोगी के संपर्क में रहने वाले लोगों के ब्लड के सैम्पल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया है।
गांव चकरूलदू सिंह वाला के सरपंच दीपइन्द्र सिंह ने गांव में स्वाइन फ्लू फैलने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग पंजाब से मांग की कि गांव को स्वाइन फ्लू से सुरक्षित किया जाए।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी आरएस रंधावा ने बताया कि मृतका उर्मिला के डीएमसी लुधियाना द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण स्वाइन फ्लू बताया गया है। लेकिन फिलहाल डीएमसी ने इस संबंधी रिपोर्टे मुहैया नहीं करवाई हैं। उन्होंने बताया कि जांच में यह पाया गया है कि मृतका कभी घर से बाहर नहीं गई थी। लेकिन स्वाइन फ्लू के प्रभाव में कैसे आई?, यह जांच का विषय है। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि स्वास्थ्य विभाग ने अस्थियां चुनने पर प्रतिबंध लगाया है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार ग्रामीणों को टेमी फ्लू दवाई देकर उनमें आत्मविश्वास बहाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को स्वाइन फ्लू से भयभीत होने की जरूरत नहीं है। अगर उन्हें इस रोग के संबंध में कोई संदेह है तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दें।
सेखू में भी मिला स्वाइन फ्लू का रोगी
डबवाली (लहू की लौ) संगत ब्लाक के गांव सेखू में भी स्वाइन फ्लू का एक मरीज पाया गया है। सेखू निवासी जगजीत सिंह ने बताया कि उसके बड़े भाई मनदीप (25) को 6-7 मार्च को बुखार हुआ था। वे उसे बठिंडा ले गए। यहां से उन्हें स्वाइन फ्लू के लक्षणों के चलते डीएमसी लुधियाना के लिए रैफर कर दिया गया। जगजीत के अनुसार 17 मार्च को डीएमसी में उसके खून की रिपोर्ट की जांच के बाद उसे स्वाइन फ्लू का रोगी घोषित कर दिया गया। फिलहाल मनदीप डीएमसी में उपचाराधीन है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी आरएस रंधावा ने बताया कि सेखू में मिले स्वाइन फ्लू के रोगी की रिपोर्ट उन्हें मिली है। इस संबंध में गांव में कारगर कदम उठाए जा रहे हैं।
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