डबवाली (लहू की लौ) विश्व के वैज्ञानिक धरती से मानव जीवन समाप्त होने की हर रोज नई-नई तारीख घोषित कर देते हैं। यह महज एक भविष्यवाणी होती है। लेकिन हम कोई भविष्यवाणी नहीं कर रहे, बल्कि आपको एक ऐसे 'खतरेÓ से परिचित करवाने जा रहे हैं, जो तीन प्रदेशों की त्रिवेणी कहे जाने वाले नगर डबवाली के लोगों के लिए सबसे ज्यादा नुक्सानदायक साबित हो सकता है।
एक ऐसा 'खतराÓ जिसका प्रभाव केवल एक व्यक्ति पर नहीं, लगभग एक लाख आबादी वाले नगर डबवाली पर पड़ेगा। 'खतराÓ किसी व्यक्ति या प्रलय से नहीं है। बल्कि लोगों द्वारा ही सीवरेजों में बहाए जाने वाले गंदे पानी से है। यही गंदा पानी अब लोगों के गले की फांस बनेगा। चूंकि सीवरेज के गंदे पानी को निकालने का स्थान लगभग खत्म हो चुका है। इसी के कारण नगर के विभिन्न हिस्सों में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। अब के बरस हुई बारिश के दिनों में नगर में फैला डायरिया रोग इस बात का जीता-जागता सबूत है। खैर इस 'खतरेÓ से प्रशासन भी अनजान नहीं है। लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वह मसौदा तैयार करने में जुट गया है।
हरियाणा राज्य बनने से पूर्व डबवाली के रामबाग के पीछे गंदे पानी को निकालने के लिए डिस्पोजल स्थापित किया गया था। लेकिन साल 1965 में हरियाणा राज्य पंजाब से अलग हो गया। लेकिन जिस भूमि पर डिस्पोजल निर्मित है, वह जगह पंजाब की है। इसी के साथ हरियाणा क्षेत्र में पड़ती 11 एकड़ भूमि में गंदा पानी छोड़ा जाता था। डिस्पोजल का पूरा खर्च हरियाणा सरकार व्यय करती है। इस डिस्पोजल से शहर डबवाली का 70 फीसदी गंदा पानी निकलता है। लेकिन अब 11 एकड़ भूमि में से करीब आठ एकड़ भूमि पर नगरपालिका द्वारा गिराए गए शहर के कूड़े कचरे का कब्जा हो गया है। इसके अतिरिक्त एक अन्य डिस्पोजल चौटाला रोड़ पर बना हुआ है, जो शहर का 30 फीसदी गंदा पानी बाहर निकालता है।
यह है स्थिति
रामबाग के पीछे बने डिस्पोजल का गंदा पानी इन दिनों पंजाब के किसान प्रयोग में ला रहे हैं। सीवरेज के गंदे पानी से पंजाब के किसानों की करीब चार सौ एकड़ जमीन को फायदा पहुंच रहा है। लेकिन वे भी अपनी जरूरत तक ही पानी लगाएंगे। गौरतलब है कि बारिश के दिनों में पंजाब के किसानों ने गंदा पानी अपनी खेतों में निकालने पर रोक लगा दी थी। निकासी का कोई प्रबंध न होने के कारण और किसानों द्वारा अपने खेतों में गंदे पानी के प्रवेश को बंद करते ही यह गंदा पानी डबवाली नगर में लोगों के घरों में ही जाएगा। जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। हालांकि अब भी नगर के अधिकतर भाग में गंदा पानी घरों में आ रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस बात से जनस्वास्थ्य विभाग भली भांति परिचित है। इस समस्या के हल के लिए गंदे पानी को पंजाब से होते हुए शेरगढ़ तक पहुंचाने की योजना तैयार कर रहा है। योजना के मुताबिक करीब तीन किलोमीटर लम्बी नाली या पाईप बिछाकर गंदे पानी को गांव शेरगढ़ तक पहुंचाया जाएगा। सूत्रों की माने तो योजना लगभग पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। जिसे जल्द ही स्वीकृति के लिए मुख्य सचिव हरियाणा के पास भेजा जाएगा। लेकिन यह योजना सिरे चढऩे की उम्मीद कम है। चूंकि योजना को पूरा करने के लिए पंजाब सरकार की भी मोहर लगानी होगी।
योजना तैयार
डिस्पोजल व्यवस्था देख रहे जनस्वास्थ्य विभाग के जेई सुभाष चन्द्र ने समस्या को स्वीकार करते हुए बताया कि इसे दूर करने के लिए योजना बनाई गई है। जिसे जल्द मुख्य सचिव हरियाणा के पास भेजा जाएगा
सीवरेज का गंदा पानी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। इसके प्रयोग से ये रोग हो सकते हैं :-
1. डायरिया
2. हैजा
3. टाईफाईड
4. पीलिया
5. कैंसर
6. चमड़ी रोग
7. अनीमिया
8. हड्डी रोग
डबवाली के सरकारी अस्पताल के डॉ. बलेश बांसल ने बताया कि सीवरेज युक्त पानी को उबालने के बावजूद भी पानी के कीटाणु नहीं मरते। इसे शुद्ध पानी नहीं कहा जा सकता। सीवरेज युक्त पानी पीने से कैंसल तथा हड्डी रोग हो सकते हैं। इतना ही नहीं बल्कि व्यक्ति बीमारियों से लडऩे की भी शक्ति खो सकता है। चिकित्सक के अनुसार ऐसेी परिस्थिति में आरओ कारगार साबित हो सकते हैं। लेकिन कुछ समय के लिए। आरओ के पानी को भी इक्ट्ठा करके प्रयोग करने में ध्यान रखना आवश्यक होता है।
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