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Lahoo Ki Lau

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20 नवंबर 2024

खुलेआम हो रहा जनता के पैसे का दुरूपयोग, नगर परिषद के शौचालय बने समस्या


डबवाली(लहू की लौ)जनता की सुविधा के लिए नगर परिषद द्वारा लाखों रूपये लगाकर बनाये गये शौचालय लगता है सुविधामय ना होकर समस्या अधिक नजर आ रहें हैं। लगता है कि अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि कहलाने वाले सभी मिल कर जनता के पैसे पर दीमक की तरह चिमट गये हैं। जनता के टैक्स रूपी पैसे को किस तरह खर्च दिखाकर उसे जेबों में भरा जाये इसका खेल विकास के नाम पर जोरों पर जारी है। लोग बोल-बोल कर थक जाते हैं, उनकी समस्या के समाधान के लिए कार्यालय में कहीं जगह ही नहीं है।

हम बात कर रहे हैं जनता की सुविधाओं के नाम पर बनाये गये डबवाली के शौचालयों की जो हाल ही में नगरपरिषद द्वारा उनका निर्माण कार्य करवाया गया था। लेकिन ये निर्माण कार्य अधिकारियों की दया के चलते ठेकेदार अपनी मन मनानी से कर जनता को ठेंगा दिखाते हुए इधर से उधर हो गया। लेकिन जब जनता इस निर्माण कार्य पर सवाल उठाती है तो ना सरकारी कार्यालय के बाबू सुनवाई करते हंै। ना जनता के चुने गये कहे जाने वाले जनप्रतिनिधि। इस पर ध्यान देते है। वह भी कुर्सी और जनता द्वारा भरे जा रहे टैक्स को चिमट गये हैं। विकास के नाम पर सरेआम घटिया कार्य पर तालियां बजाते नजर आते हैं। सवाल उठता है कि जनता अपनी समस्या किसे बताये जबकि उनकी सुनवाई ही नहीं हो रहीं। 

हाल ही में बने पुरानी सब्जी मंडी के बाहर सुलभ शौचालय में ना कोई महिला पुरूष के लिए साईन बोर्ड है। ना ही कोई सुविधा। सुविधा है तो वह भी दिखावे के नाम पर जो सभी को दूर से दिख जाती है। लेकिन पास जाते ही वह सुविधा दुविधा नजर आती है। यह सारा खेल नगर परिषद के अधिकारियों, चेयरमैन सहित जनप्रतिनिधियों को नजर नहीं आता, कारण समझाने की आम जन को जरूरत ही नहीं। इस मार्किट के दुकानदार टोनी, शामलाल, दीपक ने बताया यहां पानी की पाईप सडक़ पर साफ नजर आ रही है। शौचालय के बाहर बनाई गई सीवरेज हौज का ढक्कन तक नहीं है। जिसे दुकानदारों ने खुद ही लगाया है। और अन्दर लघुशंका करने के लिए लगाया गया सैट ऊंचा लगा दिया गया जिससे लघुशंका करने के लिए अपने पंजों के बल पर खड़े होकर प्रयोग करना पड़ता है। यहां वॉशविशन में टोंटी ंहै, पानी नाम मात्र का आता है और कई जगह तो पानी व्यर्थ ही वह रहा है। यहां तक कि रंग रोगन और लगाया गया पत्थर भी सहीं तरीके से नहीं लगा। साथ ही रखी गई मोटर अंदर खुले में पड़ी है जिसे कभी कोई भी उखाडक़र लेजा सकता है। सफाई नाम का शब्द ही गायब है। सीधे कहें तो जनता के पैसे का सदुपयोग की जगह दुरूपयोग हो रहा है।

दुकानदारों के अनुसार वह ठेकेदार से लेकर नगर परिषद के अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों को इसकी मौखिक शिकायत कर चुके हैं लेकिन सुनवाई के नाम पर कानों में इनके तेल डला हुआ है। जो उनकी आवाज कान के अंदर पहुंचते पहुंचते बाहर आ जाती है। और अनसुना कर दिया जाता है।

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