कोख में बेटी के कतल पर परिवार का सामाजिक बहिष्कार करेगी पंचायत
डबवाली (लहू की लौ) पढ़ाई, खेलों में जिला स्तर पर पहला स्थान पाने वाली बेटी को गांव कुरंगावाली की पंचायत 5100 रुपए का पुरस्कार देगी। अगर बेटी ब्लाक स्तर पर पहले स्थान पर रहती है तो उसे 2100 रुपए, गांव में प्रथम रहने पर 1100 रुपए का पुरस्कार देगी। बेटियों को सम्मान देने के निर्णय के साथ-साथ पंचायत ने बेटी को कोख में मारने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
सरपंच जसपाल सिंह उर्फ मक्खन ने शनिवार को गांव के राजकीय उच्च विद्यालय में मौजूद बेटियों तथा ग्रामीणों के सामने पंचायत के फैसले सुनाए। जिनका महिलाओं तथा बेटियों ने तालियां पीटकर स्वागत किया। इससे पहले डबवाली की सामाजिक संस्था अपने ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ विषय पर सेमिनार किया। गांव सांवतखेड़ा के पूर्व सरपंच रणजीत सिंह ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को किताबों में पढ़ाया जाता है राम स्कूल जा, राधा पोछा लगा। हमारा शिक्षा विभाग बेटियों के प्रति ऐसी धारणा रखता है, जिससे कहीं न कहीं बेटियों के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचती हैं। लंबे समय से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे रणजीत सिंह ने अपने ही परिवार की कहानी ब्यां कर दी। उन्होंने कहा कि एक रिश्तेदार ने अपनी पत्नी के गर्भ की जांच करवाई। जब उसे पता चला कि बेटी पैदा होने वाली है तो वह वहीं बेहोश होकर गिर गया। उस घटना का जिक्र करते हुए सरपंच ने बेटियों का दर्द ब्यां करते हुए गीत लिख दिया कि बोझ मेरा बाबुला ना जाणी, रुक्खी-सुक्खी खा लूंगी, पाट्टे हण्डा लूंगी।
कन्या भ्रूण हत्या पर कटाक्ष करते हुए रणजीत सिंह ने कहा कि वर्तमान जमाने से अच्छी सती प्रथा थी। उस समय किसी औरत का पति मर जाता, तो उसके साथ ही उसे भी जला दिया जाता था। आज के आधुनिक दौर में जन्म से पहले ही मार दिया जाता है। सेमिनार को कलाकार संजीव शाद तथा स्कूल के प्रिंसीपल वासदेव शर्मा ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर संस्था के प्रधान मथरा दास चलाना, नशा मुक्ति केंद्र कालांवाली के प्रॉजेक्ट कोर्डिनेटर शमशेर सिंह, एसआई छबील दास मौजूद थे। मंच का संचालन पंजाबी प्राध्यापक रछपाल सिंह ने किया।
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