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Lahoo Ki Lau

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25 दिसंबर 2010

बिछुड़ों को नम आंखों से दी श्रद्धांजलि

डबवाली (लहू की लौ) अग्निकांड स्मारक स्थल पर गुरूवार को हजारों लोगों ने नम आंखों से अग्निकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया। श्रद्धांजलि समारोह में अग्निकांड पीडि़तों ने अपनी व्यथा भी प्रशासन और सरकार के समक्ष व्यक्त की।
अग्निकांड स्मारक पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित की गई। सुबह हवन यज्ञ का आयोजन हुआ। तत्पश्चात् श्री गुरूग्रंथ साहिब के रखे गए अखंड पाठ तथा श्री रामायण पाठ का भोग डाला गया। धर्मसभा में सांसद अशोक तंवर, स्वामी सूर्यदेव, मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी डॉ. केवी सिंह, उपमंडलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल सहित प्रशासन तथा सरकार के नुमाईंदों ने भी अग्निकांड में काल का ग्रास बने लोगों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
धर्म सभा के बाद मंच संचालन कर रहे आचार्य रमेश सचदेवा ने अग्निकांड पीडि़तों की ओर से मांगे प्रस्तुत की। जिसमें उन्होंने कहा कि अग्निकांड पीडि़त मुआवजा की राशि पर कोई बात न करके केवल अपनी समस्याओं के समाधान की बात कर रहे हैं। उनके अनुसार जिन अग्निकांड में घायल लोगों को इलाज की जरूरत है, उनका इलाज करवाया जाए। मुआवजा राशि से उनका इलाज असंभव है। उन्होंने स्मारक स्थल के रखरखाव पर भी ध्यान देने का अनुरोध प्रशासन से किया और साथ में कहा कि जिन लोगों को अभी भी नौकरियों की जरूरत है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नौकरियां दी जाएं। भविष्य में इस प्रकार की ट्रेजडी फिर कभी न घटित हो, इस दिन को अग्नि सुरक्षा जागरूकता दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाना चाहिए।
सांसद की जुबान फिसली
इस मौके पर सांसद अशोक तंवर ने कहा कि इस त्रासदी के बाद पीडि़तों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कितना भी कुछ किया जाए, वह कम है। लेकिन कम से कम पीडि़त परिवारों और व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान तो होना ही चाहिए। उन्होंने अग्निकांड पीडि़तों की मांग के संदर्भ में प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पीडि़तों की मांगे पूरी होनी चाहिए और इसके लिए जो फाईल तैयार की जाए, उसे तुरंत सरकार के पास भेजा जाना चाहिए। कहीं वह इसी प्रकार दबकर न रह जाएं, जिस प्रकार से पीडि़तों की समस्याएं पंद्रह सालों से दबी पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि वे अग्निकांड पीडि़तों की समस्याओं के समाधान के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक तौर पर प्रयास करेंगे। लेकिन उस समय लोग स्तब्ध रह गए जब उन्होंने कहा कि डबवाली का सिविल अस्पताल 60 बिस्तर का बन गया है या फिर घोषणा ही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सभी सुविधाएं पीडि़तों को मिलें, इसके लिए वे मुख्यमंत्री के समक्ष  25 दिसंबर को सिरसा आगमन के दौरान उठाएंगे।
आश्वासन का लॉलीपाप
इस दौरान सांसद को अग्निकांड पीडि़तों का एक शिष्टमंडल पीडि़तों की अधिवक्ता अंजू अरोड़ा, अग्निकांड फायर विक्टम एसोसिएशन के अध्यक्ष हरपाल सिंह, आचार्य रमेश सचदेवा,  गुरतेज सिंह, विनोद बांसल के नेतृत्व में मिला। सांसद को साल 1995 में सरकार द्वारा किए गए वायदे याद करवाए और कहा कि पीडि़तों को जिन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, उस संदर्भ में सर्वेक्षण करवाया जाए और  उनकी जरूरतों के अनुसार उन्हें सुविधाएं दी जाएं। इस मौके पर सांसद ने शिष्टमंडल को आश्वासन देते हुए कहा कि वे जनवरी माह में अपोलो अस्पताल, दिल्ली के डॉक्टरों को डबवाली बुलाकर अग्निकांड में घायल हुए लोगों के इलाज के लिए राय लेंगे और उनसे इलाज करवाएंगे। इस मौके पर यह सवाल भी उठा कि घायलों में दस ऐसे बच्चे हैं, जिन पर कांड का प्रभाव आयु भर रहेगा और उनको दोबारा समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए नौकरी दी जानी जरूरी हैं। शिष्टमंडल ने सांसद के समक्ष एमबीएड कर चुकी अग्निकांड में बुरी तरह से झुलसी सुमन को प्रस्तुत किया और बताया कि वह विकलांगता के कारण अध्यापक की सरकारी नौकरी नहीं पा सकी। अग्निकांड पीडि़तों को सरकारी नौकरी देने के संदर्भ में उठे सवाल पर सांसद ने सरकार से इस बारे में विचार-विमर्श करने की भी बात कही।
इस मौके पर मलकीत सिंह खोसा, कुलदीप गदराना, नवरतन बांसल, टेकचंद छाबड़ा, जगसीर सिंह मिठड़ी, पवन गर्ग, लवली मैहता, गुरजीत सिंह, लाभ सिंह एडवोकेट, हेमराज जिन्दल, सुरिन्द्र छिन्दा, प्रकाश चन्द बांसल, सतपाल सत्ता, पालविन्द्र शास्त्री, शमशेर सिंह, मथरा दास चलाना, ओमप्रकाश बांसल आदि उपस्थित थे।

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