डबवाली (लहू की लौ) यहां के वाल्मीकि चौक के पास गन्दगी के डिपू को उठवाने के लिए हनुमान के श्रद्धालुओं ने रामसेवक हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दी। जिसको लेकर बवाल खड़ा हो गया। प्रशासन के अधिकारी मौका पर पहुंचे। लेकिन काफी देर तक माथापच्ची करने के बाद भी श्रद्धालु अपनी बात से टस से मस नहीं हुए।
रामसेवक हनुमान की मूर्ति की स्थापना के पक्ष और विरोध में दो ग्रुप खड़े हो गये। एक ग्रुप का नेतृत्व प्रवीन सिंगला तथा दूसरे ग्रुप का नेतृत्व कामरेड गणपत राम कर रहे थे। प्रवीन सिंगला ने बताया कि उनके घरों के आगे नगरपालिका ने डिपू बना रखा है और गन्दगी के ढेर यहां लगे रहते हैं, जिसके चलते उनके बच्चे रोगी हो गये हैं। कई बार नगरपालिका को डिपू हटवाने के लिए कहा गया। लेकिन नगरपालिका टस से मस नहीं हुई बल्कि लोगों ने यहां पर मांस तक फेंकना शुरू कर दिया। यहीं नहीं बल्कि लोग इस स्थान पर खड़े होकर पेशाब करते हैं जिसका दुष्प्रभाव उनके परिवारों पर पड़ रहा है। जिसके चलते आसपास के सभी लोगों ने साफ-सफाई करके हनुमान की मूर्ति स्थापित करके इसे पावन स्थान बनाने का प्रयास किया।
इधर दूसरे पक्ष के कामरेड गणपत राम बगैरा का आरोप है कि वह गन्दगी कहां फेंके। जबकि पिछले 25 सालों से यहां कूड़े का डिपू बना हुआ है। इस मामले को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गये। यहां तक कि दोनों पक्षों की महिलाएं भी सड़कों पर आ गईं। तनाव की स्थिति और मंदिर के अवैध निर्माण को लेकर मौका पर उपमंडलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल तथा नायब तहसीलदार हरि ओम बिश्नोई दल बल के साथ मौका पर पहुंचे। लेकिन जैसे ही प्रशासनिक अधिकारियों ने हनुमान की मूर्ति को हटवाने का प्रयास किया तो श्रद्धालु महिलाएं वहां डट गईं और उन्होंने मूर्ति को चारों ओर से घेर लिया और साथ में चेतावनी दी कि मूर्ति उनकी लाशों के ऊपर से ही उठेगी। मामले को सुलझाने के लिए उपमंडलाधीश ने अग्रवाल पीरखाना में वार्ड नं. 13, 14, 15 के लोगों की एक बैठक बुलाई और उसमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट के नवम्बर 2009 के निर्णय अनुसार किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अवैध रूप से मंदिर का निर्माण करवाना गैरकानूनी है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से हिदायतें दी गई हैं कि इस अवैध निर्माण को तुरन्त प्रभाव से गिरा दिया जाये वरना वह सभी लोग दोषी होंगे जो इस अवैध निर्माण को देखेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि बठिंडा रोड़ पर स्थित रामभक्त हनुमान मंदिर को भी तोडऩे के आदेश आ चुके हैं। इसे भी कुछ दिनों में गिराया जा सकता है। राम भक्त हनुमान मंदिर प्रबंधक समिति को स्वयं ही मंदिर को हटवा लेेने के लिए कहा गया है। इस मौके पर उन्होंने वार्ड नं. 14 में ताजा स्थापित की गई मूर्ति को हटवाने के लिए 14 मैम्बरी कमेटी का गठन किया। जिसमें पार्षद विनोद बांसल, पार्षद मधु बागड़ी, पार्षद सुरजीत चावला के साथ-साथ सीता राम सिंगला, साहब राम पुहाल, रामरख, चित्रगुप्त छाबड़ा, प्रवीन सिंगला, डॉ. भारत भूषण छाबड़ा, विजय छाबड़ा, संजय कुमार, गणपत राम, आशा वाल्मीकि और कृष्ण कुमार को मनोनित किया गया। लेकिन जब मूर्ति को हटाने का समय आया तो इस क मेटी के अधिकांश सदस्य मौका से फरार हो गये और कहने लगे कि वह अपने हाथों से स्थापित की गई मूर्ति को किसी भी कीमत पर हटा कर पाप नहीं लेंगे। इस मौके पर तनाव की स्थिति इतनी बढ़ गई कि उपमंडलाधीश तो इस मामले को बीच में ही छोड़ कर चले गये। लेकिन दोनों पक्षों की महिलाएं आमने-सामने आ गईं। समय रहते थाना शहर प्रभारी विक्रम नेहरा, थाना सदर प्रभारी भगवान दास और उनके साथियों ने स्थिति को नियंत्रण मेें कर लिया। अन्तत: काफी लम्बे विवाद के बाद करीब 2 बजे दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हो गये कि मूर्ति को सम्मान सहित हटा कर वाल्मीकि मंदिर में पहुंचा दिया जाये। इस स्थान पर कोई भी कूड़ा नहीं फेंकेगा। बल्कि यहां खड़ी की गई रेहडिय़ों में कूड़ा डाल देगा। पुन: उपमंडलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने मामले को अपने हाथ में लिया और दोनों पक्षों में अपने कार्यालय में बुलाया। वहां पर मामले को सुलझाने के बाद नायब तहसीलदार हरिओम बिश्नोई तथा डीएसपी बाबू लाल के नेतृत्व में मूर्ति को वहां से हटा कर सम्मानपूर्वक वाल्मीकि मंदिर में भेज दिया। वाल्मीकि समाज के साहब राम पुहाल ने कहा कि इस मूर्ति को यहां स्थापित करवायेंगे।
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