
वक्ताओं ने कहा कि सरकार कोविड-19 आपातकाल की आड़ में कर्मचारियों की छंटनी कर रही है, उनके आर्थिक हितों पर कुठाराघात कर रही है। महंगाई भत्ते व एलटीसी सहित अन्य भत्तों पर रोक लगाना इसी कड़ी का हिस्सा है । 1983 पीटीआई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदत्त समय पूर्व कार्य मुक्त करना कर्मचारी विरोधी नीतियों का नतीजा है । हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला सहसचिव गुरमीत सिंह ने धरने को संबोधित करते हुए सरकार से मांग की कि दस वर्षों से विभाग में सेवा कार्य कर रहे पीटीआई शिक्षकों के हित में सरकार सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करे व कोई नीति बनाकर इन्हें सेवा सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। आल हरियाणा पावर कार्पोरेशन डबवाली के प्रधान राहुल शर्मा ने सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने व स्वास्थय विभाग सहित सभी विभागों में लगे आउटसोर्सिंग से हटाए गए कर्मचारियों की सेवा बहाल करने की मांग की और सरकार को चेताया कि कर्मचारी विरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध किया जाएगा और तुगलकी फरमानों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
धरने को स्वास्थ्य विभाग से सुमित्रा देवी, मिड-डे-मील वर्कर यूनियन की प्रधान राज रानी, आंगनबाड़ी यूनियन की पूर्व प्रधान वीरों देवी, भवन-निर्माण कामगार यूनियन के प्रधान राजविंदर सिंह व प्रधान सुभाष ढाल ने भी संबोधित किया। धरने में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ से सचिव कालूराम, राजेंद्र जाखड़, नानक चंद,बलौर सिंह, गुरविंदर सिंह, भीमराय, मनोज बूमरा वोकेशनल एजुकेशन यूनियन से राजवीर सिंह के अलावा बहुत से अध्यापकों, मिड-डे-मील वर्कर्स , आंगनबाड़ी, बिजली विभाग के कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
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