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21 नवंबर 2024

किसान ने मानसिक परेशानी और आर्थिक तंगी के चलते की आत्महत्या


डबवाली (लहू की लौ) गांव सांवतखेड़ा में 51 वर्षीय किसान ने मानसिक परेशानी और आर्थिक तंगी के चलते अपने खेत में पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मृतक के बेटे के बयान के आधार पर इतफाकिया मौत की कार्रवाई करते हुए मृतक का पोस्टामार्टम करवाने के बाद शव को वारिसों को सौंप दिया है।

गांव सांवतखेड़ा निवासी खेम चन्द बिट्टू पुत्र जवाहर राम ने पुलिस को बताया कि उसके पिता जवाहर राम (51) पुत्र दारा राम काफी समय से परेशान चल रहे थे। उनकी मुख्य परेशानी खराब फसल, घर की आर्थिक स्थिति और बेटी की शादी की चिंता थी। इसके अलावा, कुछ समय पहले उसके ताया छनकू राम की मृत्यु हो गई थी, जिससे वे मानसिक रूप से और अधिक टूट गए थे। बिट्टू ने बताया कि बेटी की शादी और खराब फसल की वजह से उनके पिता अंदर ही अंदर घुटन महसूस करने लगे थे। डेढ़ एकड़ में बोई गई नरमा और ग्वार की फसल भी पूरी तरह खराब हो गई थी, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई।

मंगलवार सुबह ग्रामीणों ने देखा कि जवाहर राम ने अपने पड़ोसी विजयपाल के खेत में लगे पेड़ से अपने गमछे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। इस घटना की सूचना ग्रामीणों ने तुरंत गांव के सरपंच और पुलिस को दी। सूचना मिलते ही देसूजोधा पुलिस चौकी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और बिट्टू के बयान पर इसे इत्तेफाकिया मौत की कार्रवाई अमल में लायी गई।

डबवाली में खाद वितरण विवाद : किसान यूनियन ने लगाए झूठे आरोपों का खंडन



डबवाली(लहू की लौ) किसान यूनियन ने एक बार फिर प्रशासन और खाद वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने की अपील की है। यूनियन ने 18 नवंबर 2024 को कुछ किसानों द्वारा दायर शिकायत को निराधार और झूठा बताया।

किसान यूनियन का कहना है कि वे हमेशा शांति बनाए रखने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने में विश्वास रखते हैं। यूनियन के मुताबिक, 17 नवंबर को प्रशासन के समझौते के तहत खाद वितरण की प्रक्रिया तय की गई थी। किसान यूनियन के 76 सदस्यों और 100 अन्य किसानों की लिस्ट हैफड की दुकान नंबर 125 पर सौंपी गई थी। समझौते के अनुसार, किसानों को 3-3 बैग डीएपी खाद दिए गए।

यूनियन ने दावा किया कि शिकायतकर्ता अपने साथियों के साथ मौके पर आकर नारेबाजी करने लगा और यूनियन के खिलाफ अशांति फैलाने का प्रयास किया। इसके बावजूद, यूनियन के सदस्यों ने संयम बनाए रखा।

यूनियन का यह भी कहना है कि शिकायत में लगाए गए आरोप, जैसे 40 बैग बलपूर्वक उतारने और दुकानदारों को ब्लैकमेल करने के, पूरी तरह गलत हैं। यूनियन ने मांग की है कि यदि शिकायतकर्ता के पास कोई सबूत है, तो उसे प्रस्तुत किया जाए।

जसवीर सिंह भाटी ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने डीएपी खाद का एक भी बैग प्राप्त नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी 30 एकड़ की गेहूं की फसल अभी तक बुआई के बिना है। भाटी ने प्रशासन से अपील की कि खाद वितरण में पारदर्शिता लाई जाए और सभी विक्रेताओं का रिकॉर्ड चेक किया जाए।

किसान यूनियन ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि उनके 76 सदस्यों को, जिन्हें अभी तक खाद नहीं मिला है, जल्द से जल्द खाद मुहैया कराई जाए।

इस मौके पर किसान यूनियन के संतोख सिंह, मिठू राम, जरनैल सिंह, भोला सिंह, जसबंत ङ्क्षसह, दर्शन ङ्क्षसह, सर्वजीत ङ्क्षसह, गुरलाल ङ्क्षसह, लाभ सिंह, चरणजीत सिंह, बलदेव सिंह मनदीप सिंह, सुरेश कुमार, दविंद्र सिंह, लाभ सिंह मौजूद थे।

प्रगतिशील किसान आशीष मैहता अपने खेत में 8 सालों से फसल अवशेष प्रबंधन पद्धति अपनाकर ले रहे लाभ

खेत में मिट्टी को स्वस्थ व उपजाऊ बनाए रखने की ओर ध्यान देना जरुरी : आशीष मैहता


डबवाली (लहू की लौ)पराली को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति तो विकराल रूप धारण करती ही है साथ ही खेत में मिट्टी की सेहत भी खराब होती है, भूमि की उर्वरकता में कमी आती है। इसलिए सरकार ही नहीं बल्कि कृषि विशेषज्ञ भी पराली प्रबंधन के अलग-अलग तरीके बताकर किसानों को उन्हें अपनाने के लिए जोर दे रहे हैं। अनेक किसान इन तरीकों से खेतों में बची पराली को जलाने की बजाय उसका सदुपयोग कर अच्छी फसलों से लाभ भी कमा रहे हैं। ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान आशीष मैहता भी जो गांव सुकेराखेड़ा में अपनी कृषि भूमि पर पिछले 8 वर्षों से फसल अवशेष प्रबंधन पद्धतियों का अभ्यास कर रहे हैं। 

आशीष मैहता के मुताबिक उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन पद्धति अपना कर मिट्टी की छिद्रता, कार्बन की मात्रा में वृद्धि और सूक्ष्मजीवी गतिविधि में अत्यधिक वृद्धि में उल्लेखनीय अंतर महसूस किया है। इससे धीरे-धीरे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ पौधों की शक्ति में वृद्धि हुई है। पहले की तुलना में कीटों के हमले और अन्य बीमारियां कम हुई हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी का स्वास्थ्य किसी भी देश की राष्ट्रीय संपत्ति है और आंत का स्वास्थ्य सीधे मिट्टी के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। ऐसे में मिट्टी के स्वास्थ्य के रखरखाव पर ध्यान जरुर दिया जाना चाहिए। हमें फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपलब्ध तकनीकों पर काम करना चाहिए और राष्ट्र के हित में ऐसी तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए।

उन्होंने बताया कि वे अपनी कृषि भूमि पर हैप्पी सीडर तकनीक का इस्तेमाल करते हैं जो फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किफायती और प्रभावी समाधान प्रदान करती है। हैप्पी सीडर एक नो-टिल प्लांटर है, जिसे ट्रैक्टर के पीछे खींचा जाता है, जो बिना किसी पूर्व बीज तैयारी के सीधे पंक्तियों में बीज बोता है। यह ट्रैक्टर के पीटीओ के साथ संचालित होता है और तीन-बिंदु लीकेज के साथ इससे जुड़ा होता है। इसमें एक स्ट्रॉ मैनेजिंग चॉपर और एक जीरो टिल ड्रिल होता है जो पिछली फसल के अवशेषों में नई फसल बोना संभव बनाता है। फ्लेल प्रकार के सीधे ब्लेड स्ट्रॉ मैनेजमेंट रोटर पर लगे होते हैं जो बुवाई के दांत के संपर्क में आने वाले ठूंठ को काटते हैं। यह पिछली फसल के अवशेषों को बोए गए खेत में गीली घास के रूप में जमा करता है। मुख्य रूप से इसका उपयोग उत्तर भारत में धान की कटाई के बाद गेहूं बोने के लिए किया जाता है।

आशीष मैहता ने बताया कि धान की पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड  और मीथेन जैसे ग्रीन हाउस गैसों के साथ-साथ पार्टिकुलेट मैटर  का भारी मात्रा में उत्सर्जन होता है। 

उन्होंने बताया कि फसल की बुवाई और अंकुरण में समस्या से बचने व हैप्पी सीडर से कुशलतापूर्वक कार्य लेने के लिए धान की कटाई करते समय एक सुपर एसएमएस (सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) की आवश्यकता होती है, जो अवशेषों को काटकर खेत में समान रूप से फैला देता है। निस्पंदन को बढ़ाकर और वाष्पीकरण को कम करके मिट्टी की नमी को सुरक्षित रखता है, तापमान को नियंत्रित करता है। अनेक प्रकार की क्रियाओं के साथ कार्बनिक पदार्थों के अपघटन को धीमा करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, जिससे कार्बन हानि कम होती है। आशीष मैहता ने सरकार से अपील की है कि शोध करके फसल अवशेष प्रबंधन पद्धतियों को ओर ज्यादा सुगम बनाया जाए ताकि किसान इसे अपना सकें। 

16 नवंबर 2024

सरकार के कहने पर बिजाई की मंूग की फसल अब एमएसपी पर बेचने के लिए अधिकारियों के चक्कर निकाल रहे किसान

मूंग की फसल एमएसपी पर खरीद करवाने को लेकर उपायुक्त को सौंपा शिकायत पत्र, दी आंदोलन की चेतावनी

डबवाली (लहू की लौ ) हरियाणा सरकार अलग अलग फसल की बिजाई करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन किसान अपनी अलग बिजाई की हुई फसल को बेचने के लिए अधिकारियों के वायदों में उलझ कर परेशान हो गया है।  यहां उसे इधर उधर भडक़ना पड़ रहा है। साथ ही उसे अपनी जेब से पैसा खर्च कर फसल को बेचने के प्रयास करते हुए कभी डबवाली तो कभी सिरसा के चक्कर निकालने पड़ रहे हैं। 

यह आरोप गांव राजपुरा रत्ताखेड़ा के किसान आत्मा पुत्र सीता राम ने लगाये हैं। एमएसपी पर खरीद के लिए उपायुक्त को मांग पत्र सौपा है।

मूंग फसल की एमएसपी पर खरीद करवाने को लेकर गांव राजपुरा व गोरीवाला के किसानों ने जिला उपायुक्त को शिकायत पत्र में किसानों आत्मा राम पुत्र  सीताराम, विनोद कुमार पुत्र सीता राम, सन्दीप पारीक पुत्र आत्मा राम, अनीता पत्नी भीम सैन, हरकोरी पुत्री ओंकारमल, दर्शना देवी पुत्री खेतपाल सहित समस्त ग्रामीणों ने बताया कि वे गांव राजपुरा उपतहसील गोरीवाला व जिला सिरसा के स्थाई निवासी हैं। 

हरियाणा सरकार द्वारा किसानों की सभी फसलों को एमएसपी पर खरीद किए जाने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हंै, लेकिन मंडियों में अधिकारियों द्वारा किसानों की फसलों की बेकद्री की जा रही है। उन्होंने बताया कि उपरोक्त किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी फसल दर्ज करवा रखी है। वे तीन बार सिरसा अनाज मण्डी की हैफेड की दुकान नं. 13 पर 2 बार मूंग की फसल का सैंपल लेकर आए व एक बार फसल की भरी हुई ट्रॉली लेकर आए, लेकिन अधिकारी हमारी फसल को लेने से मना कर देते हंै।

किसानों ने कहा कि उन्होंने बड़ी उम्मीद के साथ इस फसल को बोया था, लेकिन फसल की एमएसपी पर खरीद न होने के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि उपायुक्त ने डीएम हैफेड मांगेराम को बुलाया था और उन्हें आदेश भी दिए थे, परंतु डीएम हैफेड का कहना है कि खरीद के बाद मूंग की फसल सीडब्ल्यूसी के वेयर हाउस में लगती है, जिसमें वेयर हाउस में तैनात रजनी मैडम इन्हें लगवाने से मना कर रहे हैं। उनका कहना है की मूंग का सैंपल ठीक नहीं है, जबकि किसानों ने कहा कि फसल में कोई खराबी नहीं है, लेकिन बावजूद इसके अधिकारियों द्वारा किसानों को बेवजह तंग किया जा रहा है। उन्होंने उपायुक्त से गुहार लगाई कि हैफेड अधिकारियों को निर्देश देकर उनकी मूंग की फसल को एमएसपी पर खरीद करवाएं, ताकि किसानों को समस्याओं का सामना न करना पड़े। वहीं किसानों ने चेतावनी भी दी है कि अगर एमएसपी पर फसल खरीद नहीं हुई तो आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।


सरकार के कहने पर मंूग की फसल की बिजाई की

किसान आत्मा राम के अनुसार सरकार के कहने पर उसने मूंग की फसल बिजाई की थी। अब जब पक्क गई तो डबवाली हैफड़ के अधिकारियों ने गोदाम ना होने का कह सिरसा मंडी में भेज दिया। लेकिन वह सिरसा गया तो वहां भी उसे परेशान किया जा रहा है। वह फसल के साथ मंडी में पहुंचता है पर उसकी मूंग की फसल एमसपी पर लेने के लिए अधिकारी आना कानी कर रहे हैं। वह वापिस अपने गांव आ ट्रेक्टर ट्राली लेकर आ जाता है। जिससे उसका हजारों रूपये जेब से लग गया है। 


30 एकड़ में की मंूग की बिजाई

आत्मा राम के अनुसार उसने 30 एकड़ में मंूग की बिजाई की है। जिससे 100 क्विंटल के करीब झाड़ हुआ है। वह इसे बेचने के लिए मंडियों और अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। जब उसने उपायुक्त से शिकायत की तो उसका 70 क्विंटल का टोकन कटा है। अब भी उसे उम्मीद नहीं है कि उसकी फसल अधिकारी एमएसपी पर खरीद करेंगे।
 


डबवाली में मंूग की खरीद करने की मांग

किसानों ने डबवाली की अनाज मंडी में मंूग की खरीद शुरू करने की मांग की है। ताकि उन्हें अपनी फसल औने पौने भाव में ना बेचनी पड़ी। किसानों के अनुसार ऐलनाबाद में ही खरीद होती है। नहीं तो किसानों को राजस्थान के नौहर में मंूग बेचने के लिए जाना पड़ेगा। उन्हें एमएसपी से करीब 1800 रूपये प्रति क्विंटल कम रेट पर फसल बेचनी पड़ेगी। जिससे उन्हें लाखों रूपये का नुक्सान उठाना पड़ेगा।

13 नवंबर 2024

13 Nov. 2024





 

22 प्रतिशत नमी वाले धान से भरे जा रहे बैग, देसूजोधा मंडी में किसानों का हंगामा


किसानों का आरोप-अधिक नमी वाला धान सड़ रहा, उसी से बैग भरे जा रहे

किसान बोले-मार्केट कमेटी तथा प्रशासनिक अधिकारी सूचना के बावजूद मौके पर नहीं पहुंचे

बुधवार सुबह देसूजोधा मंडी में जुटेंगे किसान

डबवाली(लहू की लौ)मंगलवार शाम को देसूजोधा खरीद केंद्र पर बवाल हो गया। जब किसानों ने 22 प्रतिशत नमी वाले धान से बैग भर रहे एक व्यापारी को पकड़ लिया। किसानों के विरोध के बाद व्यापारी अपनी लेबर लेकर फुर्र हो गया। किसानों का आरोप है कि मार्केट कमेटी तथा एसडीएम कार्यालय में शिकायत देने के बावजूद कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। जिससे किसानों में रोष फैल गया। किसानों ने प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी करके रोष जताया। किसानों के अनुसार बुधवार सुबह मंडी में मामले की जांच करवाई जाएगी।

किसान जसवीर सिंह भाटी शेरगढ़, हरबंस सिंह देसूजोधा, मनदीप ढिल्लों, सुंदरपाल, जसवंत सिंह, भूपिंद्र सिंह भोला, प्रितपाल सिंह, परमजीत च_ा, बलवीर सिंह, भजन सिंह, हरमंदर सिंह, गुरप्रेम सिंह देसूजोधा आदि ने बताया कि किसान करीब 15-15 दिनों से 17 प्रतिशत नमी वाला धान लेकर बैठे हैं। उनका धान खरीद नहीं किया जा रहा है, न ही तौल किया जा रहा है। जबकि 22 प्रतिशत नमी वाला धान तौला जा रहा है। सरेआम बैग भरे जा रहे हैं। यह सब सरकारी खरीद एजेसियों, राइस मिलर तथा मार्केट कमेटी की मिलीभगत से हो रहा है। इसके पीछे काट है। मनदीप ढिल्लों के अनुसार उनके पास साक्ष्य हैं, जिसके अनुसार 19 प्रतिशत नमी वाली धान को प्रति क्विंटल 13 से 15 किलोग्राम कटौती पर लिया जा रहा है। जबकि नियम 17 प्रतिशत नमी का है। किसान जगदेव सिंह ने इस संबंध में सारे साक्ष्य पेश किए हैं। लेकिन मार्केट कमेटी तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे।


पंजाब के धान से भरी मंडी

किसान नेता जसवीरर सिंह भाटी, मनदीप सिंह ढिल्लों ने आरोप लगाया कि देसूजोधा मंडी पंजाब के धान से भरी पड़ी है। इस वजह से अनाज सड़ रहा है। मार्केट कमेटी की मिलीभगत से पड़ौसी सूबे का धान मंडी में पहुंचा है। अब उस धान को आढ़ती ठिकाने लगाने में जोर-शोर से जुटे हुए हैं। किसान नेता ने विजिलेंस जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसान को बुलाकर जांच की जाए, इससे बड़े मामले की खुलासा होगा।

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खरीद एजेंसी नमी की जांच करती है। एजेंसी के कहने पर धान से बैग भरे जाते हैं। हमारा कोई कसूर नहीं है। मार्केट कमेटी ने नमी की जांच की है और धान में 22 प्रतिशत नमी मिली है तो हमें इसकी जानकारी नहीं है।

-मोहित गोयल, आढ़ती, गोयल ट्रेडिंग कंपनी, देसूजोधा

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देसूजोधा मंडी में बैग में गीला धान भरा जा रहा है तो उसका कसूरवार आढ़ती है। एजेंसी का इसमें कोई लेनादेना नहीं है। मार्केट कमेटी को संबंधित आढ़ती के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। कार्रवाई का अधिकार मार्केट कमेटी का है। एजेंसी सरकार की हिदायतों के अनुसार खरीद करती है।

-बलकरण सिंह, निरीक्षक, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग डबवाली