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Lahoo Ki Lau

युवा दिलों की धड़कन, जन जागृति का दर्पण, निष्पक्ष एवं निर्भिक समाचार पत्र

24 अक्टूबर 2010

ग्रंथी ने पुजारिन का कत्ल करके शव गुरूद्वारा में दबाया

डबवाली (लहू की लौ) गांव पंजावा के संतोषी माता मंदिर की पुजारिन की गांव के ही गुरूद्वारा के ग्रंथी ने सब्बलों से गोंद कर हत्या कर दी और शव को गुरूद्वारा में दबा दिया।
गांव पंजावा के संतोषी माता मंदिर के पुजारी रेशम लाल शर्मा (50) पुत्र हंसराज ने बताया कि वीरवार शाम को करीब 6.30 बजे उसकी पत्नी अविनाश रानी (48) हर रोज की तरह मंदिर के निकट बने जोहड़ के पास शौच के लिए गई थी। लेकिन जब एक घंटे तक वापिस नहीं लौटी तो उसने घर में आवाज लगा कर उसे ढूंढऩे का प्रयास किया। चूंकि मंदिर में जोत जलाने का समय हो रहा था। उसके घर पर न मिलने पर वह टॉर्च लेकर जोहड़ के पास गया लेकिन वहां भी उसे नहीं मिली। इस पर ग्रामीणों व रिश्तेदारों को साथ लेकर शुक्रवार को लम्बी पुलिस में अविनाश रानी के लापता होने की सूचना और उसकी खोज भी जारी रखी।
अन्तत: संदेह की सूई गुरूद्वारा के ग्रंथी गुलाब सिंह पुत्र गुरजन्ट सिंह निवासी ढोल नगर संगरिया पर गई और उसने इस बात को लम्बी पुलिस को बताया। पुलिस ने गं्रथी को संदेह के आधार पर हिरासत में ले लिया। सख्ती करने पर ग्रंथी ने सबकुछ उगल दिया। शनिवार सुबह गुरूद्वारा के प्रांगण में बने चूल्हा के नीचे दबाई हुई अविनाश रानी की लाश बरामद कर ली गई। सूचना पाकर पुलिस के उच्च अधिकारी भी मौका पर पहुंचे।
इस अवसर पर डीएसपी मलोट मुखविन्द्र सिंह भुल्लर, नायब तहसीलदार लम्बी लखविन्द्र सिंह, थाना लम्बी प्रभारी एसआई हरिन्द्र सिंह चमेली पहुंचे और लाश को बरामद करके पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल मलोट ले जाया गया। थाना लम्बी प्रभारी हरिन्द्र सिंह चमेली ने बताया कि ग्रंथी ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया कि उसने सब्बलों से पुजारिन की हत्या की है। हत्या का कारण उसने यह बताया कि वह उसके चोले के संबंध में अपशब्द बोलती थी। इसके चलते उसने वीरवार को शौच के लिए आई अविनाश रानी को पकड़ लिया और गुरूद्वारा में ले जाकर उसकी हत्या करने के बाद उसके शव को चूल्हे के नीचे खड्डा खोद कर और नमक डाल कर दबा दिया। ऊपर से गोबर का लेप कर दिया।
पुलिस ने गिरफ्तार किये गये गुरूद्वारा के ग्रंथी को मलोट अदालत में पेश करके दो दिन का पुलिस रिमांड ले लिया।

ब्रिटिश विद्यार्थी बने परीक्षा की मशीन

यूके से जवाहर नवोदय बडिंगखेड़ा में आई अध्यापिका डायना हेमेन ने किया खुलासा
डबवाली (लहू की लौ) यूके के बूस्टर शहर बर्मिंघम किंग चाल्र्स फस्र्ट के शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका डायना हेमेन ने कहा कि यूके में बच्चों पर परीक्षाओं और प्रतियोगिताओं के भारी दबाव ने उनकी जिन्दगी की खुशियां छीन ली हैं। जबकि भारत के स्कूलों के बच्चे खुश हैं और उनमें नैतिक शिक्षा आज भी कायम है।
वे गांव बडिंगखेड़ा में जवाहर नवोदय विद्यालय में इस संवाददाता से भारत और यूके के एजूकेशन सिस्टम पर बातचीत कर रही थीं। वे अन्तर्राष्ट्रीय प्ररेणा-2010 के तहत यूके के इसी स्कूल के कम्प्यूटर अध्यापक गैरे केने और छह विद्यार्थियों एलेक्स, एरोन, निक, रियान, रिचेल, बेकी के साथ जवाहर नवोदय विद्यालय बडिंगखेड़ा में भारत की शैक्षणिक व्यवस्था, संस्कृति और विद्यार्थियों की खेलकूद संबंधी गतिविधियों की जानकारी लेने के लिए आए हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत और यूके के विद्यार्थियों के सामने चुनौतियां लगभग एक जैसी हैं और शैक्षणिक सिस्टम में भी काफी समानता है। लेकिन इसके बावजूद यूके के विद्यार्थियों की अपेक्षा भारत के विद्यार्थियों में वेल्यू एजूकेशन अधिक है।
उन्होंने बताया कि यूके में भारत की तरह क्लॉस रूम में शिक्षा नहीं दी जाती। बल्कि वहां विकेन्द्रीयकरण के तहत बच्चों को ग्रुप डिसक्शन करके शिक्षा प्राप्त करने की आजादी है। उनका मानना है कि बच्चों को शिक्षा में स्वतंत्रता के साथ-साथ नियंत्रित भी किया जाना चाहिए। इस प्रकार की मिक्स शिक्षा व्यवस्था विद्यार्थियों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। उनके अनुसार यूके और भारत की शिक्षा पद्धतियों का समन्वय करके विद्यार्थियों को शिक्षा दी जानी चाहिए।
डायना के अनुसार भारत के लोग खुश हैं और उनकी खुशी को वे भी महसूस कर रही हैं। यूके का एजूकेशन सिस्टम केवल मॉडल बनकर रह गया है और उसमें खुशी नहीं रही है। बच्चे परीक्षा की मशीन बन चुके हैं। जिन्दगी में मिलने वाली खुशी पीछे छूट गई है। प्राय: बच्चे इसी के चलते टेंशन में रहते हैं। वहां की शिक्षा व्यवस्था इस प्रकार की है कि आम विद्यार्थी महंगी पढ़ाई नहीं कर सकता। नॉकरी के चांस भी कम हैं। अक्सर बच्चा पढ़ाई करके भी पूछता है कि इतनी मेहनत के बावजूद भी क्या उसे रोजगार मिल पाएगा। रोजगार प्राप्ति के लिए वह अधिक से अधिक मेहनत करता है, परंतु नौकरी पाने के प्रयास बहुत ही कम सफल होते हैं।
इस मौके पर उपस्थित यूके के कम्प्यूटर अध्यापक गेरे केने ने अपनी सहयोगी अध्यापिका के विचारों से सहमति प्रकट करते हुए एक सवाल के जवाब में कहा कि बच्चों की रोजगार संबंधी टेंशन को दूर करने में ब्रिटेन सरकार कोई मदद नहीं दे सकती। क्योंकि वह सरकार भी अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक मंदी से जूझ रही है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को टेंशन फ्री रखने के लिए समय-समय पर योग और मेडीटेशन के शिविर विद्यालय में आयोजित किए जाते हैं। लेकिन ये शिविर उसी समय ही आयोजित होते हैं, जब कोई बाहर से इस प्रकार की शिक्षा देने के लिए आता है। इसके बावजूद परीक्षा के समय अवश्य विशेष तौर पर बच्चों के मेडीटेशन के पीरियड लगते हैं। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टेंशन से ब्रिटेन (यूके) के बच्चों का व्यवहार बदल रहा है। लेकिन फिर भी ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जो अपना सौ प्रतिशत समय पढ़ाई पर खर्च करते हैं। कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जो टेंशन के चलते शैतानी की ओर जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ टीवी, फिल्में, म्यूजिक, सेलिब्रेट को भी जिम्मेवार ठहराया।
कंग चाल्र्स फस्र्ट, यूके के 11वीं कक्षा के विद्यार्थी बेकी और रिचेल ने अपने दिल की बात कहते हुए कहा कि अगर उन्हें भारत में अपनी अध्यापिका डायना के साथ पढऩे का मौका मिले, तो वे ब्रिटेन छोड़कर भारत में पढऩा बेहतर समझेंगे। उन्होंने भारतीय सभ्यता को अच्छा बताते हुए कहा कि यहां का पढ़ाई का दृष्टिकोण उन्हें बहुत पसंद आया है। यहां विशेषकर उल्लेखनीय है कि ये बच्चे जब इस संवाददाता को मिले तो उन्होंने सबसे पहले नमस्ते शब्द बोलकर संवाददाता का अभिवादन किया।
जवाहर नवोदय विद्यालय बडिंगखेड़ा के प्रिंसीपल एन कुमार ने बताया कि भारत के चुनिंदा 12 नवोदय विद्यालयों में से उनका ये एकमात्र विद्यालय है, जिसे यूके के उपरोक्त स्कूल के अध्यापकों और विद्यार्थियों से विचार सांझे करने का मौका मिला। बडिंगखेड़ा के नवोदय स्कूल के विद्यार्थियों ने अपने विदेशी मेहमानों को यह आभास नहीं होने दिया कि वे यूके में हैं या फिर दूर भारत में। उनके अनुसार विद्यालय प्रशासन का प्रयास रहेगा कि उनके स्कूल के विद्यार्थियों का एक ग्रुप इसी प्रकार यूके के इस स्कूल में जाए और वहां की स्कूल की गतिविधियों, सांस्कृति और खेल कूद संबंधी जानकारी हासिल करे।
इस मौके पर लिंक टीचर संजीव पांडे ने बताया कि विद्यार्थियों का इस प्रकार से एक-दूसरे देश के विद्यार्थियों के साथ तालमेल की नीति बच्चों में आत्मविश्वास जगाती है तथा उन्हें आगे बढऩे का मौका पर प्रदान करती है। इस प्रकार के लिंक विद्यार्थियों में स्थापित होने चाहिए। इस अवसर पर नवोदय विद्यालय की टयूटर मीनू टॉक भी उपस्थित थीं।
इस मौके पर विदेशी मेहमानों ने नवोदय विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा उनके लिए आयोजित खो-खो और कबड्डी मैचों को भी निकटता से देखा। साथ में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सेदारी डाली। इन खेलों के दौरान ही विदेशी विद्यार्थियों ने भारतीय विद्यार्थियों से इन खेलों के संबंध में जानकारी जुटाई।

20 अक्टूबर 2010

नकली नोट प्रकरण : बेनकाब हो सकते हैं कई चेहरे

डबवाली (लहू की लौ) भारत सरकार की जाली करंसी बाजार में चलाने के आरोप में पकड़ी गई महिलाओं ने पुलिस के समक्ष कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। लेकिन साथ में ये महिलाएं पुलिस को उलझाने के लिए एक-दूसरे पर ही आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं।
प्राप्त जानकारी अनुसार नकली नोटों को लेकर भारत के विभिन्न राज्यों में काफी शोर-शराबा मचा हुआ है। हालांकि कुछ स्थानों पर यह धंधा करने वाले पकड़े भी गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी नकली नोटों का प्रचलन रूकने का नाम नहीं ले रहा। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान की त्रिवेणी कहे जाने वाले नगर डबवाली भी जाली करंसी चलाने वालों के निशाने पर है। इसका रहस्योद्घटन सोमवार को डबवाली के मीना बाजार में एक हजार और पांच सौ रूपए के नकली नोट चलाने के आरोप में पकड़ी गई महिलाओं ने किया।
 पुलिस पूछताछ के दौरान महिला जितेन्द्र कौर उर्फ ज्योति  निवासी बठिंडा ने बताया कि वह बीए पास है। उसकी शादी फिरोजपुर में ईटीओ के पद पर तैनात हरविन्द्र पाल से हुई थी। लेकिन किसी कारणवश वे लोग साल 1986 में अलग-अलग रहने लग गए। साल 1997 में उनका तलाक हो गया। उसी समय वह अपने माता-पिता के पास बठिंडा में रह रही है। उसके पिता रघुवीर सिंह के पास करीब 23 एकड़ जमीन है। जमीन ठेके पर दी हुई है, जो राशि आती है, उससे गुजारा चलता है। उसका भाई सतविन्द्र उर्फ सतिन्द्र सिंह जिला मुक्तसर के गांव चन्नू में उसके माता-पिता से अलग रहता है। सतिन्द्र सिंह की बेटी अमृतसर के एक कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रही है। उसी कॉलेज में गांव चम्बल जिला तरनतारण की कोमलप्रीत  कौर की बेटी पढती है और उसकी भतीजी की रूम मेट है।
करीब पांच-छह माह पूर्व कोमलप्रीत कौर अपनी बेटी के साथ उसकी भतीजी को छोडऩे के लिए गांव चन्नू आई। शॉपिंग के बहाने वे लोग बठिंडा आ गए। इसी दौरान उसकी मुलाकात कोमलप्रीत से हुई। उस समय कोमलप्रीत ने अपनी पहचान जसवीर कौर के रूप में करवाई। दो-चार मुलाकातों के बाद कोमलप्रीत उर्फ जसवीर कौर का असली चेहरा सामने आने लगा। उसने उसे जाली नोटों के धंधे में फंसा लिया। लालच में वह उसके साथ मिल गई। कोमलप्रीत शॉपिंग के  बहाने बठिंडा के बजारों में आती और उसे साथ लेकर नकली नोटों से काफी कपड़ा खरीदकर वापिस चली जाती। धीरे-धीरे वह भी नकली नोटों की मदद से सामान खरीदने लगी और बकाया राशि कोमलप्रीत को देने लगी। कोमलप्रीत उर्फ जसवीर द्वारा दिए गए नोटों से वह घर का घरेलू सामान खरीदती और चेंज होने वाले पैसों को वापिस कोमलप्रीत को दे देती यानि 1000 रूपए के जाली नोट से 300 रूपये का सामान खरीदा। बचे 700 रूपए (असली नोट) वापिस दे देती।
करीब डेढ़ माह पूर्व कोमलप्रीत उर्फ जसवीर के पीछे पंजाब पुलिस लग गई। पुलिस से बचती हुई वह 1 लाख 80 हजार रूपए के नकली नोटों सहित बठिंडा पहुंची और उसने उसके यहां यह रूपए रखे। उसकी एवज में उसने 10 हजार रूपए नकली नोट लिए। इसी दौरान कोमलप्रीत उर्फ जसवीर कौर एक आदमी के साथ कार पर सवार होकर बठिंडा आने लगी। जिसे वह अपने मृतक पति बलविन्द्र सिंह हवलदार पंजाब पुलिस का मित्र बताती थी और वह व्यक्ति भी स्वयं को पंजाब पुलिस में तैनात बताता था। लेकिन नाम कभी नहीं बताया। कई बार इन लोगों ने रात भी उनके घर बठिंडा में गुजारी। नकली नोटों से शॉपिंग करके कपड़ों की कार भरकर ये लोग तरनतारण लेजाने लगे। बदले में उसे भी मुनाफा होने लगा।
जितेन्द्र कौर उर्फ ज्योति के अनुसार करीब चार माह पूर्व वह कार पर सवार होकर डबवाली आई थी। उस समय उन्होंने करीब 4000 रूपये के नकली नोटों से खरीददारी की और आराम से कार द्वारा बठिंडा के लिए रवाना हो गए। उसका लालच और गहराता गया। उसने इस काम के बदले फिफ्टी-फिफ्टी करने की बात कोमलप्रीत उर्फ जसवीर से की और नकली नोटों के सौदागरों से मिलने की इच्छा प्रकट की। उस समय कोमलप्रीत ने उसे बताया कि अमृतसर क्षेत्र में नकली नोट आसानी से पकड़े जाने लगे हैं। लेकिन बरनाला, बठिंडा, सिरसा, हिसार, संगरिया, हनुमानगढ़ इसके लिए उपयुक्त जगह है। कोमलप्रीत कौर उर्फ जसवीर कौर ने उसे यह भी बताया कि नकली नोट बॉर्डर पार से भारत में आते हैं। नकली नोट पहुंचाने वाले किसी से नहीं मिलते।
डबवाली में नकली नोट चलाने के लिए उन्होंने शुक्रवार को आना था। लेकिन कोमलप्रीत उस दिन बठिंडा नहीं आई। सोमवार को वे लोग बस से डबवाली आए और बाजार में खरीददारी करने लगे। लोगों को नकली नोट की भनक लग गई। इधर कोमलप्रीत निवासी गांव चम्बल जिला तरनतारण 7वीं पास ने भी पूछताछ के दौरान अहम खुलासे किए हैं। उसने भी अपने बेटी के जरिए बठिंडा निवासी जितेन्द्र कौर उर्फ ज्योति से मुलाकात का जिक्र किया है। कोमलप्रीत के अनुसार छुट्टियों के समय वह अपनी बेटी के साथ उसकी सहेली के गांव चन्नू आई थी। बाद में बठिंडा में उसकी मुलाकात ज्योति से हुई। ज्योति नकली नोटों का धंधा करती है। एक-दो मुलाकात के समय ज्योति उस पर इसके लिए दबाव डालने लगी। लालच में पड़कर वह झांसे में आ गई। कुछ दिन पहले उसके पास कोमलप्रीत का फोन आया और 60 हजार रूपए की मांग की। मांगे गए रूपयों के बदले भोपाल से आए एक लाख नकली नोट देने का भरोसा दिया। वह बिना पैसों के सोमवार को बठिंडा आई। यहां से ज्योति उसे डबवाली ले आई। कोमलप्रीत ने पुलिस को यह भी बताया कि उसका पहला पति बलविन्द्र सिंह तरनतारण पुलिस में हवलदार के पद पर था। साल 1996 में उसकी मौत होने के बाद उसने गांव चम्बल के गुरूद्वारा के ग्रंथी रणजीत सिंह से विवाह रचा लिया।
फिलहाल दोनों ही आरोपी महिलाएं एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करके पुलिस को उलझाकर स्पष्ट बताने से बच रही हैं। पुलिस का मानना है कि यह मामला काफी बड़े गिरोह का हो सकता है। इस मामले में कौन लोग संलिप्त हैं और यह पैसा कैसे आता है, इसका पता लगाने के लिए पुलिस ने मंगलवार को उपमंडल न्यायिक दण्डाधिकारी महावीर सिंह की अदालत में इन महिलाओं को पेश करके तीन दिन का पुलिस रिमांड ले लिया

जाली करंसी सहित दो महिलाएं काबू

डबवाली (लहू की लौ) यहां के मीना बाजार में 1000, 500 रूपये के नकली नोट आने से दुकानदारों में खलबली मच गई। कुछ दुकानदार तो इन नकली नोटों का शिकार होकर सामान बेच भी चुके थे।
मीना बाजार के बाहर स्थित रानी बाजार के दुकानदार सुनील सेठी ने बताया कि एक अपटूडेट महिला उसके पास आयी और उसने उससे 200 रूपये की पैंट शर्ट खरीदी। 500 रूपये का नोट उसे देकर 300 रूपये वापिस ले गई। इसी प्रकार मीना बाजार के हैप्पी दुपट्टा हाऊस के मालिक हैप्पी ने बताया कि उससे महिला ने 90 रूपये की चुनरी लेकर 1000 रूपये नोट थमाते हुए 910 रूपये वापिस ले लिये। बब्बर शॉपिंग के मालिक नवीन बब्बर ने बताया कि एक महिला ने 170 रूपये का सामान खरीदा और एक हजार का नोट थमा दिया। हरीश सिंगला मालिक सिटी कोलेक्शन ने बताया कि उससे 280-280 रूपये अलग-अलग दो महिलाओं ने सूट खरीदे और उसे 1000-1000 रूपये का नोट थमा दिया। इसी प्रकार से गर्ग फैन्सी स्टोर, शगुन फैशन, स्माईल ब्यूटी सैन्टर पर भी ऐसा कुछ हुआ।
इन दुकानदारों को जैसे ही पता चला कि उनके साथ धोखादेही हुई है, जो नोट उन्हें थमाये गये हैं वह नकली हैं। वे तुरन्त इन महिलाओं की तालाश में निकल पड़े और उन्होंने एक-एक करके दोनों महिलाओं को दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया।
थाना शहर प्रभारी इंस्पेक्टर जसवन्त ने बताया कि पकड़ी गई महिलाओं में से एक ने अपनी पहचान जितेन्द्र पाल उर्फ ज्योति पत्नी हरिन्द्रपाल सिधू निवासी भागू रोड़, बठिंडा के रूप में करवाते हुए बताया कि उसका पति फिरोजपुर में ईटीओ लगा हुआ है। उसे तो बठिंडा से उसके साथ आई कोमलप्रीत लेकर आयी थी और वहीं इन जाली नोटों को लेकर आयी है।
दूसरी महिला ने अपनी पहचान कोमलप्रीत पत्नी रणजीत सिंह गांव चम्बल थाना सिराड़ी जिला तरनतारन के रूप में करवाते हुए बताया कि वह तो बठिंडा में ज्योति को मिलने आई थी और ज्योति ही उसे दवाइयां खरीदने के लिए डबवाली के बठिंडा चौक में लायी थी। इसके बाद वह इसे बाजार में ले गई। जाली नोट इसी के पास थे। थाना शहर प्रभारी ने बताया कि दोनों महिलाओं से काफी भारी मात्रा में राशि बरामद की है। लेकिन इनमें से 7 नोट 500-500 के और 7 नोट 1000-1000 रूपये के जाली पाये गये हैं। जाली नोटों की पहचान पंजाब नैशनल बैंक के हैडकैशियर राकेश मदान ने की है। सुनील सेठी के ब्यान पर महिलाओं के खिलाफ जाली करंसी के आरोप में केस दर्ज कर लिया गया है।

कांग्रेस सम्मानित नहीं, अपमानित करती है-अभय चौटाला

डबवाली (लहू की लौ) ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि कांग्रेस कभी किसी को सम्मानित नहीं कर सकती। गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार का बोझ लादकर अपमानित जरूर कर सकती है। वे सोमवार को चौधरी मार्किट में तेलूराम बांसल के व्यापारिक संस्थान पर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
इनेलो नेता ने कहा कि चौ. देवीलाल ने हरियाणा को अलग राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पार्टी ने हर्ष साल 1 नवंबर को हरियाणा दिवस पर उनका जन्म दिन मनाने का निर्णय लिया है। इस बार 1 नवंबर को उनके जन्म दिवस पर विशाल जनसभा करके सरकार की नाकामियों को जनता के समक्ष रखा जाएगा। इनेलो विधायक ने कहा कि कभी बंसीलाल का परिवार, तो कभी सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का परिवार अपने आपको हरियाणा का निर्माता करार देता है। लेकिन हकीकत यह है कि पंजाब से हरियाणा को अलग प्रदेश बनाकर देश में उसे पहचान देने का काम चौ. देवीलाल ने किया। जबकि उस समय कैबिनेट के पद पर विराजमान सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा प्रदेश के निर्माण में रोड़ा बने हुए थे। चापलूसी के सिवा ये लोग कुछ नहीं कर सकते। इन लोगों के तो खून में भी झूठ, मक्कारी और चपलूसी है। चापलूसी की वजह से आज भूपेन्द्र सिंह हुड्डा हरियाणा प्रदेश के सीएम बन बैठे हैं। एक सवाल के जवाब में चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री हुड्डा खेल में भी राजनीति करने में लगे हुए हैं। इनेलो ने 1 नवंबर को राष्ट्रमंडल खेलों में मैडल पाने वाले राज्य के खिलाडिय़ों को सम्मानित करने का निर्णय लिया था। लेकिन मुख्यमंत्री को डर था कि कहीं खिलाड़ी सम्मानित होकर इनेलो की ओर न चले जाएं। इसी डर के चलते मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों को उसी दिन सम्मानित करने की घोषणा की। लेकिन इनेलो खेलों में राजनीति नहीं चाहती। खिलाडिय़ों को इनेलो एशियन गेम्स के बाद नए वर्ष के मौके पर सम्मानित करेगी।
अभय चौटाला ने कहा कि इनेलो की ओर से साल 2001 में बनाई गई स्पोट्र्स पॉलिसी का ही परिणाम है कि आज हरियाणा का डंका पूरे विश्व में बज रहा है। देश के 469 खिलाडिय़ों में से राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के मात्र 49 खिलाडिय़ों शामिल थे। जिनमें से 32 पदक हरियाणा के खिलाडिय़ों को मिले। जिसमें 16 गोल्ड, 8 सिल्वर और 8 ताम्र पदक शामिल हैं। इनेलो की स्पोट्र्स पॉलिसी को बेहतरीन पॉलिसी करार देकर उसे साल 2009 में राज्य में लागू करने वाली प्रदेश की सरकार इसे हुड्डा पॉलिसी कहकर मजे लूट रही है। इनेलो विधायक ने मांग की कि अगर हरियाणा सरकार खिलाडिय़ों की सच्ची हितैषी है तो वह राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड पदक लाने वाले प्रदेश के खिलाड़ी को 35 लाख, सिल्वर पदक लाने वाले खिलाड़ी को 25 लाख और ताम्र पदक लाने वाले खिलाड़ी को 20 लाख रूपए का पुरस्कार देकर सम्मानित करे। इसके साथ खिलाडिय़ों की कामयाबी के पीछे एसोसिएशन तथा अन्य लोगों को भी सम्मानित करे।
इससे पूर्व अभय सिंह चौटाला ने अग्रवाल धर्मशाला में इनेलो कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया। उन्होंने रैली के संबंध में कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश दिए। इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य रणवीर सिंह गंगवा, जिला परिषद सिरसा के अध्यक्ष डॉ. सीता राम, पदम जैन, रणवीर सिंह राणा, कुलदीप सिंह एडवोकेट,  डॉ. गिरधारी लाल, विनोद अरोड़ा, जगदीश अरोड़ा, बलदेव भीटीवाला, सर्वजीत सिंह मसीतां, नरेन्द्र सिंह बराड़, गुरप्रीत सिंह कुलार, दर्शन मोंगा, प्रिन्स जुनेजा, गुरजीत सिंह, टेकचन्द छाबड़ा, नीलकान्त मैहता लवली, प्रहलाद राय, महेन्द्र डूडी, सुरिन्द्र छिन्दा, सुखविन्द्र सरां, राजा पेन्टर, पुष्पा दैड़ान, विक्की शर्मा, जोगिन्द्र सिंह डाल आदि उपस्थित थे।

लूट के इरादे से एसबीआई के एटीएम में तोडफ़ोड़

डबवाली (लहू की लौ) अज्ञात लोगों ने रात को भारतीय स्टेट बैंक की स्थानीय शाखा में लगे दो एटीएम में तोडफ़ोड़ करके लूटपाट का प्रयास किया।
प्राप्त जानकारी अनुसार थाना सदर पुलिस के एक कर्मचारी इन्द्र सिंह ने बाहर जाना था और वह भारतीय स्टेट बंैक के एटीएम पर मंगलवार सुबह सवा पांच बजे जब राशि निकलवाने के लिए पहुंचा तो उसने देखा कि बैंक में लगे दोनों एटीएम टूटे पड़े हैं। उसने इसकी सूचना थाना शहर पुलिस को दी।  मौका पर थाना शहर प्रभारी इंस्पेक्टर बलवन्त कुमार जस्सू पहुंचे और घटना का निरीक्षण किया।
भारतीय स्टेट बंैक की डबवाली शाखा के वरिष्ठ प्रबंधक  बीएस सरपाल ने बताया कि वह छुट्टी पर चल रहा है। लेकिन उन्हें सुबह जैसे ही इस घटना की सूचना मिली तो वह मौका पर पहुंचे और देखा कि अज्ञात लोगों ने एटीएम में तो तोडफ़ोड़ की है, साथ में सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ डाले। उनके अनुसार इस तोडफ़ोड़ से एटीएम की मशीनरी का 3 लाख रूपये का नुक्सान हुआ है। उनके अनुसार अभी तक एक एटीएम का ताला नहीं खुल पाया है जिसे अज्ञात लोगों ने तोड़ डाला था। इस ताले के खुलने के बाद ही पता चल पायेगा कि कैश का कोई नुक्सान हुआ है या नहीं। थाना शहर प्रभारी इंस्पेक्टर बलवन्त कुमार जस्सू ने बताया कि शाखा प्रबंधक के ब्यान पर रपट लिख कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

28 सितंबर 2010

हिन्दुस्तानी पर लट्टू हुए गोरे

डीडी गोयल
मो. 093567-22045
डबवाली। जोधपुर के लोग और मुकाम की धार्मिक यात्रा पर आए श्रद्धालु जिस व्यक्ति को पॉलीथीन का कचरा बीनते देखकर पागल की संज्ञा देते थे, आज वह व्यक्ति केवल पर्यावरण प्रेमी के नाम से ही विख्यात नहीं है, बल्कि विदेशों में भी प्रेरणा का स्त्रोत बनकर विश्व को पॉलीथीन के कचरे के खिलाफ खड़ा करने का एक आंदोलन बन गया है। गोरे उस पर इतने लट्टू हुए हैं कि उन्होंने उस पर वीडियो फिल्म तैयार करनी शुरू कर दी है।
यह व्यक्ति कोई ओर नहीं, बल्कि हिन्दोंस्तान के राजस्थान राज्य के जोधपुर का एमकॉम पास खमु राम बिश्नोई है। जोकि राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर में न्यायिक सहायक के पद पर कार्यरत है। खमु राम बिश्नोई डबवाली की बिश्नोई धर्मशाला में गुरूवार को बिश्नोई समाज द्वारा खेजड़ी के शहीदों समर्पित पर्यावरण रैली में भाग लेने के लिए आए हुए थे और इस संवाददाता से पर्यावरण पर विशेष बातचीत कर रहे थे। पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण संस्थान, जोधपुर के संस्थापक खमुराम बिश्नोई ने बताया कि उसे प्लास्टिक का कचरा बीनने की न तो कोई सनक है और न ही इसे इक्ट्ठा करके कबाडिय़ों को बेचना उसका पेशा है। बल्कि वह निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज, राज्य, देश और विश्व के भले के लिए इस काम को अंजाम दे रहा है। उसका एकमात्र उद्देश्य है कि पृथ्वी के पर्यावरण को संतुलित रखकर प्रदूषण से कैसे बचाए रखा जा सकें। यहीं कारण है कि वह स्थान-स्थान पर यहां भी उसे प्लास्टिक का कचरा दिखाई देता है, वह उसे बीनने लग जाता है।
खमुराम के अनुसार वे इस बात से भली प्रकार से परिचित हैं कि प्लास्टिक के कचरे को जलाने से निकलने वाली हानिकारक गैसें वातावरण को प्रदूषित करती हैं, जो मानव जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक है। यदि कचरे को मिट्टी में दबा दिया जाए, तो वह दब तो जाता है, लेकिन सैंकड़ों सालों तक भी वह नष्ट नहीं होता।
उन्होंने बताया कि वे पहली बार हरियाणा की भूमि पर आए हैं और उन्हें पंजाब, राजस्थान तथा हरियाणा की त्रिवेणी कही जाने वाली मण्डी डबवाली में आने का सौभाग्य ही प्राप्त नहीं हुआ, बल्कि इस मिट्टी की सुगंधी को अपने मात्थे से लगाने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। विशेषकर ऐसे मौके पर जब पर्यावरण के लिए 281 वर्ष पूर्व 363 बिश्नोईयों ने शहीदी दी और उसमें भी एक विरांगना अमृता देवी शामिल थी। जिसका आज स्मृति दिवस है।
उन्होंने बताया कि वे एमकॉम करने के बाद राजस्थान सरकार की न्यायिक सेवा में चला गया। लेकिन इसके बावजूद भी उसके दिल में पर्यावरण के प्रति एक टीस थी। धरती को बिगड़ रहे पर्यावरण से कैसे बचाया जा सके, इससे सुरक्षा पाने की सनक उसके सिर पर सवार थी। उसने धरती मां की रक्षा के लिए जब कचरा बीनने की सेवा का कार्य अपने हाथ में लिया तो जोधपुर नगर के लोग उसे पागल कहने लगे। कुछ लोग तो उससे नफरत भी करने लगे। लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि वे यह काम अपने लिए नहीं, उन लोगों के लिए कर रहा है तो उन्होंने धीरे-धीरे उसका साथ देना शुरू किया। उन्होंने दुकानदारों को भी समझाया कि वे पॉलीथीन को काम में न लेकर कागज की थैलियों, गत्ते के डिब्बों या फिर कपड़े के थैलों का प्रयोग करें। नक्कारखाना में तूती की आवाज कौन सुनता, लेकिन वह भी अपनी धुन का पक्का था। उसने कपड़े के थैले बनाए और उसे बाजार में लोगों को नि:शुल्क दिया। देखते-देखते पर्यावरण संरक्षण के लिए और भी लोग आगे आए। जोधपुर महानगर उसका मिशन बन गया और मारवाड़ को मुक्त करने का अभियान शुरू हो गया। गांधीवाद के आदर्शों पर चलते हुए उसने विरोधियों के पैर छुए और अपने मिशन में सफलता अर्जित की।
परिणामस्वरूप साल 2004 में फ्रांस से पर्यावरण शोधकर्ता फ्रेंक वोगेल अपनी थीसिस के सिलसिले में भारत आए और इसी दौरान वह राजस्थान के धार्मिक स्थलों की यात्रा पर निकल पड़े। वोगेल की दृष्टि एक मेले में प्लास्टिक का कचरा बीननते खमुराम पर पड़ी। खमुराम इस मेले में केवल कचरा ही नहीं बीनन रहा था, बल्कि लोगों को इस कचरे के खतरों से सचेत और जागरूक भी कर रहा था। जिससे प्रभावित होकर फ्रेंक ने उससे बातचीत की और उसके ढ़ेर सारे फोटो खींचकर अपने देश ले गया। फ्रेंक ने यूरोपीय देशों की इस भ्रांति को दूर करने का प्रयास किया कि भारतीय पर्यावरण को नुक्सान पहुंचा रहे हैं। फ्रेंक वोगेल की इस दृष्टि ने खमुराम को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया। 11 दिसंबर 2008 को कोर्चेवेल सिटी (पेरिस) में प्रारम्भ होने वाले तीन दिवसीय इंटरनेशनल प्लेनेट वर्कशॉप में केवल शामिल होने का गौरव ही प्राप्त नहीं हुआ। बल्कि एशिया महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करने का मौका भी मिला। इस वर्कशॉप में वल्र्ड के 300 पर्यावरण शोधकर्ताओं ने शिरकत की थी।
खमुराम ने बताया कि उस पर फ्रेंक वोगेल द्वारा बनाई जा रही डाक्यूमेंट्री (फिल्म) का पहला चरण पूरा हो चुका है। पुन: इसकी शूटिंग 29 सितंबर से जोधपुर में होनी है। इस फिल्म में शोधकर्ता ने प्लास्टिक के प्रभाव को दिखाते हुए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है। खमुराम का मानना है कि सरकारें पर्यावरण की रक्षा के लिए कानून तो बना रहीं हैं, लेकिन इसको एम्पलीमेंट करने में लापरवाह हैं। जिसके चलते पर्यावरण की रक्षा उतनी तीव्र गति से नहीं हो रही है, जितनी तीव्र गति से होनी चाहिए। उनके अनुसार सावन और भादो में बड़ी तादाद में वृक्षारोपण किया जाता है और यह वृक्षारोपण केवल नाटक ही साबित होता है। चूंकि वृक्षारोपण के बाद उसकी पालना करना हम सब भूल जाते हैं। पर्यावरण प्रेमी खमुराम ने बताया कि पिछले दस वर्षों के दौरान वह और उसकी संस्था के सदस्य करीब एक करोड़ लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर चुके हैं। यहां भी मेला भरता है, वे लोग वहीं पहुंच जाते हैं।

रात को सरकारी अस्पताल में हंगामा

डबवाली (लहू की लौ) सरकारी अस्पताल में बुधवार रात को घायल को उपचार के लिए बाहर लेजाने के लिए एम्बूलैंस उपलब्ध न होने पर घायल के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया। मौका पर उपस्थित डॉक्टर को खूब खरी खोटी सुनाई।
जानकारी अनुसार गांव जोगेवाला का मंदर सिंह (40) अपने बाईक से गांव की ओर जा रहा था। जोगेवाला मार्ग पर अचानक उसकी बाईक स्लिप कर गई। सूचना पाकर डबवाली जन सहारा सेवा संस्था के सदस्य मौका पर पहुंचे। उन्होंने घायल को उठाया और डबवाली के सरकारी अस्पताल में दाखिल करवा दिया। सिर पर चोट होने की वजह से डॉक्टर ने तुरंत उसे सिरसा के लिए रैफर कर दिया। उस समय अस्पताल में एम्बूलैंस मौजूद नहीं थी।
दुर्घटना की सूचना पाकर घायल मंदर सिंह के परिजन अस्पताल पहुंचे। करीब अढ़ाई घंटे उन्हें एम्बूलैंस उपलब्ध नहीं हुई। जिससे परिजनों का गुस्सा उफन गया। गांव के बलराज सिंह नंबरदार, सर्वजीत सिंह, जोगिन्द्र सिंह, हरदीप सिंह, सुरेन्द्र, लवली, राजपाल आदि ने मौका पर उपस्थित डॉक्टर पर इलाज में कोताही बरतने का आरोप लगाया। ग्रामीणों के अनुसार डॉक्टर ने घायल की सही तरीके से देखभाल नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि घायल के मरहम-पट्टी तक नहीं की गई। घायल को रैफर किए हुए अढ़ाई घंटे हो चुके हैं। लेकिन सरकारी अस्पताल में एम्बूलैंस तक उपलब्ध नहीं है। इसी बीच ग्रामीणों की डॉक्टर से काफी तकरार हुई। अस्पताल में हंगामा होने की सूचना पाकर मौका पर थाना शहर पुलिस के एसआई भागीरथ, हवलदार खेता राम तथा जय सिंह भी पहुंचे। उन्होंने भी ग्रामीणों को शांत करवाने का प्रयास किया। ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए डॉक्टर ने फौरी तौर पर प्राईवेट अस्पताल की एम्बूलैंस मंगवाकर घायल को रैफर किया।
इस संबंध में जब मौका पर उपस्थित डॉक्टर सुखवंत सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने ग्रामीणों के आरोपों को निराधार बताया। उनके अनुसार इलाज में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती गई। घायल के सिर पर चोट होने के कारण उन्होंने तुरंत उसे सिरसा के लिए रैफर कर दिया था। लेकिन अस्पताल की एम्बूलैंस एक मरीज को छोडऩे के लिए बाहर गई हुई थी। इसी के चलते घायल मंदर सिंह को रैफर करने में देरी हुई।

ड्रेन टूटा,खेतों में घुसा पानी

डबवाली (लहू की लौ) यहां से 5 किलोमीटर दूर पंजाब के बठिंडा जिला के साथ लगते गांव डूमवाली के रकबा में पडऩे वाली बरसाती डे्रेन का बांध बुधवार शाम को टूट जाने से पानी नरमा के खेतों में बह गया। जिससे किसानों में हड़कम्प मच गया। इसकी सूचना पाकर एसडीएम बठिंडा मौका पर पहुंचे।
गांव डूमवाली के किसान महिपाल सिंह एडवोकेट, भानुप्रताप ङ्क्षसह, कुलजीत सिंह सिधू, गांव पथराला के सरपंच लुधर सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा में बरसात के समय आने वाली बाढ़ से मुक्ति दिलाने के लिए इस डे्रनेज का निर्माण किया था। ताकि इस डे्रनेज की मार्फत फालतू पानी राजस्थान  के सूखाग्रस्त इलाके में छोड़ा जा सके। लेकिन हरियाणा की तत्कालीन इंडियन नैशनल लोकदल सरकार ने हरियाणा में इस डे्रनेज को बन्द करके जमीन किसानों को दे दी। उनका गांव हरियाणा की सीमा पर होने के कारण वहां डे्रनेज बन्द हो चुकी है। उनके अनुसार 8 वर्ष के बाद इस ड्रेन में पहली बार पानी का बहाव इतना अधिक आया है कि यह बांध तोड़ कर खेतों में घुस गया। इन किसानों ने यह भी कहा कि बठिंडा ब्रांच तथा कोटला ब्रांच का फालतू पानी भी इसमें छोड़ा जाता है। किसानों ने बठिंडा के उपायुक्त की मार्फत केन्द्र सरकार  तथा पंजाब सरकार को एक पत्र लिख कर मांग की है कि रिपेरियन एक्ट के तहत हरियाणा में बन्द पड़ी ड्रेनेज को चालू करवाया जाये। ताकि आने वाले खतरे से किसानों की जमीनों को बचाया जा सके।
प्रभावित किसान जोगिन्द्र सिंह भाऊ तथा विकास कुमार ने बताया कि डे्रनेज का बांध टूटने से उनकी 8 एकड़ भूमि पर उगी नरमा का फसल में पानी भर गया। इसकी जानकारी उन्होंने जिला प्रशासन बठिंडा को दी।
सूचना पाकर मौका पर पहुंचे बठिंडा के एसडीएम केपीएस माहीं ने इस संवाददाता को बताया कि एक्सीयन ड्रेनेज मानसा को इसकी जानकारी देकर टूटे बांध को जेसीबी मशीनों से भरवा दिया गया है। किसानों का जो भी नुक्सान हुआ है उसकी भरपाई कर दी जायेगी। एक्सीयन ड्रेनेज मानसा विजय कुमार ने बताया कि इन ड्रेनेज में अक्सर पानी रहता है जो कि पानी की कमी के चलते किसानों के  काम आता है। इस बार बरसात ज्यादा होने से ड्रेनेज में पानी ज्यादा आ गया। इधर बुर्जी नं. 0 से 185 तक हरियाणा का क्षेत्र पड़ता है, वहां के किसानों ने डे्रनेज को बन्द कर दिया है। इसके चलते पानी आगे नहीं जा पाया और इस क्षेत्र में डे्रनेज का बांध टूट गया।

स्वाईन फ्लू का रोगी मिला

डबवाली (लहू की लौ) मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के विधानसभा क्षेत्र लम्बी के गांव मण्डी किलियांवाली में राजस्थान से आए स्वाईन फ्लू के रोगी ने स्वास्थ्य विभाग पंजाब में हड़कम्प मचा दिया।
मण्डी किलियांवाली के बस अड्डा के सामने स्थित क्वालिटी फर्नीचर हाऊस वाली गली के निवासी राजेन्द्र पाल गर्ग ने बताया कि उसका बेटा राहुल (17) 11वीं का छात्र है और वह 13 अप्रैल 2010 को कोटा के बांसल कोचिंग सैन्टर में पढ़ाई के साथ-साथ आईआईटी की कोचिंग ले रहा है। उन्हें सूचना मिली कि राहुल बीमार है और कंपकंपी लगकर उसे बुखार आ रहा है। कोटा में राहुल के रक्त की जांच करवाई गई। इधर वे उसे डबवाली ले आए। बुधवार रात को कोटा से जो रिपोर्ट उनके पास आई, उसमें स्वाईन फ्लू घोषित किया गया था। जिस पर उन्होंने डबवाली के सरकारी अस्पताल में जाकर डॉक्टरों से सलाह-मश्विरा किया और उनकी सलाह पर उसे पीजीआई रोहतक में ईलाज के लिए लेजाया गया है।
इस संदर्भ में लम्बी सिविल अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. रीटा गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें भी इस बात की जानकारी मिली है की कोटा से राहुल नामक छात्र किलियांवाली में आया है। जोकि स्वाईन फ्लू का रोगी है। एतिहात के तौर पर कदम उठाते हुए राहुल के कनटेक्ट में आने वाले उसके परिवार के आठों सदस्यों को स्वाईन फ्लू की दवा टैनी फ्लू दी गई है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही एक टीम भी गठित की गई है, जोकि उसके परिवारिक सदस्यों और आसपास के लोगों पर स्वाईन फ्लू को लेकर निगाह बनाए रखेगी। इस टीम में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, एक बहुउद्देश्यीय कर्मचारी, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नियुक्त किया गया है।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि स्वाईन फ्लू से बचने के लिए स्वाईन फ्लू के रोगी से दूर रहा जाए। रोगी खांसी व जुकाम के समय अपने मुंह पर रूमाल रखे। रोगी के साथ हाथ न मिलाया जाए। और अगर रोगी के साथ हाथ लगता है, तो उसे अच्छी प्रकार से धोया जाए। बुखार, खांसी और सिरदर्द होने पर आवश्य ही अपने आस-पड़ौस के सरकारी अस्पताल से टैस्ट करवाकर इस संदर्भ में राए ली जाए।
इधर डबवाली के सरकारी अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू ने बताया कि स्वाईन फ्लू का रोगी अस्पताल में आया था। उसे स्वाईन फ्लू से संबंधी ट्रीटमेंट दे दिया गया है।

ड्रेन टूटा,खेतों में घुसा पानी

डबवाली (लहू की लौ) यहां से 5 किलोमीटर दूर पंजाब के बठिंडा जिला के साथ लगते गांव डूमवाली के रकबा में पडऩे वाली बरसाती डे्रेन का बांध बुधवार शाम को टूट जाने से पानी नरमा के खेतों में बह गया। जिससे किसानों में हड़कम्प मच गया। इसकी सूचना पाकर एसडीएम बठिंडा मौका पर पहुंचे।
गांव डूमवाली के किसान महिपाल सिंह एडवोकेट, भानुप्रताप ङ्क्षसह, कुलजीत सिंह सिधू, गांव पथराला के सरपंच लुधर सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा में बरसात के समय आने वाली बाढ़ से मुक्ति दिलाने के लिए इस डे्रनेज का निर्माण किया था। ताकि इस डे्रनेज की मार्फत फालतू पानी राजस्थान  के सूखाग्रस्त इलाके में छोड़ा जा सके। लेकिन हरियाणा की तत्कालीन इंडियन नैशनल लोकदल सरकार ने हरियाणा में इस डे्रनेज को बन्द करके जमीन किसानों को दे दी। उनका गांव हरियाणा की सीमा पर होने के कारण वहां डे्रनेज बन्द हो चुकी है। उनके अनुसार 8 वर्ष के बाद इस ड्रेन में पहली बार पानी का बहाव इतना अधिक आया है कि यह बांध तोड़ कर खेतों में घुस गया। इन किसानों ने यह भी कहा कि बठिंडा ब्रांच तथा कोटला ब्रांच का फालतू पानी भी इसमें छोड़ा जाता है। किसानों ने बठिंडा के उपायुक्त की मार्फत केन्द्र सरकार  तथा पंजाब सरकार को एक पत्र लिख कर मांग की है कि रिपेरियन एक्ट के तहत हरियाणा में बन्द पड़ी ड्रेनेज को चालू करवाया जाये। ताकि आने वाले खतरे से किसानों की जमीनों को बचाया जा सके।
प्रभावित किसान जोगिन्द्र सिंह भाऊ तथा विकास कुमार ने बताया कि डे्रनेज का बांध टूटने से उनकी 8 एकड़ भूमि पर उगी नरमा का फसल में पानी भर गया। इसकी जानकारी उन्होंने जिला प्रशासन बठिंडा को दी।
सूचना पाकर मौका पर पहुंचे बठिंडा के एसडीएम केपीएस माहीं ने इस संवाददाता को बताया कि एक्सीयन ड्रेनेज मानसा को इसकी जानकारी देकर टूटे बांध को जेसीबी मशीनों से भरवा दिया गया है। किसानों का जो भी नुक्सान हुआ है उसकी भरपाई कर दी जायेगी। एक्सीयन ड्रेनेज मानसा विजय कुमार ने बताया कि इन ड्रेनेज में अक्सर पानी रहता है जो कि पानी की कमी के चलते किसानों के  काम आता है। इस बार बरसात ज्यादा होने से ड्रेनेज में पानी ज्यादा आ गया। इधर बुर्जी नं. 0 से 185 तक हरियाणा का क्षेत्र पड़ता है, वहां के किसानों ने डे्रनेज को बन्द कर दिया है। इसके चलते पानी आगे नहीं जा पाया और इस क्षेत्र में डे्रनेज का बांध टूट गया।

खुली हवा में सांस लेंगे हीरा और जग्गा

डबवाली (लहू की लौ) वर्षों से जंजीरों में जकड़े गांव पन्नीवाला रूलदू के गुरदीप और जगवीर को खुली हवा में सांस लेने की उम्मीद आखिर जगी है। अखबारों की खबर के बाद डॉक्टरों की टीम ने जाकर दोनों की हिस्ट्री जानी और अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दी।
डबवाली सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. विनोद महिपाल ने बताया कि जैसे ही स्वास्थ्य विभाग हरियाणा को गांव पन्नीवाला रूलदू में गुरदीप उर्फ हीरा और जगवीर उर्फ जग्गा को उनके अभिभावकों द्वारा बीमारी के चलते जंजीरों में जकडऩे का पता चला तो उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देश पर इसकी जांच के लिए डॉ. गुरजीत सिंह सिधू मैडीकल अधिकारी पीएचसी देसूजोधा की डयूटी लगाई। इस पर डॉ. गुरजीत सिंह जगवीर और गुरदीप के घर पहुंचे और उनके अभिभावकों से हिस्ट्री जानी और रिपोर्ट उसकेे समक्ष प्रस्तुत की।
महिपाल के  अनुसार जगवीर के भाई हरफूल सिंह ने बताया कि जग्गा 9 वर्ष का था तो वह घर के सदस्यों से अलग ही अपनी दुनिया में रहने लगा तथा इतना आक्रमिक हो गया, उसके सामने जो भी आता उसे मारने के लिए दौड़ता। बिना बताये घर से भाग जाता। उसके इलाज के लिए तीन वर्ष सिरसा और दो वर्ष बठिंडा के अस्पतालों में हजारों रूपये उन्होंने खर्च कर डाले, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। उसकी हरकतों से तंग आकर मां-बाप ने मजबूरन जग्गा को जंजीरों में डाल दिया। यदि हरियाणा स्वास्थ्य विभाग उसके भाई के इलाज के लिए उनका सहयोग करती है तो वह उसका इलाज करवाने के लिए उसे यहां भी विभाग कहेगा वहां ले जाने को तैयार हैं।
इधर गुरदीप उर्फ हीरा की माता हरबन्स कौर ने चिकित्सक को बताया कि हीरा जब एक वर्ष का था तो अचानक घर में बनी डिग्गी में गिर गया था। 5वीं पास करने के बाद हीरा के दिमाग में पता नहीं क्या आया कि उसने स्कूल जाना छोड़ दिया और गुमसुम रहने लगा। कुछ ही दिनों बाद लोगों को मारने के लिए दौडऩे लगा। जिस पर उसे 17 वर्ष की आयु में जंजीरों  से बांधना पड़ा, हालांकि वह बीड़ी पीने का शौकीन है, भोजन, चाय आदि मांग लेता है। हरबन्स कौर ने बताया कि उन्होंने जगह-जगह हीरा के इलाज के लिए पैसे पानी की तरह बहाये, अब उनके पास उसके इलाज के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं बची। अगर हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग उसके बेटे को सामान्य करने में उनकी मदद करता है तो वह विभाग के निर्देश अनुसार इलाज करवाने के लिए तैयार हैं।
एसएमओ ने इस संवाददाता से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने डॉक्टर से प्राप्त जांच रिपोर्ट को आवश्यक कार्यवाही के लिए सीएमओ सिरसा और उपमंडलाधीश डबवाली  को भेज दिया है। उनके अनुसार स्वास्थ्य विभाग से हीरा और जग्गा के अभिभावकों ने इलाज की तैयारी के लिए 2 दिन का समय मांगा है। इसके बाद इलाज के लिए इन्हें पीजीआई रोहतक में भेज दिया जायेगा। इलाज का खर्च स्वास्थ्य विभाग हरियाणा वहन करेगा।

डूमवाली बैरियर पर बवाल

डबवाली (लहू की लौ) डूमवाली बैरियर पर मंगलवार रात को जमकर बवाल मचा। शराब के नशे में धुत्त एक पुलिस कर्मी ने ट्रक चालक पर बंदूक तान दी।
जानकारी अनुसार बठिंडा रोड़ पर स्थित डूमवाली बैरियर पर अक्सर वाहनों की लम्बी कतारें लगी रहती हैं। जिसके कारण इस मार्ग पर जाम जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। मंगलवार रात को एक ट्रक चालक ने अपने ट्रक को सड़क पर रोका और उसके भीतर सो गया। जिसको लेकर ट्रक चालक और आईआरबी के जवान के बीच तूतू-मैंमैं हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि तैश में आए जवान ने ट्रक चालक को पीटना शुरू कर दिया। बचाव में उतरे ट्रक चालकों पर उक्त जवान ने बंदूक तान ली। जिससे मामला और भी बिगड़ गया।
गुजरात से सामान लेकर बठिंडा जा रहे ट्रक चालक कैलाश चन्द्र ने बताया कि वह रात को अपनी गाड़ी पास करवाने के लिए बैरियर पर रूका हुआ था। इसी दौरान एक ट्रक चालक ने मार्ग में ट्रक खड़ा कर दिया था। बैरियर पर मौजूद आईआरबी जवान ने उसे ट्रक साईड में लगाने को कहा। चालक ट्रक को साईड में लगा रहा था, इसी बीच दोनों में गर्मा-सर्दी हो गई। बात इतनी बिगड़ गई कि शराब के नशे में धुत्त जवान ने उसे नीचे उतार लिया और पीटना शुरू कर दिया। डंडों की मार से ट्रक चालक के खून बहने लगा। इंसानियत के नाते उसने ट्रक चालक को छुड़वाने का प्रयास किया। लेकिन शराब के नशे में धुत्त जवान ने उस पर बंदूक तान ली। जवान के साथियों ने बीच-बचाव करके उसे बचाया। जवान ने अपनी वर्दी और उस पर लगी नेम प्लेट तक तोड़ डाली। सेल टैक्स बैरियर के उच्च अधिकारियों के मौका पर पहुंच जाने से उस समय मामला शांत हो गया।
इधर आईआरबी जवान नरिन्द्र पाल ने बताया कि वह रात को डयूटी पर था। एक ट्रक चालक ने मार्ग में ही ट्रक खड़ा कर दिया था। जब वह उसे ट्रक साईड खड़ा करने के लिए कहने गया, तो वह उससे उलझ गया। ट्रक चालक गाली-गलौच पर उतर आया। जब उसने विरोध किया तो वह उससे मारपीट करने लगा। उसने उसकी वर्दी तक फाड़ डाली।
इस संदर्भ में जब टैक्स बैरियर के मंगलवार रात्रि डयूटी के समय इंचार्ज रणधीर सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास दोनों पक्षों में से किसी की शिकायत नहीं आई है। शिकायत आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

10 सितंबर 2010

15 सालों से जंजीरों में जगवीर

डबवाली (लहू की लौ) 'तेलू दे मुंडे की लत बड़ी करड़ी है, किन्ना भी मोड़ी जाईए मुडदी ही नहींÓ अपने बेटे के यह शब्द किलकारी बनकर उपमंडल डबवाली के गांव पन्नीवाला रूलदू की एक दम्पत्ति के कानों में गूंज रहे हैं। उनका बेटा अब 28 सालों का हो गया है। लेकिन मानसिक रूप से परेशान है। शायद यही कमजोरी उसका कसूर बन गई। जिसके कारण मजबूर दम्पत्ति ने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर उसे जंजीरों में जकड़ दिया।
गांव पन्नीवाला रूलदू में रहने वाले घग्घी सिंह (52) का बेटा जगवीर उर्फ जग्गा पिछले 15 सालों से जंजीरों में जकड़ा घर के एक कोने में बैठा हुआ है। लेकिन जन्म से वह ऐसा नहीं था। गांव के सरकारी स्कूल से कक्षा पहली, दूसरी और फिर तीसरी पास की। लेकिन चौथी कक्षा में कदम रखते ही न जाने जग्गा को क्या हुआ। हंसता-खेलता चेहरा एकदम से मायूस पड़ गया। स्कूल छोड़ दिया, घर के सदस्यों से बात करनी छोड़कर अपनी ही दुनियां में खो गया। बीतता समय उसका जख्म और गहरा करता गया। 10 वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते वह इतना आक्रमक हो गया कि जो भी उसके सामने आता वह उसे मारने के लिए दौड़ता। बिना बताए वह घर से भाग जाने लगा। उसके मां-बाप उसे दिखाने के लिए कभी तांत्रिक, तो कभी डॉक्टर के पास लेजाते। इसके बावजूद भी उसकी आदतें नहीं बदली। अलबत्ता वह ओर ज्यादा खूंखार हो गया। मासूम चेहरे पर हैवान का चेहरा कैसे लग गया। यह किसी की समझ में नहीं आया। मजबूरन हरकतों से तंग आए मां-बाप ने जग्गा को जंजीरों में डाल दिया।
बकौल घग्घी सिंह (52) वह एक दिहाड़ीदार मजदूर है। उसके दो बेटे हरफूल (32) तथा जगवीर उर्फ जग्गा (28) हैं। हरफूल विवाहित है। लेकिन जगवीर को वे लोग बांधने को मजबूर हैं। चौथी कक्षा में दाखिल होते ही उसके बेटे को दौरे पडऩे लगे। कई बार उसे शिक्षा प्राप्त करते हुए कक्षा में ही दौरा पड़ा और वे उसे घर ले आए। दौरा पडऩे से पहले वह आक्रमक भी होने लगा। उसे डबवाली, सिरसा, बठिंडा, गंगानगर के चिकित्सकों के पास लेजाया गया। जगवीर के उपचार पर उसने अपनी दो कैनाल भूमि, घर में पुरूखों की दौलत तक लगा डाली। लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। वह घर से भागने लगा। जगवीर की हरकतें दिन-ब-दिन बढऩे लगी, वह घर के सदस्यों से भी उलझने लगा। जिसके कारण उसे अपने कलेजे पर पत्थर रखकर उसे जंजीरों में बांधना पड़ा।
घग्घी सिंह की पत्नी सुखदेव कौर (50) ने बताया कि चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि जगवीर को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं तथा उसके दिमाग की नसें भी कमजोर हैं। जगवीर की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। वह और अधिक आक्रमक होता जा रहा है। जिसके कारण उसे नशे के इंजेक्शन तथा टेबलेट दी जा रही है।
मजबूर मां-बाप अपने बेटे जगवीर का ईलाज करवाकर थक चुके हैं। लेकिन अब भी उन्हें उनके घर में भगवान रूपी इंसान के पहुंचने की उम्मीद है। उन्हें आशा है कि वह इंसान जल्द आएगा और उसके बेटे के चेहरे की हंसी दोबारा लौटेगी।
डबवाली सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. विनोद महिपाल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्हें आज ही जानकारी मिली है। इसकी जांच के लिए स्वास्थ्य कर्मी की डयूटी लगा दी गई है। स्वास्थ्य कर्मी की रिपोर्ट के बाद जगवीर का ईलाज करवाया जाएगा।

गुरदीप 'हीराÓ को इंसाफ मिलने की उम्मीद

डबवाली (लहू की लौ) गांव पन्नीवाला रूलदू का हीरा क्या एक बार फिर खुली हवा में सांस ले सकेगा? इस प्रश्न का उत्तर तो प्रशासन के आला अधिकारी ही दे सकते हैं। लेकिन सबकुछ मालूम होते हुए भी वे अनजान बने हुए हैं। लेकिन हीरा इंसाफ मिलने की उम्मीद लिए हुए जी रहा है।
उपमंडल डबवाली के गांव पन्नीवाला रूलदू का गुरदीप 'हीराÓ  पिछले 18 वर्षों से जंजीरों में बंधा है। हीरा को जो बीमारी है उसे साईंस के विशेषज्ञ लाईलाज नहीं मानते हैं। इलाज के बाद हीरा आजाद पंछी की तरह खुली हवा में अपने पंख फैलाकर उड़ सकता है। लेकिन यह तभी संभव हो सकता है, जब प्रशासन उसके प्रति संजीदा हो और उसका उपचार करवाए। दुर्भाग्य तो इस बात का है कि प्रशासन ने आज तक हीरा की ओर कदम नहीं बढ़ाया है। यहां बता दें कि गुरदीप उर्फ हीरा भाइयों में से सबसे छोटा है। उसकी उम्र 35 वर्ष हो चुकी है। बाल्यकाल से ही हीरा किसी से कुछ नहीं कहता था। स्कूल से वापिस घर आने के बाद वह गुमसुम सा घर के एक कोने में बैठा रहता। जैसे-तैसे उसने गांव के सरकारी स्कूल से पांचवी पास की। लेकिन 6वीं में प्रवेश पाते ही उसने स्कूल जाना छोड़ दिया। जवानी में पांव रखते ही उसे न जाने क्या हुआ वह घर के सदस्यों से बदसलूकी करने लगा। इसी दौरान हीरा के पिता कौर सिंह की हृदय घात से मौत हो गई। वे सिंचाई विभाग में कार्यरत थे। पिता की मौत के बाद हीरा और तनाव में रहने लगा। वह परिवार के सदस्यों से मारपीट भी करने लगा। बिना बताए वह घर से दूर जाने लगा। सूचना मिलने पर परिवार के सदस्य उसे ढूंढकर घर वापिस लाते। हीरा का चैकअप सिरसा और बठिंडा के डॉक्टरों को भी करवाया। डॉक्टरों की सलाह थी कि हीरा मानसिक रूप से बीमार है। उसे घर में ही रखें।
30 अगस्त को इस मामले में एसएमओ डॉ. विनोद महिपाल से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि हीरा की पूरी मदद की जाएगी। जिला सिरसा में कोई भी मनोरोग चिकित्सक नहीं है। इसके चलते हीरा को रोहतक में भेजा जाएगा। अस्पताल की ओर से रोहतक लेजाने के लिए उसे एम्बूलैंस उपलब्ध करवाई जाएगी।

09 सितंबर 2010

मलेरिया के खिलाफ उठ खड़ा हुआ पंजाब स्वास्थ्य विभाग

डबवाली (लहू की लौ) स्वास्थ्य विभाग पंजाब ने लम्बी हल्के में मलेरिया से लडऩे के लिए कमर कस ली है। गांव सिंघेवाला में मलेरिया से एक युवती की मौत के बाद विभाग ने गांव के लोगों को मलेरिया से मुक्ति दिलाने के लिए दो टीमों का गठन किया है।
एसएमओ लम्बी डॉ. अजमेर सिंह धालीवाल ने स्वीकार किया कि लम्बी हल्के में मलेरिया अपने पांव पसार रहा है। उनके अनुसार अगस्त माह से लेकर अब तक इस हल्के में लगभग 1650 बीमार लोगों की सलाईडें तैयार की गईं, जिनमें से तीन केस पॉजीटिव पाये गये। उनके अनुसार लालबाई में बलजिन्द्र सिंह पुत्र कौर सिंह, अबुलखुराना में जसकरण सिंह पुत्र बलवीर सिंह, किलियांवाली में चमकौर सिंह पुत्र प्रीतम सिंह मलेरिया का शिकार पाया गया और उन्हें मौका पर ही इसकी चिकित्सा भी उपलब्ध करवा दी गई।
लेकिन हाल में गांव सिंघेवाला में लक्ष्मी (17) पुत्री जसवन्त सिंह की मलेरिया से मौत की खबर विभाग को मिली है। तभी से विभाग ने इस गांव में मलेरिया पर सर्वे करवाने का निर्णय लेते हुए इसके लिए हैल्थ वर्करों पर आधारित दो टीमें गठित की हैं। इन टीमों को दो या तीन दिन के भीतर गांव सिंघेवाला तथा इसी गांव के स्कूल के बच्चों पर सर्वे करके इसकी रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिये गये हैं।
धालीवाल के अनुसार यह टीमें 8 और 9 सितम्बर को गांव और स्कूल में जाकर बुखार से प्रभावित लोगों की सलाईडें बनायेंगी। सलाईडों की जांच के बाद जो भी मलेरिया से प्रभावित पाया जायेगा उनका इलाज भी सरकारी खर्चे पर करवाया जायेगा।

ट्रक ने युवक सहित दो कुचले

गांव चौटाला स्थित टैक्स बैरियर पर मंगलवार रात करीब 1 बजे घटित हुआ हादसा
डबवाली (लहू की लौ) चौटाला के सेल्ज टैक्स बैरियर पर मंगलवार रात को करीब एक बजे एक अज्ञात ट्रक दो जनों को कुचल कर फरार हो गया। घायलों की कुछ समय बाद मौत हो गई।
चौटाला टैक्स बैरियर पर कार्यरत इंस्पेक्टर बलराज सिंह ने बताया कि रात को वह डयूटी पर था। रात के करीब एक बजे डबवाली साईड से तेजगति से आया ट्रक बैरियर पर पहले खड़े सीमेंट के भरे ट्रक से जा टकराया। इसके बाद जब ट्रक चालक ट्रक को भगाने लगा तो बैरियर पर तैनात चतुर्थश्रेणी कर्मी सोहन लाल (36) पुत्र साहब राम निवासी कर्मगढ़ जिला सिरसा अपने साथियों के साथ ट्रक को रोकने लिए इसके नजदीक पहुंचा तो ट्रक चालक ने साईड मार कर सोहन लाल को घायल कर दिया।
इंंस्पेक्टर के अनुसार तेजगति से दौड़ता यह ट्रक वहीं पर स्थित कीकर से जा टकराया और ट्रक की पाईपें कीकर में धंस गईं। ट्रक चालक इसके बावजूद ट्रक को कीकर से निकाल कर संगरिया की ओर फरार हो गया। जाते-जाते बैरियर के नजदीक ही यह ट्रक एक अन्य युवक को रौंद गया। बलराज सिंह ने बताया कि घायल अवस्था में सोहन लाल को सिरसा के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया। लेकिन चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया।
थाना सदर के अन्तर्गत आने वाली चौटाला चौकी के प्रभारी एसआई जीत सिंह ने बताया कि इंस्पेक्टर बलराज सिंह के ब्यान पर अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ लापरवाही से ट्रक चला कर दो व्यक्तियों को कुचलने के आरोप में धारा 279/304ए/427 आईपीसी के तहत मामला दर्ज करके ट्रक चालक की तालाश शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि बैरियर के पास मृत मिले युवक की पहचान नहीं हो पायी है।

जोरदार होगा क्वींस बैटन का स्वागत

डबवाली (लहू की लौ) आगामी 26 सितम्बर को डबवाली में प्रवेश करने पर क्वींस बैटन रिले का जोरदार स्वागत किया जाएगा। स्वागत के लिए उपमंडल स्तर पर एक दर्जन से भी अधिक कमेटियों का गठन किया है। यह जानकारी डबवाली के उपमंडल अधिकारी (ना.) मुनीश नागपाल ने विभिन्न कमेटियों में शामिल सभी अधिकारियों की बैठक में दी। उन्होंने कहा कि क्वींस बैटन रिले के स्वागत के लिए विभिन्न विभागों को जिम्मेवारियों सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि क्वींस बैटन के आगमन पर सुरक्षा व यातायात के नियंत्रण की जिम्मेवारी उपपुलिस अधीक्षक, डबवाली तथा सचिव परिवहन प्राधिकरण अधिकारी, सिरसा को सौंपी गई है। इसी प्रकार से वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी, डबवाली सहित एक मैडीकल टीम द्वारा एंबुलेस आदि की व्यवस्था की जिम्मेवारी सांैपी गई है। इसके साथ-साथ मार्केट कमेटी के सचिव व फायर ब्रिगेड ऑफिसर मार्केट कमेटी डबवाली की भी फायर टैंडर संबंधी जिम्मेवारी सुनिश्चित की गई है। नागपाल ने बताया कि सफाई आदि की व्यवस्था सुचारु रखने संबंधी जिम्मेवारी सचिव नगरपालिका, डबवाली, गांवों मेंसफाई आदि की व्यवस्था के लिए खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, पीने के पानी व्यवस्था की जिम्मेवारी खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी, डबवाली, सचिव मार्केट कमेटी डबवाली तथा एसएमओ डबवाली को सौंपी गई है। इसके साथ-साथ शहर में सड़कों आदि की मरम्मत संबंधी जिम्मेवारी व लोक निर्माण विश्राम गृह को सुज्जित करने का कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग के उपमंडल अभियंता सिरसा को सौंपा गया है। उन्होंने आगे बताया कि रिले के दौरान आने वाले सभी खिलाडिय़ों के ठहरने व अन्य सुविधाओं के लिए जिला खेल अधिकारी अपने स्तर पर स्वयं प्रबंध करेंगे। रिले के दौरान क्रेन आदि की व्यवस्था के लिए यातायात प्रबंधक हरियाणा राज्य परिवहन डबवाली को जिम्मेवारी सौंपी गई है। बिजली आपूर्ति के लिए कार्यकारी अभियंता दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम, रैली के मार्ग में पडऩे वाले गांवों में पंचायतों के माध्यम से स्वागत गेट लगवाने का कार्य सचिव नगरपालिका, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी डबवाली व उपमंडल जन स्वास्थ्य अधिकारी, डबवाली का होगा। इसके अतिरिक्त दोपहर के खाने की व्यवस्था जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी व सहायक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग  की देखरेख में होगी। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डबवाली भोजन की शुद्वता की जांच करेंगे। जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी द्वारा सेना बैंड भी सुनिश्चित किया जाएगा। रिले के मार्ग में पडऩे वाले टेढे मेढ़े वृक्षों आदि की ठीक प्रकार से काट छांट का कार्य वन राजिक अधिकारी डबवाली द्वारा किया जाएगा।

बिज्जूवाली-बनवाला मार्ग किया जाम

बनवाला (जसवंत जाखड़) विद्यार्थियों ने बस सुविधा की मांग को लेकर गांव बिज्जूवाली-बनवाला रोड़ पर जाम लगा दिया। यह जाम दो घंटे तक लगा रहा।
गांव रिसालियाखेड़ा, औढां तथा कालांवाली में पढऩे के लिए जाने वाले गांव बिज्जूवाली के विद्यार्थियों ने बस सुविधा का अभाव होने का आरोप लगाते हुए सुबह 8 बजे अचानक गांव के बनवाला रोड़ पर जाम लगा दिया। जोकि दो घंटे तक चला। विद्यार्थी अनु, सतपाल, पवन, राजेन्द्र, मोहन लाल, हेमराज, मनीराम और पवन कुमार ने बताया कि कालूआना-कालांवाली मार्ग पर सुबह केवल एक प्राईवेट बस चलती है और उसमें विद्यार्थी पूरे नहीं आते। विद्यार्थियों की संख्या उस समय ज्यादा होने के कारण अक्सर प्राईवेट बस चालक भी बस का यह समय मिस कर देते हैं। जिसके चलते उन्हें भारी परेशानी होती है और लेट होने पर अध्यापक भी उन्हें विद्यालय में प्रवेश नहीं देते।
उनकी मांग है कि सरकार उनके लिए इस रूट पर रोड़वेज की बस चलाये और विद्याािर्थयों को समय पर पहुंचाने का दायित्व संभाले। जाम की सूचना पाकर गांव के सरपंच राजाराम, पंच देवपाल, राजपाल, दिनेश कुमार, रामपाल भी मौका पर पहुंच गये। इधर गोरीवाला पुलिस चौकी के प्रभारी एसआई रमेश कुमार अपने दलबल के साथ पहुंचे। उनके समझाने बुझाने और उनकी समस्या को सरकार तक पहुंचाने व प्राईवेट बस मालिक के साथ  बातचीत करके इस समस्या का समधान निकलवाने का आश्वासन देने पर ही छात्र शांत हुए। दो घंटे का बाद जाम खुल सका।
इस संबंध में एसआई रमेश कुमार ने बताया कि विद्यार्थियों की मांग जायज है और उन्हें पूरा करवाने के लिए प्राईवेट बस मालिक के साथ बातचीत की जायेगी। बस मालिक को इसके लिए थाना में बुलाया गया है।

06 सितंबर 2010

बिजली आपूर्ति को लेकर ग्रामीणों ने लगाया जाम

सिरसा। जिला के गांव पनिहारी के खेतों में घर बनाकर रह रहे लोगों ने बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर सिरसा-चंडीगढ़ मार्ग अवरूद्ध कर दिया जिससे वाहनों की लम्बी कतार लग गई और लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ी।
 ग्रामीण निर्मल सिंह,हुक्मचंद, मक्खन, गुरबचन, जंडीराम, गोपीराम, गुरमीत सिंह,कशमीर सिंह,गुरचरण सिंह,पाल सिंह,वजीर सिंह,भाला सिंह सहित काफी किसान आज प्रात:सिरसा-चंडीगढ़ मार्ग पर आ डटे और जाम लगा दिया।  ग्रामीणों की मांग है कि उनकी करीब आधा सैंकड़ा ढाणियों को रात्री के समय बिजली आपूर्ति नहीं की जा रही जिससे मच्छर परेशान करते हैं। मच्छरों के काट खाने से मलेरिया व अन्य बिमारियां पनप रहीं हैं। विभागीय अधिकारियों से बार-बार गुहार लगाए जाने के बावजूद समस्या ज्यों की त्यों बरकरार है। जाम की सूचना मिलने पर बिजली निगम के एस डी ओ ओ.पी. बिश्रोई,सदर थाना से ए.एस.आई. सतबीर सिंह दलबल सहित मौके पर पहुंचे। काफी जद्दोजहद के बाद गांव पनिहारी के सरपंच मनविन्द्र सिंह द्वारा समझाने के बाद बिजली निगम के अध्किारियों द्वारा रात्री 7 से सुबह 4 बजे तक दो फेज बिजली आपूर्ति के आश्वासन पर आन्दोलनकारियों ने जाम खोला।